झुंझुनू।शेखावाटी की जीवन रेखा मानी जाने वाली काटली नदी में पानी का बहाव तीसरे दिन शनिवार शाम को मणकसास पंचायत के राजीवपुरा के बने बजरी बड़े खदानों में ही सिमट गया। ग्रामीणों के जो आस थी वह पूरी नहीं हुई। बाघोली, जोधपुरा, सुनारी, कांकरियां, नौरंगपुरा, गुड़ा ढहर, नेवरी, चंवरा आदि गांवों के ग्रामीण बार-बार पापड़ा, पचलंगी व जगदीशपुरा तक नदी देखने के लिए आए और नदी का पचलंगी के पास तेज बहाव देखकर जोधपुरा घाट तक पानी पहुंचने की उम्मीद जताई थी। लेकिन पापड़ा में बजरी के गहरे खदान होने से पानी को आगे नहीं बढने दिया। इन गांवों के लोगों को 23 साल बाद काटली नदी आने की आस बंधी थी लेकिन अधूरी ही रह गई। पानी जोधपुरा घाट तक पहुंच जाता तो इन सभी गांवों को पानी मिलने की उम्मीद मिल जाती।
हालांकि राजीवपुरा तक काटली नदी का पानी पहुंचने पर बाघोली के पास पड़ौस व ढहर के लोगों के कुओं में पानी मिलेगा। काटली नदी पहले से सूखी रहने से खदानों में आया पानी भी सूखकर आधा रह गया है। नदी फिर से नहीं आई तो एक या दो दिन पूरा पानी सूखकर पहले जैसी हालात बन जाएगा। वहीं नदी पर बने कालादह बांध में पानी भरने से काटलीपुरा व पचलंगी के लोगों को पीने का मीठा पानी मिलेगा।
झुंझुनू-24 घंटे बाद ही काटली नदी का पानी सूखने लगा-आंचलिक ख़बरें-संजय सोनी
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