Jhansi UP : आसरा एनजीओ ने झांसी के आदिवासी बच्चों संग मनाई रंगों भरी होली

News Desk
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झांसी के आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए इस बार की होली बेहद खास रही। समाजसेवी संस्था आसरा एनजीओ ने इन नन्हे बच्चों के चेहरों पर खुशियों के रंग बिखेर दिए। एनजीओ की अध्यक्ष पूजा शर्मा और उनकी टीम ने आदिवासी बस्ती में जाकर बच्चों को गुलाल, पिचकारी, रंग, गुब्बारे, टोपी और मुखौटे वितरित किए। उपहार पाकर बच्चों के चेहरे खिल उठे और उन्होंने खुशी से झूमकर अपनी खुशी जाहिर की।

आदिवासी बस्ती में गूंजे रंगों के सुर

झांसी शहर में कई आदिवासी समुदाय वर्षों से निवास कर रहे हैं। ये समुदाय मुख्य रूप से मेहनत-मजदूरी और छोटे मोटे व्यवसाय से अपनी आजीविका चलाते हैं। इनके बच्चों के लिए त्यौहार मनाना किसी बड़ी खुशी से कम नहीं होता, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे त्योहारों की चमक-धमक से अक्सर दूर रह जाते हैं। ऐसे में आसरा एनजीओ ने समाज के इन नन्हे नवरत्नों को होली का तोहफा देकर उनकी खुशी दोगुनी कर दी।

गुरुवार को संस्था की अध्यक्ष पूजा शर्मा ने स्वयं अपने हाथों से बच्चों को रंग-बिरंगी टोपी, गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे और मुखौटे वितरित किए। इस दौरान बच्चों की उत्सुकता देखने लायक थी। जैसे ही उन्हें ये उपहार मिले, उन्होंने तुरंत ही गुलाल उड़ाना शुरू कर दिया और एक-दूसरे पर रंग डालकर होली की मस्ती में डूब गए।

पूजा शर्मा ने सभी बच्चों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा, “त्योहार खुशियां बांटने का अवसर होते हैं। इन बच्चों की मुस्कान देखकर हमारी मेहनत सफल हो गई। हम चाहते हैं कि समाज का हर तबका त्योहारों की खुशियों में बराबर रूप से शामिल हो।”

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समाज सेवा ही सच्ची सेवा

कार्यक्रम में उपस्थित समाजसेवी लीना रमानी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि, “अति पिछड़े क्षेत्रों के जरूरतमंद बच्चों को प्रोत्साहित करना, उन्हें त्योहारों और अन्य अवसरों पर उपहार देकर खुशी देना ही मेरा प्रथम दायित्व है। गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना मेरी प्राथमिकता रही है और मैं इसे नियमित रूप से अपने कार्यों में शामिल रखती हूं।”

उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ होली ही नहीं, बल्कि अन्य मौकों पर भी ऐसे बच्चों की मदद करनी चाहिए ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

समाजसेवी कैलाश कुशवाहा ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि, “सेवा मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कर्म है। जब हम जरूरतमंदों की मदद करते हैं, तो असली खुशी हमें वहीं से मिलती है। समाज को अगर मजबूत बनाना है तो हर व्यक्ति को अपने स्तर पर योगदान देना होगा।”

मलिन बस्तियों में भी बांटी गई खुशियां

इस अवसर पर पूजा शर्मा और उनकी टीम ने झांसी की अन्य मलिन बस्तियों में भी जाकर बच्चों को रंग, पिचकारी और होली के अन्य उपहार वितरित किए। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले सैकड़ों बच्चों को भी इस पहल से होली का तोहफा मिला।

कार्यक्रम में उपस्थित वैशाली अग्रवाल, रीता मंगल, लीना रमानी, कैलाश कुशवाहा, बंटी शर्मा, शिखा परिहार, मयंक कश्यप, हरिओम वर्मा, शक्ति क्रोशिया और चांदनी किन्नर दीदी ने भी बच्चों के साथ होली खेली और उनके बीच उपहार वितरित किए।

बच्चों ने दिखाई जबरदस्त उत्सुकता

कार्यक्रम के दौरान बच्चों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। जैसे ही उन्हें रंग, गुलाल और पिचकारी मिली, उन्होंने तुरंत उसे इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। बच्चे एक-दूसरे पर रंग डालने लगे, चेहरे पर गुलाल लगाकर खुशी से झूम उठे।

एक नन्हे बच्चे राजू ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “पहली बार मुझे खुद की पिचकारी मिली है। अब मैं अपने दोस्तों के साथ खेल सकूंगा।”

एक अन्य बच्ची गुड़िया ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमारे पास पैसे नहीं होते थे कि हम खुद रंग या टोपी खरीद सकें, लेकिन आज हमें ये सब मिला, और हम बहुत खुश हैं।”

बच्चों की इस खुशी को देखकर एनजीओ के सभी सदस्य भावविभोर हो गए।

आसरा एनजीओ केवल त्योहारों पर ही नहीं, बल्कि सालभर समाज सेवा के कार्यों में जुटी रहती है। संस्था समय-समय पर गरीब बस्तियों में जाकर जरूरतमंदों की मदद करती है। चाहे ठंड में गरीबों को कंबल बांटना हो या गर्मियों में पानी की सुविधा उपलब्ध कराना, संस्था हमेशा सेवा कार्यों में तत्पर रहती है।

संस्था की प्रमुख पूजा शर्मा ने बताया कि, “हमारी कोशिश है कि झांसी के हर जरूरतमंद बच्चे और परिवार को सहयोग मिले। हम चाहते हैं कि कोई भी त्यौहार इनके लिए उदासी न लेकर आए, बल्कि हर अवसर इनके जीवन में नई उमंग और खुशियां लेकर आए।”

होली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रेम, सद्भाव और भाईचारे का संदेश देती है। झांसी में आसरा एनजीओ द्वारा किए गए इस प्रयास ने यह साबित कर दिया कि सच्ची खुशी बांटने में है।

इस आयोजन ने न केवल आदिवासी बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाई, बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया कि यदि हम सभी मिलकर थोड़ा-थोड़ा योगदान दें, तो समाज का हर वर्ग त्योहारों की खुशियों में शामिल हो सकता है।

इस रंग-बिरंगी पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है, और जब हम दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, तो वही असली होली होती है!

 

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