राजस्थान के झालावाड़ जिले में 12 जुलाई, 2025 की सुबह एक ऐसा भयावह हादसा हुआ जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान स्कूल की छत अचानक ढह गई, जिसमें सात मासूम बच्चों की जान चली गई और 29 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दर्दनाक घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त लापरवाही और जर्जर स्कूल भवनों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
क्या हुआ और कब?
यह हृदयविदारक घटना 12 जुलाई, 2025 को सुबह लगभग 7:45 बजे हुई। बच्चे अपनी सुबह की प्रार्थना के लिए स्कूल परिसर में इकट्ठा हो रहे थे। पिपलोदी गांव के इस सरकारी स्कूल में छठी और सातवीं कक्षा के कमरों की छत अचानक भरभरा कर गिर गई। छत के मलबे के नीचे लगभग 35 छात्र दब गए, जिससे चीख-पुकार मच गई। स्थानीय ग्रामीणों और बचाव दलों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तत्काल राहत और बचाव कार्य के निर्देश दिए।
हादसे की वजह क्या थी?
हादसे की मुख्य वजह स्कूल की इमारत का जर्जर होना बताया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि स्कूल का भवन काफी पुराना और कमजोर हो चुका था। मानसून की बारिश ने इसकी स्थिति को और भी बदतर बना दिया था, जिससे छत की नींव और कमजोर पड़ गई। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार स्कूल प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों को भवन की खराब हालत के बारे में सूचित किया था, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यह स्पष्ट रूप से प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है, जिसने इन मासूम जिंदगियों को लील लिया। इस पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गहन जांच के आदेश दिए हैं।
हादसे के बाद की स्थिति और बचाव कार्य
हादसे की खबर मिलते ही गांव में हड़कंप मच गया। स्थानीय ग्रामीण सबसे पहले मदद के लिए आगे आए और अपनी जान की परवाह किए बिना मलबे में दबे बच्चों को बाहर निकालने लगे। सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन की टीमें भी मौके पर पहुंचीं। घायलों को तुरंत झालावाड़ के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया। 29 घायल बच्चों में से 9 की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें आईसीयू में रखा गया है। अस्पताल में डॉक्टरों की टीमें उनकी जान बचाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घायलों के समुचित इलाज के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
ग्रामीणों का आक्रोश और विरोध प्रदर्शन
इस दर्दनाक हादसे के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखने को मिला। उन्होंने इसे पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम बताया और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। घटना स्थल पर और अस्पताल के बाहर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि यदि समय रहते स्कूल भवन की मरम्मत कर दी जाती या बच्चों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाता, तो यह हादसा टाला जा सकता था। ग्रामीणों ने मृतकों के परिजनों के लिए उचित मुआवजे और घायलों के इलाज का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन करने की मांग की है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पीड़ितों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। विपक्ष ने सत्ताधारी दल को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए शिक्षा विभाग और संबंधित अधिकारियों पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है। वहीं, सत्ताधारी दल ने भी जांच का आश्वासन देते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है। हालांकि, इस दुखद घड़ी में राजनीतिक बयानबाजी से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और जर्जर स्कूल भवनों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित बनाया जाए। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस पर गंभीरता दिखाने की बात कही है।
इस घटना से जुड़े 10 महत्वपूर्ण सवाल:
हादसा कब और कहां हुआ? 12 जुलाई 2025 को सुबह 7:45 बजे, झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव के सरकारी स्कूल में।
कितने बच्चों की जान गई और कितने घायल हुए? 7 बच्चों की मौत हो गई और 29 बच्चे घायल हुए, जिनमें से 9 आईसीयू में हैं।
हादसे की मुख्य वजह क्या थी? स्कूल भवन का अत्यधिक जर्जर होना और मानसून की बारिश से छत का कमजोर पड़ना।
क्या ग्रामीणों ने पहले इसकी शिकायत की थी? हां, ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों को स्कूल की खराब हालत के बारे में सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
बचाव कार्य में कौन-कौन शामिल था? स्थानीय ग्रामीण, पुलिस और प्रशासन की टीमें।
घायलों को कहां भर्ती कराया गया? झालावाड़ के विभिन्न अस्पतालों में।
ग्रामीणों की मुख्य मांगें क्या हैं? प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा और घायलों का पूरा इलाज। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इन मांगों पर विचार करने को कहा है।
क्या इस घटना पर कोई राजनीतिक प्रतिक्रिया हुई? हां, विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया और सत्ताधारी दल ने जांच का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने निष्पक्ष जांच की बात कही है।
क्या यह केवल एक इमारत गिरने की घटना है? नहीं, यह प्रशासनिक लापरवाही, ढहती शिक्षा व्यवस्था और संवेदनहीन नौकरशाही का भी प्रतीक है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस पर चिंता व्यक्त की।
भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए? सभी सरकारी स्कूलों के भवनों का तत्काल सर्वे कर जर्जर भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण कराना और शिक्षा विभाग में जवाबदेही तय करना। विद्यालय मरम्मत बजट के साथ-साथ आंगनवाड़ी केंद्र मरम्मत पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस दिशा में उचित कदम उठाने की बात कही है।
यह हादसा एक अलार्मिंग कॉल है जो हमें शिक्षा के बुनियादी ढांचे की गंभीर स्थिति और बच्चों की सुरक्षा के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। क्या हम इस दुखद घटना से कोई सबक लेंगे ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो? मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार क्या ठोस कदम उठाएगी?
Also Read This – सूखी काटली नदी: शेखावाटी की प्यास और एक महत्वपूर्ण नदी पुनर्जीवन की पुकार