मुंबई। भारतीय बौद्ध महासभा और समता सैनिक दल के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को दादर स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भवन में एक महत्वपूर्ण सभा का आयोजन किया गया। “महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन” विषय पर आयोजित इस सभा में बौद्ध समाज के कार्यकर्ताओं, युवाओं और गणमान्य व्यक्तियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण की मांग
सभा को संबोधित करते हुए माननीय आकाश लामाजी ने इस आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए गहरा दुख व्यक्त किया कि महाबोधि महाविहार, जो एक विश्व बौद्ध धरोहर है, अभी तक बौद्ध समुदाय के नियंत्रण में नहीं है। उन्होंने इस संघर्ष को और अधिक व्यापक बनाने का आह्वान किया।
संगठनात्मक एकजुटता पर बल
भारतीय बौद्ध महासभा के कार्याध्यक्ष भीमराव यशवंतराव आंबेडकर के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में भंते विनाचार्य ने धम्म दृष्टिकोण से इस मुद्दे के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “बौद्ध समुदाय को जागरूक होकर अपने धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए संगठित होना चाहिए।”
सामूहिक संकल्प और समापन
सभा के समापन पर “नमो बुद्धाय”, “जय भीम” और “जय संविधान” के उद्घोषों से पूरा वातावरण गूंज उठा, जिसने इस आंदोलन के प्रति सभी की एकजुटता और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया।
एक ऐतिहासिक आवश्यकता
यह सभा बौद्ध समुदाय की उस सामूहिक इच्छा शक्ति का प्रमाण थी, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। महाबोधि महाविहार जैसी ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत की दृष्टि से भी अत्यंत relevant है। इस आंदोलन ने समुदाय के अधिकारों और उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूकता का एक नया अध्याय प्रारंभ किया है।
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