महाराष्ट्र की राजनीति में ‘वोट चोरी’ विवाद से बढ़ी गरमाहट

Aanchalik Khabre
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राहुल गांधी

कांग्रेस का दावा – फडणवीस को देना चाहिए इस्तीफ़ा

महाराष्ट्र में इन दिनों सियासी माहौल गर्म है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ संबंधी आरोपों ने राज्य की राजनीति को नई दिशा दे दी है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा चंद्रपुर ज़िले के राजुरा विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मतदान हेराफेरी को उजागर करने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पद पर बने रहने का कोई नैतिक औचित्य नहीं बचा।


राहुल गांधी के आरोप और कांग्रेस की प्रतिक्रिया

हर्षवर्धन सपकाल के मुताबिक, राजुरा क्षेत्र में करीब 6,850 वोटों में अनियमितता हुई है। यह मामला इतना गंभीर है कि राज्य पुलिस, जो फडणवीस के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय के अधीन है, ने इस पर प्राथमिकी दर्ज की है।
सपकाल का कहना है कि यह एफआईआर साबित करती है कि महायुति गठबंधन ने सत्ता में बने रहने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया।


चुनाव आयोग पर सवाल और लोकतंत्र की चिंता

कांग्रेस ने भाजपा और चुनाव आयोग दोनों पर आरोप लगाते हुए कहा कि मतदाताओं की मर्जी को दरकिनार कर सत्ता हासिल की गई। सपकाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की टिप्पणी को राजनीतिक बताया और आरोप लगाया कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर देश को नेपाल या श्रीलंका जैसी स्थिति की ओर धकेल रहे हैं।


जीएसटी सुधार पर राहुल गांधी को श्रेय

हर्षवर्धन सपकाल ने जीएसटी सुधारों को राहुल गांधी की दूरदर्शिता का परिणाम बताया। उनका कहना है कि आठ वर्ष पहले राहुल गांधी ने जो मांग उठाई थी, सरकार अब वही बदलाव लागू कर रही है। कांग्रेस इस उपलब्धि के जश्न में 22 सितंबर को राज्यभर के व्यापारियों को मिठाई बांटने की योजना बना रही है।


किसानों के लिए मुआवज़े की मांग

भारी बारिश के कारण किसानों को हुए नुकसान का मुद्दा भी कांग्रेस ने उठाया। सपकाल ने प्रति हेक्टेयर ₹50,000 फसल नुकसान मुआवज़ा, भूमि कटाव के लिए ₹5 लाख प्रति हेक्टेयर सहायता, रबी सीज़न के लिए मुफ्त बीज-उर्वरक और कृषि ऋण माफी की मांग की।


मराठी भाषा पर ‘हमला’ का आरोप

सपकाल ने राज्य सरकार पर तीसरी भाषा थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि मराठी केवल भाषा नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान है। फडणवीस सरकार के फैसले को उन्होंने “मराठी की पीठ में छुरा घोंपने” जैसा बताया। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि वह राज्य की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को मिटाने की हर कोशिश का विरोध करेगी।

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