कश्मीर में अलगाववाद समर्थित 25 किताबों को किया बैन

Aanchalik Khabre
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जम्मू-कश्मीर में 25 किताबें बैन

जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने lieutenant governor मनोज सिन्हा के निर्देश पर 5 अगस्त 2025 को एक आदेश जारी किया, जिसके तहत 25 किताबों को “forfeited” घोषित किया गया—यानि अब इनका प्रकाशन, बिक्री, प्रचार या वितरण नहीं हो सकता। आदेश में बताया गया कि ये साहित्य “अलगाववाद, आतंकवाद और भारत के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने” का महत्वपूर्ण कारण है

सरकार का कहना है कि इन किताबों में अक्सर इतिहास, राजनीति या व्याख्यान के रूप में प्रस्तुत तथ्यों में विषमता, आतंकवाद का महिमामंडन, सुरक्षाबलों का अपमान और युवाओं में भारत विरोधी भावना उत्पन्न करने का उद्देश्य निहित है

कानूनी आधार:

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS), 2023 की धारा 98 के तहत किताबों को फ़र्ज़ी घोषित कर जब्त किया गया

इसके साथ ही Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS), 2023 की धाराएँ 152, 196, और 197 लागू की गईं—इनमें संप्रभुता‑अखंडता को खतरा, सार्वजनिक अधिकारी के कर्तव्यों में बाधा, तथा सहायता न करना शामिल हैं

प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची (मुख्य चयन)
नीचे 25 पुस्तकों की विस्तृत सूची है, जिनमें से कई लेखक और विषय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हैं:

Human Rights Violations in Kashmir – Piotr Balcerowicz & Agnieszka Kuszewska

Kashmir’s Fight for Freedom – Mohd Yousuf Saraf

Colonizing Kashmir: State-Building under Indian Occupation – Hafsa Kanjwal

Kashmir Politics and Plebiscite – Dr. Abdul Jabbar Gockhami

Do You Remember Kunan Poshpora? – Essar Batool et al.

Mujahid ki Azaan – Imam Hasan Al‑Bana (edited by Maulan Mohammad Enayatullah Subhani)

Al Jihadul fil Islam – Moulana Moudadi

Independent Kashmir – Christopher Snedden

Resisting Occupation in Kashmir – Haley Duschinski, Mona Bhat, Ather Zia, Cynthia Mahmood

Between Democracy and Nation (Gender & Militarization in Kashmir) – Seema Kazi

Contested Lands – Sumantra Bose

In Search of a Future (The Story of Kashmir) – David Devadas

Kashmir in Conflict (India, Pakistan & the Unending War) – Victoria Schofield

The Kashmir Dispute 1947–2012 – A. G. Noorani

Kashmir at the Crossroads (Inside a 21st Century Conflict) – Sumantra Bose

A Dismantled State (The Untold Story of Kashmir After Article 370) – Anuradha Bhasin

Resisting Disappearance (Military Occupation & Women’s Activism in Kashmir) – Ather Zia

Confronting Terrorism – Stephen P. Cohen (ed. Maroof Raza)

Freedom in Captivity (Negotiations along Kashmiri Frontier) – Radhika Gupta

Kashmir (The Case for Freedom) – Tariq Ali, Hilal Bhatt, Angana P. Chatterji, Pankaj Mishra, Arundhati Roy

Azadi – Arundhati Roy

USA and Kashmir – Dr. Shamshad Shan

Law & Conflict Resolution in Kashmir – Piotr Balcerowicz & Agnieszka Kuszewska

Tarikh‑i‑Siyasat Kashmir – Dr. Afaq

Kashmir & the Future of South Asia – Edited by Sugata Bose & Ayesha Jalal

विशेष रूप से उल्लेखनीय:

Arundhati Roy की दो लोकप्रिय कृतियाँ—Azadi और Kashmir (The Case for Freedom) शामिल हैं

A. G. Noorani की प्रतिष्ठित पुस्तक The Kashmir Dispute 1947–2012 को भी शामिल किया गया

अन्य नामचीन लेखक जैसे Sumantra Bose, Victoria Schofield, Christopher Snedden, Anuradha Bhasin, David Devadas की पुस्तकें भी इस सूची में हैं

सरकार का तर्क

सरकार ने इस कदम के पीछे निम्न तर्क प्रस्तुत किए हैं:

जांच और खुफिया तथ्यों के अनुसार, ये किताबें युवाओं को भ्रमित कर उन्हें आतंकवाद और अलगाववाद की ओर उकसाती हैं—“grievance culture, victimhood और terrorist heroism” को बढ़ावा देती हैं

इन पुस्तकों का स्वरूप अक्सर ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी जैसा होता है, जिससे उनकी हानिकारक सामग्री छिपी रहती है—पर ऐसा साहित्य युवा मनोवृत्ति को प्रभावित कर हिंसा और राष्ट्र‑विरोधी भावनाओं को पोषित करता है

विश्लेषण और प्रभाव

यह निर्णय सावधानीपूर्वक विचारणीय और संवेदनशील विषय से जुड़ा हुआ है—सामाजिक सुरक्षा बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। इस तरह के प्रतिबंध राष्ट्रीय अखंडता और युवा सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं, लेकिन साथ ही यह साहित्यिक स्वतंत्रता और ज्ञानाधारित बहस पर अंकुश का संकेत भी है।

जो पुस्तकें प्रतिबंधित हुईं, उनमें कई विश्वविद्यालय-स्तरीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में प्रकाशित हैं, जो तमाम शोध और विमर्श पर आधारित हैं। इनका प्रतिबंध अकादमिक स्वतंत्रता, शोध और बहस की सीमाओं पर सवाल खड़ा करता है।

निष्कर्ष

5 अगस्त 2025 को जारी इस आदेश ने 25 पुस्तकों को “forfeited” या जब्त घोषित कर, जम्मू-कश्मीर में उनके प्रकाशन, बिक्री या वितरण पर रोक लगा दी। इस कदम को सरकार ने युवाओं में आतंकवाद और अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देने का खतरा बताते हुए उठाया है। इसमें अरुंधति रॉय और ए जी नूरानी समेत कई सुप्रसिद्ध लेखक शामिल हैं।

यह कदम कानूनी, राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है—यह एक ओर सुरक्षा एवं राष्ट्रीय एकता की रक्षा की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर यह साहित्यिक स्वतंत्रता और आलोचनात्मक विमर्श पर संभावित प्रतिबंध का सचेत संकेत भी है।

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