धर्मगुरू धर्माधिकारी कार्यालय विदिशा (म.प्र.)
धर्माधिकारी गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री ने बताया कि ‘‘सत्यम् शिवं सुन्दरम्’’ सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है। वेदों एवं पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। भगवान शिव जी की महिमा अनन्त हैं। भक्तों के लिए भगवान शिव आशुतोष हैं महाशिवरात्रि-‘‘चतुर्दश्यां तु कृष्णायां फाल्गुन-शिव पूजनम्।’’ सर्वपाप विनिर्मुक्तः सर्व सिद्धि फलो- भवेत्। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी, दिनांक 01मार्च 2022 मंगलवार को महाशिवरात्रि एवं श्री वैद्यनाथ जयन्ती श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाई जाव्रेगी। श्री उमा महेश्वर भगवान का होगा मंगल परिणय शुभ पाणिग्रहण संस्कार, सौराष्ट्रे सोमनाथं व श्री शैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकाल ओमकार ममलेश्वरम् केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम् वाराणस्यां च विश्वेशं त्रयम्बकं गौतमी तटै वैद्यनाथं चिता भूमौ नागेशं दारूकावने। सेतु बन्धे च रामेशं धुश्मेशं च शिवालये।
सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमशंकर, विश्वेश्वर, त्रयमबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर एवं धुश्मेश्वर-यह विश्व प्रसिद्ध (बारह) द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं। भगवान शिव जी की आराधना में ऊॅं नमः शिवाय एवं महामृत्युंजय मंत्रों का विशेष महत्व हैं उमामहेश्वर, पशुपतिनाथ, अर्धनारीश्वर, योगीश्वर, कृष्णेश्वर, रूद्र, ईशान, महादेव, समुद्र मंथन के समय हलाहल विष का पान करके नीलकण्ठेश्वर महादेव हो गये। वन्दे-बोधमयं नित्यं गुरूं शंकर रूपिणम् महाशिव रात्रि के दिन भगवान शिव जी की पार्थिव पूजन का विशेष महत्व है।
दुग्धाभिषेक, पवित्र, गंगा जल से अभिषेक पंचामृत स्नान, मौली(वस्त्र), केशर, चन्दन, इत्र, भंग, जनेऊजोड़ा, अक्षत, अकौआ, धतूरे के पुष्प एवं विल्वपत्रों से आराधना अनन्त पुण्यफल प्रदान करती हैं।
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्म पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्।।
गेंहूँ की बाली एवं ऋतुफलों का भोग लगाकर दीपक एवं कपूर आदि से आरती का विधान हैं। कर्पूर गौरं करूणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्रहारं सदा बसतं हªदयार्विन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि।। पुरूषार्थ- चिंतामणी ग्रन्थ के अनुसार- अनेक वर्षो के बाद-‘‘भौमवार(मंगलवार) को शिव योगवती महाशिवरात्रि में जागरण करके पूजन, आराधना करने से होगी मनोकामना की-सिद्धि, गन्ने के रस से अभिषेक करने से होती हैं पुत्र रत्न की प्राप्ति। महाशिवरात्रि का निशीथकाल रात्रि 11: 48 से मध्य रात्रि 12:38 बजे तक विशेष पुण्य-काल रहेगा। भगवान शिव जी के भक्तों का यह सबसे बड़ा त्यौहार हैं। साधकों के लिए यह महारात्रि हैं। पहर-पहर में षोड़शोपचार पूजन, रूद्राभिषेक, श्रीशिव महिम्न स्तोत्र पाठ, शिव चालीसा का पाठ, ऊॅं नमः शिवाय मंत्र जप, शिव सहस्त्र नाम स्तोत्र द्वारा विल्वपत्रों से सहस्त्रार्चन आराधना का विशेष महत्व है। वैदिक महामृत्यंुजय मंत्र जप से मिलती हैं रोगों से मुक्ति। संसार के भय का विनाश करने वाले देवों के देव भगवान महोदव, गंगाधर, वृषभ वाहन, पार्वतीपती,हाथ में डमरू एवं त्रिशूल धारण किये हुए संसार रूपी रोग का विनाश करने वाले कालों के काल महाकाल वरद् मुद्रा में विराजमान भगवान विश्वनाथ का मैं हªदय में ध्यान करता हूँ |
धर्माधिकारी चौक में श्री शिव वारात पर होगी पुष्पों की वर्षा एवं आरती
अंदर किला श्री परशुराम पेढ़ी चौराहा के शिव भक्तों द्वारा भक्ति भावना के महोत्सव महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर ऐतिहासिक शिव वारात का चल समारोह प्रारम्भ होकर नगर के मुख्य मार्गों से स्टेशन माधवगंज श्री विश्वेश्वर महादेव (काँच मंदिर) पहॅुंचेगी। इस पावन अवसर पर धर्माधिकारी चौक में भगवान श्री शंकर जी की पूजन आरती के साथ पुष्पों की वर्षा से श्री शिव जी की वारात का स्वागत अभिनन्दन किया जावेगा।
महाशिवरात्रि पर विशेष
विदिशा में भगवान-शिव जी की आराधना- अनन्त काल से की जाती रही हैं।
‘‘हर हर महादेव’’
विदिशा,
पुरातत्व संग्रहालय में अनेक शिव प्रतिमायें दर्शनिय है। उदयगिरी की गुफाओं में भगवान शिवजी की पिण्डी एवं उदयगिरी के सामने बैस नगर में जटाशंकर भगवान का प्राचीन शिवालय तथा वैत्रवती के पावन तट पर स्थित विश्व विख्यात् चरणतीर्थ के शिवालय, श्रीराम घाट एवं महलघाट के प्राचीन शिव मंदिर, उदयपुर का नीलकण्ठेश्वर महादेव मंदिर, हजारिया महादेव मंदिर, भारती मठ एवं ओघड़ेश्वर महादेव मंदिर, किला अन्दर स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, भूतेश्वर महादेव मंदिर, धर्माधिकारी कार्यालय स्थित शताब्दी प्राचीन श्री कृष्णेश्वर महोदव मंदिर, श्रीबालाजी मंदिर में एकमात्र पंचमुखी शिवजी की द्विशताब्दी प्राचीन प्रतिमा, चौबेजी के मंदिर शिवालय के सामने विदिशा जिला की सबसे बडी नंदी की प्रतिमा, जयेश्वर महादेव मंदिर, स्टेशन माधवगंज स्थित विश्वेश्वर महादेव मंदिर, श्रीराम नगर चौराहा पर भगवान शिव जी का मंदिर, पीतलमील चौराहा के पास लोधेश्वर महादेव मंदिर, सरस्वती नगर में शिवजी का मंदिर, शास्त्री नगर के सामने शिवजी का मंदिर, गुलाब वाटिका के पास शिवालय, अग्रवाल धर्मशाला श्री राधारमण मंदिर में शिवालय, दुर्गानगर दुर्गा मंदिर में शिव जी का मंदिर एवं बैकुण्ठधाम मंदिर में शिवालय आदि मंदिरों में सुन्दर सजावट विद्युत सज्जा के साथ श्रद्धालु शिव भक्तों द्वारा दर्शन,पूजन, अभिषेक, मंत्र जप आराधना, महाआरती, के साथ पुष्पांजलि, समर्पण, रात्रि जागरण, कीर्तन, श्रद्धाभक्ति पूर्वक, सम्पन्न होगी।