प्रकृति आस्था केंद्र गंगाझिरिया संतों की तपोभूमि तीन जलकुंडो मे कभी खाली नही होता जल-आंचलिक ख़बरें-भगवत सिंह लोधी

Aanchalik Khabre
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जनपद जबेरा के बीजाडोगरी गांव मे 1 किलोमीटर की दूरी पर पर्वत श्रृंखलाओं के बीच व्यारमा नदी के समीप सिद्ध क्षेत्र गंगाझिरिया है यह क्षेत्र आध्यात्मिक होने के साथ साथ प्राकृतिक सौंदर्य के पुरातन समय के लिए जानी जाती है तपस्या के लिए उपयुक्त गंगाझिरिया मे आध्यात्मिक ज्ञान की वजह से अनेकों संतों ने तपस्या की जिनके चमत्कारों की नित्य अनुभूति होने की वजह से यह तपोभूमि के रूप प्रसिद्ध है.जहां दादा ब्रह्मचारी महाराज कई सालों तक तपस्या मे लीन रहे और यही समाधि लीन हो गए जिनकी समाधि इसी स्थान पर बनीं हुई हैं. दूसरे बाबा महाराज एव तीसरे ब्रह्मलीन संत जैजै सरकार फतेहपुर की साधना के रूप मे गंगाझिरिया को जाना जाता है.यह सिद्ध महाराज पुरातन काल संकटमोचन श्री हनुमान प्रतिमा सहित चमत्कारी 7 जलंकुड है. पुजारी सीताराम दुवे ने बताया कि हमारे पूर्वजों कज अनुसार इस स्थान का विशेष आध्यात्मिक महत्व रहा है. पहले सात जलकुंड हुआ करते जो तीन कुछ समय मे लुप्त हो गए बाद मे चार जलकुंडों को देखा गया है इनमें से तीन कुंड लुप्त हो गए है वर्तमान मै चार जलकुंड है जिनका जल कभी भी खाली नहीं होता हैं.

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