शाजापुर। युथ ऑफ बलाई समाज कबीर फाउंडेशन द्वारा शुक्रवार को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर आयोजित एक गरिमामय कार्यक्रम में जिले के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों के अमूल्य योगदान की सराहना करना और समाज में उनके महत्व को रेखांकित करना था।
गणमान्य अतिथियों ने की शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा
कार्यक्रम की मुख्य विशेषता शिक्षा जगत से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। मुख्य अतिथि डॉ. विवेक दुबे (जिला शिक्षा अधिकारी) ने अपने संबोधन में कहा, “शिक्षक वह मार्गदर्शक हैं जो छात्रों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुँचे, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों तक।”
कार्यक्रम के अध्यक्ष बी.एल. गोयल (जिला क्रीड़ा अधिकारी) ने शिक्षकों को समाज की नींव बताते हुए कहा, “जिस प्रकार मजबूत जड़ें वृक्ष को स्थिरता प्रदान करती हैं, उसी प्रकार शिक्षक छात्रों के जीवन को आधार और दिशा प्रदान करते हैं।”
विशेष अतिथि प्रवीण मंडलोई (प्राचार्य, उत्कृष्ट विद्यालय) ने शिक्षण की गुणवत्ता पर बल देते हुए कहा, “एक सच्चे शिक्षक की पहचान उसके कर्मों से होती है, जो छात्रों के जीवन पर एक स्थायी छाप छोड़ते हैं।”
संस्था के पदाधिकारियों ने व्यक्त किए विचार
कबीर फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं संस्थापक दिलीप सिंह बामनिया ने कहा, “शिक्षक वह प्रकाशस्तंभ हैं जो ज्ञान की रोशनी से छात्रों के जीवन को आलोकित करते हैं। उनका कार्य केवल पाठ्यक्रम पढ़ाना ही नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और सामाजिक दायित्वों का बोध कराना भी है।”
फाउंडेशन के उपाध्यक्ष नारायण सिंह मालवीय ने सभी सम्मानित शिक्षकों को स्मृति चिन्ह और दुपट्टा भेंट कर उनके योगदान की सराहना की।
सामाजिक सहभागिता और भविष्य की योजनाएँ
इस अवसर पर जितेंद्र मालवीय (सरपंच), धर्मेंद्र मालवीय, जितेंद्र बमोरी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु शिक्षक माखन लाल धानुक ने संचालन का दायित्व निभाया, जबकि प्रवक्ता राजेश सिसनोरिया ने मीडिया समन्वय का कार्य किया।
शिक्षा के क्षेत्र में सामूहिक जिम्मेदारी का संदेश
यह आयोजन न केवल एक सम्मान समारोह था, बल्कि इसने शिक्षा के क्षेत्र में सामूहिक जिम्मेदारी की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि शिक्षा का प्रसार केवल शिक्षकों की ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।
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