फर्जीवाड़ा: वन मंडल बड़वाह का मामला *
18 वर्षो से संभावनाओं पर नॉकरी कर रहे,हेमराज वर्मा ?
बड़वाह-वन मंत्री विजय शाह ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न आदिम जाति मंत्रणा परिषद की बैठक में कहा था कि,गैर आदिवासी व्यक्ति फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर आदिवासी वर्ग को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। अतः आदिवासी वर्ग के फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों की शीघ्र जाँच करके दोषियों के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही की जाना चाहिए।
स्थानीय पत्रकारों एवं भारत अगेंस्ट करप्शन के तत्कालीन जिलाध्यक्ष मनोज जैन ने वन मंडल कार्यालय बड़वाह के ऐसे ही एक मामले में मुख्य वन संरक्षक खंडवा,प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) भोपाल,अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (सतर्कता एवं शिकायत) भोपाल,पुलिस महानिदेशक भोपाल व लोकायुक्त भोपाल में शिकायत कर रखी है।लेकिन उक्त शिकायतों के एक वर्ष बाद भी कोई कार्यवाही नही हो पाई है!उप वनमंडलाधिकारी द्वारा उल्टा शिकायतकर्ताओं को पत्र जारी करके शिकायत की जांच हेतु पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाने की धमकी दी गई। तथा उनके कथन लिए गए कि उन्हें यह जानकारी कहाँ से प्राप्त हुई।
उल्लेखनीय है कि, ०६/०९/२००३ को अजा/अजजा के बैकलाग पदों की पूर्ति हेतु विशेष भर्ती अभियान के अंतर्गत सामान्य वन मंडल बड़वाह में कार्यरत लेखपाल हेमराज वर्मा की सहायक ग्रेड-३ के पद पर अस्थायी रूप से नियुक्ति हुई थी। म.प्र. सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल,प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल एवं वन संरक्षक खंडवा,वृत खंडवा से प्राप्त निर्देश अनुसार उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित मूल अभिलेखों का परीक्षण किया जाकर चयन योग्य पाए जाने पर तत्कालीन वनमंडलाधिकारी बड़वाह द्वारा जारी पत्र क्र.३९० के आधार पर यह नियुक्ति की गई थी। लेकिन हेमराज वर्मा द्वारा उसी आदेश क्र.३९० की शर्त न.४ का आज 18 वर्षो बाद भी पालन नही किए जाने के बावजूद, वे दमदारी से नॉकरी कर रहे है। जो कि वन मंडल बड़वाह की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह है ?
क्या है शर्त न.४
चूँकि माझी (कहार) जाति को अनुसूचित जाति मानने के संबंध में, शासन के पास प्रकरण विचाराधीन होने की स्थिति में उक्त जाति को शासन से प्राप्त संरक्षण के चलते, हेमराज वर्मा की नियुक्ति हुई थी। लेकिन शर्त के अनुसार यदि शासन का निर्णय इसके विरुध्द होता है तो शासकीय सेवारत, ऐसे प्रत्येक कर्मचारी की सेवाएं बिना कोई सूचना दिए तत्काल प्रभाव से स्वत:समाप्त हो जाएगी। साथ ही इन्हें अनुविभागीय अधिकारी (रा) द्वारा जारी माझी जाति का प्रमाण-पत्र भी प्रस्तुत करना होगा। जो कि हेमराज वर्मा द्वारा आज दिवस तक प्रस्तुत नही किया गया।जिसके संबंध में वन मंडल कार्यालय बड़वाह द्वारा वर्मा को पत्र क्र. ८२९१/१६/०९/२००३ एवं पत्र क्र.२४७१/ २४/०९/२००३ जारी करके लिखा गया था कि, अनुच्छेद ३४१ के अध्यधीन जनजाति (संसोधन) अधनियम १९७६ में प्रदत्त,सक्षम अनुविभागीय अधिकारी (रा) से प्राप्त,माझी जाति के अजजा में होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें।
फर्जी जाति प्रमाण-पत्र संलग्न
नियुक्ति के लिए आवश्यक अभिलेखों में धामनोद निवासी हेमराज वर्मा ने तहसीलदार धरमपुरी,जिला धार द्वारा १८/०९/९२ को जारी जाति प्रमाण-पत्र संलग्न किया था।उसके पश्चात वन मंडल बड़वाह ने उन्हें एसडीएम द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र देने के लिए दो बार पत्र लिखे। जो कि हेमराज वर्मा द्वारा आज दिवस तक प्रस्तुत नही किया गया।जब शिकायतकर्ता मनोज जैन ने २४/०७/२० को शिकायत के सम्बंध में विभाग द्वारा की गई जांच की जानकारी सूचना का अधिकार के तहत मांगी। तब तहसीलदार कार्यालय धरमपुरी के पत्र क्रमांक १५४५/री-२/२०२० दिनांक १२/०६/२० के माध्यम से बेहद चौकाने वाली जानकारी सामने आई। जिसमे लिखा गया कि, कार्यालयीन रिकार्ड के अवलोकन के पश्चात पाया गया कि हेमराज पिता ओंकार जाति प्रमाण पत्र वर्ष ९९१-९२ के दायरा पंजी एवं जावक रिकार्ड में दर्ज नही है! ना ही आवेदक को दिए गए प्रमाण पत्र पर दायरा क्रमांक तथा जावक क्रमांक दर्ज है। वहीं वर्मा के परिवार की समग्र आईडी में उसके पिता का पिछड़ा वर्ग में नाम अंकित होना और हेमराज वर्मा का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र होना भी संदेहास्पद है ?आखिर बाप और बेटे की जाति अलग कैसे हो सकती है ?