सागर विश्वविद्यालय में अनेक महान विभूतियों ने शिक्षा प्राप्त की है। आचार्य रजनीश और सुदर्शन जी भी यही पढ़े थे। कुछ समय तक सागर विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। सागर से मेरा गहरा रिश्ता है। सागर मेरे रोम-रोम में रमा है और हर सांस में बसा है। मैंने दर्शनशास्त्र की पढ़ाई करने की सोची तो मन ने कहा कि सागर चल शिवराज । जब पहली बार मुख्यमंत्री बना तो जो सबसे पहले बड़ा काम किया वो था सागर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना । मध्यप्रदेश में माइक्रो फाइनेंसिंग की एक योजना बनायेंगे, जिससे गरीब को आवश्यकता होने पर तत्काल 5 हजार रुपये मिल सकेंगे और उस पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ेगा। सागर जिले में इस एक वर्ष में ₹4 हजार 770 करोड़ के काम संपन्न होने वाले हैं। चाहे लाखा बंजारा झील का जीर्णोद्धार हो, सिटी स्टेडियम, बस टर्मिनल, फर्नीचर क्लस्टर, इनक्यूबेशन सेंटर सहित अनेकों सौगातें सागर को मिलने वाली हैं। प्रति वर्ष हम डॉ. हरिसिंह गौर जी की जन्म जयंती मनायेंगे और साथ ही उनकी जीवनी पाठ्यक्रम में सम्मिलित करेंगे, ताकि शिक्षा के लिए अपना सर्वस्व दान देने वाले महापुरुष के विषय में सभी लोग जान सकें।
सागर गौरव दिवस कार्यक्रम का सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, डॉ. हरिसिंह गौर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुभारंभ किया। सागर से जुड़े हुए विशिष्ट व्यक्तित्वों को सागर रत्न से सम्मानित किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री माननीय श्री प्रह्लाद सिंह पटेल जी, कैबिनेट साथी श्री गोपाल भार्गव जी, श्री भूपेंद्र सिंह जी, श्री गोविंद सिंह राजपूत जी एवं अन्य गणमान्य जनप्रतिनिधि एवं नागरिक उपस्थित रहे। आज संपूर्ण सागर उल्लास से भरा हुआ है। घर-घर दीप जलाये गये हैं, रंगोली सजाई गई है, डॉ. हरिसिंह गौर जी के चरणों में सागर और मध्यप्रदेश की संपूर्ण जनता प्रणाम कर रही है। डॉ.. हरिसिंह गौर जी ने अपने ज्ञान और परिश्रम से धन कमाया और उसे सागर विश्वविद्यालय बनाने के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने सागर को ज्ञान का सागर बना दिया।
गौर साहब सागर की माटी के कण-कण में रचे बसे हैं। सिविल लाइन से कटरा तक, बड़ा बाजार से गढ़पहरा तक, गुजराती बाजार से सदर बाजार तक, गोपालगंज से लेकर कृष्णगंज तक गौर साहब के चिन्ह हैं। डॉ. हरिसिंह गौर जी ने सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की और 20 लाख रुपये दान दिये और बाद में लगभग दो करोड़ रुपये, पूरी संपत्ति दान कर दी। मैं बरसों से सागर आता रहा हूं। सागर की कई यादें मेरे दिलोदिमाग में छा रहीं हैं। तीन बत्ती यहाँ की शान है। जमना मिठइया की चिरौंजी की बर्फी, जैन साहब की मंगोड़ी, सागर का गुजराती नमकीन, नंदू गुप्ता की पान की दुकान । अपना सागर सचमुच में अद्भुत है।