मातृ शक्ति का हो सम्मान तभी बनेगा देश महान-आँचलिक ख़बरें- रमेश कुमार पाण्डे

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ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम त्यागी जी
जिला कटनी – मातृ शक्ति सिर्फ नारी नही धरती ,नदियां, गौ माता और संपूर्ण पृकृति है,पृकृति मे उपस्थित सभी महिला शक्ति का पूजन निरंतर करते चले आ रहे हैं ।त्यागी जी
8 मार्च को सभी मातृ शक्ति का करेगे पूजन
सिर्फ इसका गुणगान नही हृदय से हो सम्मान जिसे दुनिया उतारे आचरण में जिसका आयु जाति धर्म से कोई लेना देना नहीं है सभी को माँ रूपी शक्ति से ही जन्म मिलता है फिर पालन भी धरती माता ही करती है पोषण भी नदियों और गौ माता की कृपा से होता आया है मतलब यह है कि सम्पूर्ण धरा पर आनंद पा रहे लोग जब तक पृकृति को न समझेंगे तब तक हम खूब पूजा कर ले किन्तु एक पक्ष अधूरा ही रहेगा जिसे हम माता या महिला शक्ति कहते है ।
किसी ने जना किसी ने पाला और किसी ने साथ दिया यदि हुई कुछ भूल जो हमसे उसने हमको भस्म किया
अकेली जन्म देनी वाली माँ वो सब कुछ नहीं कर सकती जो हमारे पूरे जीवन की आवश्यकता है उसके बहुत सारे भाग है जिसमें हमे जो सर्व प्रथम दर्शन होते है वह माँ होती है फिर धीरे धीरे वृक्ष की भांति ही बहन पत्नि और बेटी के रूप मे उस शक्ति को समझा जा सकता है ।WhatsApp Image 2022 03 08 at 9.41.42 AM
एक दिन का महत्व ठीक नही इससे कुछ बदल न सकेगा सिर्फ बदलता दिखेगा बिल्कुल उसी तरह जैसे पौधे मे एक दिन पानी देने से उसकी हरियाली सदा नही रह सकती है उसके लिए निरंतर प्रयास आवश्यक होता है तब कही जाकर पौधा वृक्ष बन पाता है यही समाज का राष्ट्र का भी हाल है दुनिया का सबसे पवित्र तीर्थ ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम के निर्माता द्वारा संचालित स्वर्ग आश्रम की यही विशेषता है कि समस्या की जङ पर वार कर उसे धीरे धीरे ही सही किन्तु पूरी तरह से एक अनोखे संसार की संभावना को जीवन्त करने का कार्य हो रहा है ।
सच है मातृ शक्ति किसी से कम नहीं है
फिर भी क्यो उसे वह स्थान न मिल पाया जिसकी वह हकदार है सायद इसमे उसका खुद का भी दोष है जब वह माँ होती तो बेटा बेटी का भेद जब वह सास होती है तो बहू बेटी का भेद जब वह बहन होती है तो नन्द भाभी का भेद और तो और यदि मातृ शक्ति को महिला होने का लाभ न दिखाई दे तो उसमें भी भेद महिलाऔ की लाइन अलग से चाहिये जब।
परमात्मा ने देवी और देवता दोनो ही बनाये बनाने वाले ने भेद न किया
फिर धरती पर रहने वाली माताये खुद को पीछे न समझें आप ही शक्ति का रूप है देवो की भी अराधना मिलती है जिसे वही दीन हीन कैसे हो सकती है बस आवश्यकता है तो राधा बनने की मीरा बनने की सीता बनने की सम्मान माँगा नही जाता वह तो अपने कर्मों के आधार पर मिलता ही है अतः सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का भाव रख माँ,बहन ,बेटी पत्नि संग धरती,नदियां,गौ सहित सम्पूर्ण पृकृति मे उपस्थित सभी को एक भाव से देखकर उसमें समर्पित भाव से समा जाने की जरूरत है ।

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