Millets Mission : गवर्नमेंट क्यों मोटे अनाज के उत्पादन पर दे रही है जोर, खाने के फायदे

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
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Millets Mission : गवर्नमेंट क्यों मोटे अनाज के उत्पादन पर दे रही है जोर, खाने के फायदे

Millets Mission : आज हम इस लेख में मोटे अनाज पर बात करेंगे जिसको लोग खाना पसंद नहीं करते फिर गवर्नमेंट मोटे अनाज पर इतना जोर क्यों दे रही है आइए जानते है मोटे अनाज कौन कौन है और इसका खाने के क्या क्या लाभ है और गवर्नमेंट इन अनाजों के उत्पादन पर इतना जोर क्यों दे रहे है आप इस लेख में देख सकते है की गवर्नमेंट मोटे अनाज के उत्पादन के साथ जो कम्पनिया अपने रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों में मोटे अनाज की मात्रा बढ़ाएंगी सरकार उन कमापनियों को भी बढ़ी राहत देगी ।

Millets Mission : गवर्नमेंट क्यों मोटे अनाज के उत्पादन पर दे रही है जोर, खाने के फायदे

सरकार मोटे अनाज (Millets) के उत्पादन पर खर्च कर रही 800 करोड़

भारत सरकार ने खाद्य उत्पादों में मोटे अनाज (Millets) के उपयोग को बढ़ावा देने और उनके मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए 800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मोटा अनाज आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की। इस योजना में निवेश की आरम्भिक सीमा हटा दी गई है जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ है। प्रोत्साहन राशि हेतु अर्हता प्राप्त करने के लिए इस योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में कम से कम 10 प्रतिशत की साल-दर-साल बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी। यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक मोटा अनाज (Millets) होता है।

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मोटा अनाज (Millets) आधारित उत्पादों के लिए Production Linked Incentive schemes in India (पीएलआई) योजना में शुरू में तीस लाभार्थियों को नामांकित किया गया था। एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं। योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार मोटा अनाज आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्रोत वाले कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेलों को छोड़कर) का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा मिला है,जिससे किसानों को लाभ हुआ है।

इस योजना की अवधि पांच वर्ष है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे। 19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।

सरकार ने मोटा अनाज (Millets) आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। इन उपायों में उपयोगकर्ता के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और त्वरित समस्या समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है। योजना दिशानिर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर योजना दिशानिर्देशों पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।

इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली बनाए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, प्रभावी संचार और प्रगति पर नजर रखना (ट्रैकिंग) सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं। यह जानकारी केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह भिट्टू ने राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

जानिए मोटे (Millets) अनाज कौन कौन से है

कई सारे अनाज जो मोटे अनाज की कैटेगरी में आते है

  • सांवा
  • ज्वार
  • कोड्रा
  • कांगनी (फॉक्सटेल बाजरा)
  • बाजरा (मोती बाजरा)
  • रागी (फिंगर बाजरा)
  • जौ
  • कुटकी
  • चना

मोटा अनाज खाने के लाभ

पूरी दुनिया में 20 से भी ज्यादा तरह के मोटे अनाज उगाये जाते है। मोटे अनाजों में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स की अच्छी मात्रा होती है खाने में इस अनाज का उपयोग करने से निम्न प्रकार की बीमारिया जैसे दिल की बीमारी, डायबिटीज, मोटापा और पेट से जुड़ी आदि नहीं होती है लेकिन कुछ लोगों को इसे खाने से बचना चाहिए। कई बार मोटा अनाज मोटापे का कारण भी बन सकता है।

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