20 हजार मानसिक रोगियों का हुआ इलाज-आंचलिक ख़बरें -अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

News Desk
By News Desk
3 Min Read
WhatsApp Image 2022 03 02 at 4.32.45 AM

 

पांच वर्ष पहले जिला अस्पताल में शुरू हुई थी ओपीडी

समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग का चलता रहा कार्यक्रम

चित्रकूट। बांदा के गुमाई गांव निवासी बबलू (काल्पनिक नाम) ने बताया, उनकी बेटी अचानक उठ कर भागने लगती थी, किसी को पकड़ ले तो छोड़ती नहीं थी। कहती थी कि मेरे पास बैठो, बाकी सब चोर हैं। चित्रकूट जिला मुख्यालय के महेंद्र (काल्पनिक नाम) ने बताया, उनकी पत्नी को सिर भारी होने पर चक्कर आते थे। 5 मिनट से आधा घंटे तक बेहोशी छाई रहती थी। बेहोशी में भी खूब चीखती चिल्लाती थी। साफ फर्श को भी बार-बार धोती रहती थी। ये 2 मामले सिर्फ बानगी हैं। हकीकत में जनपद के ऐसे हजारों मानसिक मरीजों का इलाज हुआ और अब अधिकांश स्वस्थ हैं। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भूपेश द्विवेदी का। सीएमओ ने बताया, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मानसिक बीमारियों के इलाज की व्यवस्था जिला अस्पताल सोनपुर के कमरा नंबर 15 में है। यहां पर अक्टूबर 2017 से मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के साथ इलाज किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने बताया, अब तक 20 हजार से अधिक मानसिक रोगियों का इलाज किया जा चुका है। जिला मानसिक स्वास्थ्य टीम की ओर से समय-समय पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता एवं उपचार के लिए शिविर भी लगाए जा रहे हैं।मानसिक स्वास्थ्य इकाई के मनोरोग चिकित्सक डॉ. नरेंद्र देव पटेल बताया, चित्रकूट के साथ बांदा, कौशांबी और मध्य प्रदेश के सतना जिले के भी मानसिक रोगी इलाज के लिए यहां आ रहे हैं। उन्होंने बताया, साइकियाट्रिक सोशल वर्कर संजय कुमार और साइकियाट्रिक विनोद कुमार के साथ जिला अस्पताल में ओपीडी भी की जा रही है।
आत्महत्या के विचार आना, शरीर में अत्यधिक ताकत महसूस होना, झूठी मान्यताओं (भ्रम) पर विश्वास होना, शक करना, रोने की इच्छा होना, अपनी ही दुनिया और विचारों में खोए रहना, दूसरों को न सुनाई देने वाली काल्पनिक आवाजें सुनाई देना, लंबे समय तक सिरदर्द, निराशा के भाव, मन से उत्साह खत्म होना, अकेले या भीड़ में रहने से डर लगना, किसी काम में मन न लगना, उलझन एवं घबराहट होना, बार-बार बुरा होने का विचार आना, अत्यधिक चिंता होना, तनाव महसूस होना, डरावने सपने आना, एकाग्रता में कमी, अपने आप से बातें करना, बेहोश होना, दौरा पड़ना और नशे की लत होना।

 

Share This Article
Leave a Comment