जांच के नाम पर अधिक राशि लेने का आया मामला सामने,ट्राफिक पुलिस ने तीन हजार के बदले एक हजार का थमाया रसीद,थानाध्यक्ष ने भी किया बातों का अनसुनी
बिहार। बिहार की सुशासन कहलाने वाली नीतीश सरकार लाख दावा करे कि पुलिस से आम अवाम को राहत मिलेगा लेकिन पुलिस सुशासन सरकार को ठेंगा दिखाते हुए आम अवाम पर पुलिसिया रौब दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं। नीतीश सरकार लगातार नजराना लेने वाले पुलिस पदाधिकारी को सलाखों के पीछे भेजवा रही है लेकिन पुलिस नजराना लेने से हिचक नहीं रहे हैं।
इसी का नतीजा है कि वाहन चेकिंग के नाम पर वाहन मालिकों से अवैध वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं।इसका जीता-जागता उदाहरण पटना गांधी मैदान के ट्राफिक पुलिस पदाधिकारी का है जहां बुधवार जांच के नाम पर तीन हजार रुपए लेकर महज एक हजार का चालान काटा।इसका विरोध करने पर उस पर पुलिसिया रौब दिखाने लगा। इसकी जानकारी मिलने पर मिडिया मेन ने थानाध्यक्ष को सूचना दी लेकिन थाना से बाहर होने का बहाना बना अनसुनी कर दिया।
इस संबंध में वाहन मालिक सह अहिंसा दल के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह के पुत्र आलोक कुमार एवं राम विलास सिंह का पुत्र प्रमोद कुमार ने बताया कि संबंधी का बेहतर इलाज एवं आपरेशन कराने के उद्देश्य से बुधवार को पटना गया था लेकिन जानकारी नहीं रहने पर महज कुछ पग तक लौंग साइड में चला गया। उसका कहना है कि उस मोटरसाइकिल को गांधी मैदान स्थित ट्राफिक पुलिस थाना ले जाया गया। इस दौरान एक हजार का चालान काटा गया लेकिन इसके एवज में तीन हजार रुपए ले लिया। विरोध करने पर पुलिसिया रौब दिखाने लगा।इसकी सूचना उपसंपादक को दिया लेकिन पुलिस पर कोई असर नहीं पड़ा। बाध्य होकर मोटरसाइकिल लेकर घर रवाना हो गए।
इधर मिडिया का परिचय देते हुए अवैध राशि लेने की बात पर उन्होंने कहा कि अभी थाना से बाहर है। इसलिए तैनात सिपाही से बात कर लिजिए। इससे जान पड़ता है कि इस अवैध वसूली में कहीं न कहीं अप्रत्यक्ष रूप से उनका हाथ हो सकता है। ऐसा नहीं होता तो मिडिया की बात सुनते ही कारवाई शुरू कर देता।यह घटना नीतीश सरकार की हाल में ही पारित बिल सशस्त्र पुलिस बल की मनमानी की बातें याद जाती है।
यही कारण है कि प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने सशस्त्र पुलिस बल बिल का विरोध सदन एवं बाहर में किया था।इसका नतीजा यह हुआ कि सदन के अंदर इस बिल का विरोध करने पर बाहरी प्रशासन से माननीय की बेरहमी से पिटाई किया गया था। इसके अलावा बाहर में भी राजद समर्थक एवं कार्यकर्ता पर बेहरमी से पुलिसिया डंडा बरसाया गया। लगातार विरोध करने पर महज़ दो पुलिस बल पर कार्रवाई कर विपक्षी को खुश करने की कोशिश किया गया लेकिन विपक्षी दल दोषी बड़े पदाधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर डटे रहे।इसकी का नतीजा है कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन में बहस कराने के लिए तैयार हुआ। प्रतिपक्ष नेता श्री यादव ने अपनी वानी से सत्ता पक्ष को हिला कर रख दिया। इसके बावजूद दोषी पदाधिकारियों पर अब तक कारवाई नहीं किया।इसी का नतीजा है कि बिहार में पुलिस पदाधिकारी का मनोबल इतना बढ़ गया है कि मिडिया का भय भी समाप्त हो गया है। इससे आम अवाम से जांच के नाम पर कथित रूप से अवैध वसूली से हिचक तक नहीं करते। देखना है कि सरकार इस मामले पर ठोस कदम उठाती है या नहीं आने वाला समय बताएगा।