शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय पहल
मुंबई। जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र (Jamiat Ulema Maharashtra) ने अपने सामाजिक और शैक्षणिक कार्यों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी योग्य छात्रों को शैक्षणिक छात्रवृत्ति (Scholarship) प्रदान की। खास बात यह रही कि यह छात्रवृत्ति किसी धर्म, जाति या समुदाय के भेदभाव के बिना सिर्फ योग्यता और जरूरत के आधार पर दी गई।
इस कार्यक्रम का आयोजन जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र के कार्यालय में किया गया, जिसकी अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष हजरत मौलाना हलीम उल्लाह कासमी ने की।
छात्रवृत्ति वितरण का उद्देश्य
जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र का मुख्य उद्देश्य यह है कि कोई भी प्रतिभावान छात्र आर्थिक तंगी की वजह से अपनी पढ़ाई अधूरी न छोड़े। आज के समय में शिक्षा सफलता की कुंजी है और इस संस्था का मानना है कि समाज में बदलाव तभी आएगा जब हर बच्चा शिक्षित होगा।
संगठन लंबे समय से गरीब और जरूरतमंद छात्रों की मदद कर रहा है। इस छात्रवृत्ति से न केवल छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरणा भी मिलती है।

समारोह में शामिल अतिथि और गणमान्य व्यक्ति
इस समारोह में महाराष्ट्र की राजनीति और समाजसेवा से जुड़ी कई हस्तियों ने शिरकत की। इनमें प्रमुख थे:
आरिफ नसीम खान (महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री)
जनाब अमीन पटेल (कांग्रेस विधायक)
निजामुद्दीन राईन (महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता)
राहुल पवार (जे.जे. मार्ग पुलिस थाने के इंस्पेक्टर)
मुफ्ती मोहम्मद यूसुफ कासमी (महासचिव, जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र)
मौलाना मोहम्मद इश्तियाक कासमी (कोषाध्यक्ष)
हाजी कारी मोहम्मद यूनुस चौधरी हुसैनी (सहायक कोषाध्यक्ष)
हजरत मौलाना आरिफ उमरी साहब (नायब अध्यक्ष)
हाफिज मोहम्मद आरिफ (ऑफिस सेक्रेटरी)
सिराजुद्दीन खान (अध्यक्ष, जमीयत उलेमा साउथ जोन, मुंबई)
मौलाना जुबैर अहमद कासमी, मौलाना अब्दुल कय्यूम कासमी काजू पाड़ा, मुख्तार आजमी, हमीद उल्लाह शेख सहित कई कार्यकारिणी सदस्य।
जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र की भूमिका
जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र, जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक राज्य इकाई है, जो लंबे समय से सामाजिक कार्यों, शिक्षा, स्वास्थ्य और जरूरतमंदों की मदद में सक्रिय है। संगठन का मानना है कि शिक्षा से ही समाज की तकदीर बदली जा सकती है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से संगठन ने एक बार फिर साबित किया कि उनका मकसद सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि मानवता की सेवा करना है।
छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों की खुशी
इस कार्यक्रम में शामिल छात्रों ने बताया कि यह छात्रवृत्ति उनके लिए बहुत मददगार साबित होगी। कई छात्र ऐसे हैं जो आर्थिक स्थिति के कारण किताबें, फीस और अन्य शैक्षणिक खर्च पूरे करने में असमर्थ थे।
छात्रों ने जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र और उपस्थित नेताओं के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह मदद उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने और समाज में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
नेताओं और पदाधिकारियों के विचार
समारोह में बोलते हुए कांग्रेस विधायक अमीन पटेल ने कहा कि शिक्षा हर बच्चे का हक है और समाज के सभी वर्गों को मिलकर यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
वहीं पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र जिस तरह से शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है, वह सराहनीय है।
शिक्षा और समाज पर प्रभाव
शिक्षा केवल डिग्री पाने का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज की दिशा बदलने की ताकत रखती है। जब जरूरतमंद छात्रों को मदद मिलती है, तो वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले नागरिक बनते हैं।
इस तरह की छात्रवृत्तियां न केवल व्यक्तिगत स्तर पर छात्रों की जिंदगी बदलती हैं, बल्कि एक मजबूत और शिक्षित समाज के निर्माण में भी योगदान देती हैं।