दमोह। कुण्डलपुर महामहोत्सव के चौथे दिन तप कल्याणक पूर्व रूप के अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने भक्तों को दिव्य देशना प्रदान करते हुए कहा कि संसार में कितनी भी आत्मायें आये कितनी भी प्रतिकूलतायें आएं अगर कोई सोच ले कि मैं इस कार्य को पूर्ण करना चाहता हूं, तो वहां से जवाब आता है हां हां कर लो। हाथ उठाया और बजाया इससे कुछ नहीं होता, दूसरे की परीक्षा लेने से पूर्व खुद परीक्षा देनी पड़ती है, एक समय बाद परीक्षार्थी कहता है कर लो कर लो क्या परीक्षा करोगे बाहर से भी और अंदर से भी निरीक्षण हो चुका है, बड़े बाबा को बड़े सिंहासन के ऊपर बिठाना था हजारों वर्ष से पहले नीचे थे भीतर थे जहां पहले प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं थी, अखंड दीप रखे रहते थे और जैसे राम को शबरी यू यू देखती थी ऐसे सारे सारे भक्त बड़े बाबा को यूं यूं देखते थे, भक्तों से पूछा कि अब आप ही बताओ बड़े बाबा के दर्शन कैसे हो रहे हैं, अब बड़े बाबा पास से ठीक नहीं लगते वह दूर से ठीक लगते हैं और जो व्यक्ति दूर से आए हैं उनको मैं पहले से ही संकेत देता हूं बड़े बाबा दूर से ही सबके लिए आशीर्वाद दे रहे हैं, अब उनके पास जाने से ऊपर देखना पड़ता है और सामने से देखने से वह दृश्य हजारों हजार व्यक्तियों के लिए अद्भुत आनंददायक होता है। हमने कई बार भगवान के दर्शन किए हैं, दूर से करता था, चरणों में बैठो लेकिन दूर से देखने पर जो आनंद का अनुभव होता है। दूर-दूर से आने वाले यात्रियों बड़े बाबा के चरणों में समर्पित कर सोच रहे हैं इसलिए मैं कहता हूं बड़े बाबा को बड़े सिंहासन पर बैठाना सबके बस की बात नहीं थी, अब जब भगवान बड़े सिंहासन पर बैठ गए हैं तो सारा प्रबंध खुद हो जाएगा, बाहर आने के बाद बसंत की बहार आ गई।समोसारण का प्रबंध चारो दिशा में चतुर्मुखी बन जाता है, अभी अपने पास इस प्रकार का कुछ है ही नहीं अभी पंडाल में जनता बैठी है वह कह रही है कि यहां आकर भी हम दूर ही रह गए लेकिन मेरा उनसे कहना है कि आप दो दिशाओं से नहीं चार दिशाओं से नहीं आठ दिशाओं से नहीं दसों दिशाओं से सुन सकते हैं, एक व्यक्ति बैठा है देख सकता है,एक लाख व्यक्ति बैठे है और दो लाख कानों से सुन रहे हैं, बैठने से कुछ नहीं होता चाहे यहां पर बैठो चाहे वहां पर बैठे कानों से आवाज सुनाई देगी, मैं भले ही उनसे दूर हूं पर अपना आशीर्वाद उनको भेज देता हूं,अब मुझे वहां पर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है और हां सुनो सुनो जो लोग दूर-दूर से आ रहे है, जो लोग पंडाल में बैठे हुए हैं, जो लोग भोजन करा रहे हैं उन सबके लिए मेरा आशीर्वाद है।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के अवसर की जानकारी देते हुए जय कुमार जलज ने बताया कि सौधर्म इंद्र द्वारा मण्डप में निर्मित की गई अयोध्या नगरी में जहां सुबह से पात्र शुद्धि,श्रीजी के नित्य पूजन अभिषेक, विधान की क्रिया प्रारंभ हुई, आचार्य श्री का पूजन, दिव्य देशना, दोपहर में तीर्थंकर भगवानो के राजकुमार स्वरूप का चित्रण, राज्याभिषेक, राजाओं में भेट समर्पण करने की होड़ लगी रही,महामंडलेश्वर नियुक्ति और सेनापति की नियुक्त को दर्शाया गया, षटकर्म उपदेश, दंडनीति की स्थापना का आयोजन धार्मिक विधि विधान से प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया के द्वारा दिव्यता और भाव्यता के साथ भगवान के माता पिता, सौधर्म इंद्र, कुबेर और सभी मुख्य पत्रों के द्वारा मनाया गया।* 20 फरवरी 2022 *को कुण्डलपुर महामहोत्सव में तप कल्याणक उत्तर रूप के अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज चेतन जेनेश्वरी दीक्षाये देगे, इसके साथ ही 5733 प्रतिमाओं की भी दीक्षाये होगी। दोपहर के प्रवचन में मुनि श्री प्रशांत सागर जी महाराज ने संदेश दिया कि तेल के बिना दीपक नहीं जलता उसी तरह दीक्षा के बिना मोक्ष पथ नहीं चलता।
कार्यक्रम क्षेत्र से मानव बजाज ने बताया कि महामहोत्सव आवास समिति द्वारा निर्मित की गई डोरमेट्री में यात्री रुक सकते हैं और सामान सुरक्षित रखने के लिए महामहोत्सव समिति द्वारा अमानती समान घर की व्यवस्था की गई है। मण्डप के पास में बनी भोजन शाला तक जाने – आने के लिए कमेटी द्वारा ई रिक्शा का व टैक्सी का प्रबंध किया गया है और जो भी यात्री बाहर से आ रहे हैं उनकी रुकने की व्यवस्था दमोह स्टेशन पर भी की गई है और यात्री बस व गाड़ी के माध्यम से कुंडलपुर जाने के लिए निःशुल्क व्यवस्था की गई ळें आप सभी से हमारा यही कहना है कि आप सभी इस पल के साक्षी अवश्य बने और बड़े बाबा के बड़े दरबार में छोटे बाबा के समवशरण के दर्शनों का एवं बड़े बाबा के दर्शनों का लाभ ले।
प्रिंट मीडिया प्रभारी महेन्द्र जैन सोमखेड़ा ने बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रति सबकी आस्था अटल है और इसी विश्वास से आज आस्था का कुंभ कुण्डलपुर महामहोत्सव में देखने मिल रहा,जब छोटे बाबा के नाम से विख्यात आचार्य विद्यासागर जी महाराज अपने समोशरण सहित विश्व विख्यात जैन धर्म के तीर्थ क्षेत्र कुण्डलपुर में विराजित हैं, देवाधिदेव 1008 श्री आदिनाथ भगवान बड़े बाबा के साक्षात दर्शन एवं कुण्डलपुर महामहोत्सव की भव्यता देखते ही बनती दिख रही है। कुण्डलपुर कमेटी ने इतिहास रच दिया हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन इस सदी के सबसे बड़े जैन धर्म के आयोजन में सहभागी बन रहें हैं और सबकी आस्था बड़े बाबा की शांत वीतराग अवस्था की छवि में है कुण्डलपुर में निर्मित हुआ हैं बड़े बाबा का मंदिर जो अद्भुत शिल्प, सौंदर्य से भरपूर सबकी भावनाओं से ओतपोट हैं, जो प्रतीक हैं देश और विदेश में रह रहे जैन समाज के समर्पण भाव का प्रतीक और जन जन की आस्था के केन्द्र बड़ेबाबा और छोटे बाबा के समोशरण की शरण में हम सब भक्तिरत हैं।
सादर प्रकाशनार्थ प्रेषक
ब्यूरो चीफ महोदय जी महेन्द्र जैन सोमखेड़ा