दिग्विजय सिंह के शासनकाल में 1993 से 2003 तक निकायों में कांग्रेस का दबदबा रहा। बाद के 17 साल • शिवराज सरकार ने राज किया। लेकिन, 2014-15 के 7 साल के इंतजार के बाद अब हो रहे चुनाव रोचक हो गए हैं। कांग्रेस का नेतृत्व कमलनाथ संभाल रहे हैं, जबकि भाजपा की कमान शिवराज के ही हाथों में है। चुनौती शिवराज की तरफ ज्यादा दिख रही है। वजह साफ है, भाजपा को 16 की 16 नगर निगम बचानी है। क्योंकि, पिछली बार इन पर भाजपा काबिज थी। ये चुनाव 2023 के विधानसभा ये चुनाव का सियासी रोडमैप भी तैयार करेंगे। फेरबदल की संभावनाओं को भी मजबूती देंगे। सिर्फ डेढ़ महीने का समय है। गांव और शहर में 4 लाख से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का चुनाव हो जाएगा। नतीजों से फायदा किसको होगा? गणित में शिवराज वजनी हैं। कमलनाथ के सामने यह चुनाव बड़े मौके की तरह है, क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हीं के हाथ में कमान थी और कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में लौटी थी। लेकिन डेढ़ साल बाद ही मार्च 2020 में तख्तापलट हो गया। अपनी कांग्रेस को दोबारा सियासी ताकत देना कमलनाथ के लिए बड़ा काम है। इसमें दिग्विजय सिंह की भूमिका भी अहम रहेगी।
शिवराज का रोड शो-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग
