धड़ल्ले से काटे जा रहे सागौन के पेड़। इछावर। खेरी वनपरिक्षेत्र में जिस तीव्र गति से पेड़ो की कटाई जारी है, उससे लगता है कि आने वाली पीढ़ी मात्र क़िताबों में ही जंगल देख पाएगी।
इसी तरह अगर सब चलता रहा तो जल्द ही स्कूलों में एक था जंगल पढ़ाया जाएगा।
मध्यप्रदेश के बुलडोज़र मामा की सरकार हर वर्ष लाखों करोड़ों रुपए वृक्षारोपण में खर्च करती है व मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी मंचो से बड़े बड़े जुमलें छोड़ते है। इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री के गृह जिले में वन विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री की मंशा पर पानी फेर रहे है।
इछावर वन विभाग के अंतर्गत आने वाले वनपरिक्षेत्र खेरी, बिट गादिया में सागौन के पेड़ों पर जमकर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है।
कई जगह दर्जनों सागौन के पेड़ कटे पड़े हुए है।
इसके बाद भी विभाग की आंखे नहीं खुल रही।
इछावर वन विभाग के अंतर्गत आने वाले अधिकतर वनपरिक्षेत्रों में निरंतर पेड़ो की कटाई जारी है।
लेकिन मजाल की रेंजर किसी नाकेदार पर कार्यवाही कर दें।
सूत्रों की माने तो ये सब विभाग की मिलीभगत से ही हो रहा है।
तभी तो लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद भी विभाग के आला अधिकारी मौन है।
रेंजर शिवहरे की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो रहा है।
रेंजर हमेशा जांच करवाने और कड़ी कार्यवाही का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लेते है।
नाकेदार पर आरोप – पाँच हज़ार रुपए लेने के बाद भी तोड़ दी झोपड़ी।
गादिया के चार हनुमान मंदिर के पास टांट में रह रहे बलराम ने बताया कि वन रक्षक संजय ने मुझसे पांच हज़ार रुपए भी ले लिए और मेरी झोपड़ी तोड़कर ले गए।
आपको बता दें कि चार हनुमान मंदिर से लगी हुई वनभूमि पर अतिक्रमण के नाम पर वन रक्षक पर रुपए लेने का आरोप है।
वन रक्षक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया।
वन रक्षक संजय शर्मा का कहना है कि बलराम ने अतिक्रमण कर झोपड़ी बनाई थी उसपर हमनें कार्यवाही की इसीलिए वो मुझपर झूठे आरोप लगा रहा है।
अब कौन सच्चा कौन झूठा इसका फैसला तो निष्पक्ष जांच होने के बाद ही पता लगेगा।
जंगल की रखवाली भगवान भरोसे।
नाकेदार साहब नहीं रहते नाके पर।
आज मीडिया टीम मौके पर पहुंची तो नाके पर ताला डला हुआ था।
जब हमारी टीम ने नाकेदार संजय शर्मा से दूरभाष पर संपर्क किया तो और बताया कि जंगल में कई पेड़ो को काट दिया गया और आपके नाके पर ताला लगा है। तो उनका जवाब था कि में हनुमान जयंती मनाने आया हूँ।
क्या ऐसे ही होगी जंगलों की रखवाली।
कई सालों एक ही जगह जमे हुए है नाकेदार,
ये भी एक बढ़ा कारण है कि जंगलों की कटाई जारी है।
की टीम जब गादिया स्थित जंगल में पहुंची तो पाया गया कि सैकड़ो सागौन के पेड़ काट दिए गए व कई कटे पेड़ जंगल में ही पड़े है।
क्या विभाग अंधा बन चुका है, जो सेकड़ो पेड़ काट दिए जाने के बाद भी गूंगा बना हुआ है।
क्या विभाग के ज़िम्मेदार ही ऐड़ा बनकर पेड़ा खा रहे।
पूरा खेल विभाग की नाक के नीचे हो रहा लेकिन फिर भी विभाग को ख़बर तक नहीं।
विभाग के ज़िम्मेदार अफ़सर जाँच करवाने व कार्यवाही का जुमला पकड़ाकर पल्ला झाड़ लेते है।
नाके पर जड़ा रहता है ताला,
सूत्रों की माने तो जिस नाकेदार पर जंगल की रखवाली का ज़िम्मा है। वो नाके पर रहते ही नहीं।
तभी तो लकड़ी माफिया बे-ख़ौफ़ होकर जंगल को खत्म करने में लगा है।
अब देखना है विभाग नाकेदार पर क्या कार्यवाही करता है।
या हर बार की तरह बस ओपचारिकता निभाकर फिर लीपापोती कर देगा।
की टीम जब नाके पर पहुंची तो वहां ताला लगा मिला।