खुशियों से भरी शाम, जो कुछ घंटों में बदल गई मातम में। सोमवार की रात बदायूं में कुछ युवाओं ने अपने दोस्त का जन्मदिन बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया। हर्षितर्षि सक्सेना नामक युवक, जो पेशे से लेखपाल था, अपने तीन करीबी दोस्तों के साथ जश्न मना रहा था। उन्होंने साथ खाना खाया, हंसी-मजाक किया, और दोस्ती के उन पलों को जिया जो अब शायद सिर्फ यादों में ही रह जाएंगे। लेकिन किसे पता था कि कुछ ही घंटों में यह जश्न एक भयानक हादसे में बदल जाएगा, जिसकी कहानी सुनकर हर किसी की रूह कांप उठेगी।
हादसे की पूरी कहानी
जन्मदिन की पार्टी खत्म होने के बाद हर्षितर्षि अपने तीन दोस्तों के साथ एक कार में सवार होकर घर लौट रहा था। रात काफी हो चुकी थी और रास्ता सुनसान था। वे बरेली-मथुरा हाईवे से होकर जा रहे थे। इसी हाईवे के एआरटीओ चौराहे के पास अचानक उनकी कार अनियंत्रित हो गई और हाईवे पर लगे एक पोल से जबरदस्त टकरा गई।
टक्कर इतनी भयावह थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, लेकिन तब तक तीन युवकों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। इनमें से एक थे हर्षितर्षि सक्सेना, जिनका जन्मदिन कुछ ही देर पहले मनाया गया था। चौथा युवक गंभीर रूप से घायल मिला, जिसे तुरंत बरेली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है।
परिवारों का दुख और सामाजिक आघात
जब हादसे की सूचना मृतकों के परिवारों तक पहुंची, तो हर तरफ मातम छा गया। जो बेटा कुछ घंटे पहले हंसता-खेलता था, अब वही शव बनकर घर लौट रहा था। परिजनों की चीत्कार, पड़ोसियों की आंखों में आंसू और पूरे इलाके में पसरा सन्नाटा इस दर्द को बयान कर रहे थे, जो शब्दों से परे है।
तीन अलग-अलग परिवारों की खुशियां एक ही झटके में टूट गईं। जो लोग रात को अपने बच्चों का इंतजार कर रहे थे, उन्हें अब अंतिम संस्कार की तैयारी करनी पड़ रही थी। यह कोई सामान्य दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक बड़ी सामाजिक चेतावनी भी थी।
तेज रफ्तार और सड़क सुरक्षा की अनदेखी
यह हादसा कई सवाल छोड़ जाता है। आखिर इतनी भीषण टक्कर कैसे हुई? पुलिस और स्थानीय लोगों के अनुसार, कार की रफ्तार काफी तेज थी। रात का समय, कम रोशनी और हाईवे की स्थिति ने इस हादसे को और खतरनाक बना दिया।
भारत में, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, सड़क हादसे कोई नई बात नहीं हैं। हर दिन हजारों लोग ऐसे ही हादसों में जान गंवा देते हैं। लेकिन क्या हम इससे कोई सबक लेते हैं?
कई बार युवा तेज रफ्तार को रोमांच का नाम देते हैं, लेकिन यह रोमांच कुछ ही पलों में मौत में बदल जाता है। कानून में तेज गति से वाहन चलाना अपराध है, लेकिन लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते।
सड़कें ही क्यों बनें मौत का रास्ता?
बरेली-मथुरा हाईवे उत्तर प्रदेश के व्यस्ततम मार्गों में से एक है। इस पर भारी ट्रैफिक चलता है, और रात के समय रोशनी की कमी इसे और खतरनाक बना देती है। क्या ऐसा नहीं होना चाहिए कि ऐसे हाईवे पर स्ट्रीट लाइट्स की व्यवस्था बेहतर की जाए? क्या प्रशासन को इसकी जवाबदेही नहीं लेनी चाहिए?
सड़क हादसे केवल चालक की गलती नहीं होते, कई बार सड़क की खराब स्थिति, सही संकेतों की कमी, और प्रशासन की लापरवाही भी इनका बड़ा कारण होती है। हमें यह समझना होगा कि दुर्घटनाएं केवल आंकड़े नहीं हैं, वे किसी का परिवार उजाड़ देती हैं।
क्या किया जाना चाहिए?
यह हादसा यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या केवल यातायात नियमों का पालन ही काफी है? नहीं। इसके साथ ही हमें सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना होगा। तेज रफ्तार रोकने के लिए स्पीड कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए। रात के समय रोशनी की उचित व्यवस्था हो। युवाओं को ट्रैफिक नियमों की गंभीरता समझाने के लिए स्कूल और कॉलेजों में अभियान चलाए जाएं। और सबसे जरूरी, हमें खुद भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
एक सबक, जो बहुत दर्दनाक है
हर्षितर्षि और उसके दोस्तों की मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जीवन कितना अनिश्चित है। एक ही पल में सब कुछ बदल सकता है। हम सभी को यह समझना होगा कि सड़क पर चलना सिर्फ एक तकनीकी काम नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है – अपनी भी और दूसरों की भी।
इस हादसे से हम सबको सीख लेनी चाहिए कि लापरवाही, तेज रफ्तार और सिस्टम की खामियां मिलकर किसी भी खुशहाल जिंदगी को खत्म कर सकती हैं। अगर हम अब भी नहीं चेते, तो ऐसे हादसे फिर होते रहेंगे – और फिर कोई हर्षितर्षि, कोई दोस्त, कोई बेटा हमसे हमेशा के लिए छिन जाएगा।

