झुंझुनू।राजस्थान में झुंझुनू जिले की मंडावा विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिये आगामी 21 अक्टूबर को वोट डाले जायेगें। दिसम्बर 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा टिकट पर जीत कर विधायक बने नरेन्द्र कुमार खीचड़ के झुंझुनू से सांसद निर्वाचित हो जाने के कारण उनके विधायक पद से त्यागपत्र देने से यहां उप चुनाव हो रहे हैं। 2018 में मंडावा से भाजपा टिकट पर पहली बार प्रत्याशी चुनाव जीत पाया था। अत: भाजपा चाहती है कि उसकी जीत कायम रहे। इसी कारण भाजपा ने कांग्रेस टिकट पर झुंझुनू पंचायत समिति की तीसरी बार प्रधान पद पर कार्यरत सुशीला सीगड़ा को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने पुन: पूर्व विधायक रीटा चौधरी पर ही दाव आजमाया है। कहने को तो यहां से कुल नौ प्रत्याशी मैदान में हैं मगर मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के मध्य ही होगा।
मंडावा विधानसभा सीट 1957 में प्रथम बार अस्तित्व में आयी तब से अब तक यहां एक उपचुनाव को मिलाकर कुल 15 बार विधानसभा चुनाव हुये हैं। जिसमें नो बार कांग्रेस व छ: बार कांग्रेस विरोधी दलों के विधायक बने। यहां से कांग्रेस के रामनारायण चौधरी 1967,1972,1977,1983 (उपचुनाव),1993,1998,2003 में कुल 7 बार व 2008 में उनकी पुत्री रीटा चौधरी एक बार विधायक बनी। इस तरह इस सीट पर रामनारायण चौधरी व उनके के परिवार का ही आठ बार कब्जा रहा। यहां से चौधरा लच्छूराम दो बार 1957 में भाकपा से व 1980 में जनतापार्टी (च) से विधायक रहे। 1962 में रामराज्य पार्टी के ठाकुर रघुवीर सिंह 1985 में कांग्रेस की सुधादेवी, 1990 में जनतादल के डा.चन्द्रभान विजयी रहे। मौजूदा सांसद नरेन्द्र कुमार खीचड़ यहां से दो बार 2013 में निर्दलीय व 2018 में भाजपा से विधायक चुने गये थे।
मंडावा से जीतने वाले रामनारायण चौधरी व डा.चन्द्रभान राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व राजस्थान सरकार में केबीनेट मंत्री भी रह चुके है। रामनारायण चौधरी राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। इस सीट से दो महिला 1985 में सुधादेवी व 2008 में रीटा चौधरी भी विधायक रह चुकी है। 2013 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते यहां से कांग्रेस प्रत्याशी डा.चन्द्रभान की जमानत जब्त हो चुकी हैं वो चौथे स्थान पर रहे थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष रहते सुमित्रा सिंह की भी यहां से भाजपा टिकट पर जमानत जब्त हो गयी थी। जबकि उससे पहले सुमित्रा सिंह दस बार विधायक का चुनाव जीत चुकी थी व कई बार राजस्थान सरकार में मंत्री रह चुकी थी।
मंडावा विधानसभा क्षेत्र में कुल 230384 मतदाता है जिनमें से 117742 पुरूष, 109672 महिला मतदाता व 2970 सर्विस मतदाता हैं। 2018 के मुकाबले इस बार मंडावा विधानसभा में 5655 वोट बढ़े हैं। मंडावा विधानसभा क्षेत्र में कुल 259 मतदान केन्द्र हैं। इनमें 230 ग्रामीण व 29 शहरी मतदान केन्द्र हैं। इस क्षेत्र में मंडावा व बिसाऊ दो नगरपालिकायें हैं।
मंडावा विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या जाट मतदाताओं की हैं। इसी कारण यहां एक बार 1962 में राजपूत जाति के ठाकुर रघुवीर सिंह जीते थे बाकी 14 बार जाट जाति का उम्मीदवार ही जीतता रहा है। जाटो के बाद राजपूत, मुसलमान, दलित, ब्राम्हण, बनिया, माली मतदाता निर्णायक है।
2018 में मण्डावा विधानसभा क्षेत्र में कुल 1 लाख 64 हजार 536 वैध मत पड़े थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में मण्डावा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के नरेन्द्र कुमार खीचड़ ने कांग्रेस की रीटा चौधरी को 2346 मतों से हराया था। विजयी रहे भाजपा के नरेन्द्र खीचड़ को कुल 80 हजार 599 मत प्राप्त हुए। वहीं कांग्रेस से रीटा चौधरी को 78 हजार 253, बीएसपी से अनवार अली खान को 3228, एआरजेपी से महेन्द्र कुमार धायल को 720, निर्दलीय जगदीप को 642, आप से शुभकरण सिंह को 577, व निर्दलीय नरेन्द्र सिंह को 517 मत मिले। इसके अलावा 908 मत नोटा पर तथा 496 मत निरस्त हुए थे।
कुल मिलाकर इस बार का चुनाव भी पिछली बार की तरह रोचक होने की संभावना है। जहां कांग्रेस को अपना खोया गढ़ पुन: पाना है वहीं भाजपा के लिये करो व मरो वाली स्थिति है। कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी पुरानी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। भाजपा प्रत्याशी सुशीला सीगड़ा 2000 से लगातार चार बार चुनाव जीत रही है। वहीं कांग्रेस की रीटा चौधरी लगातार दो बार विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। रीटा चौधरी के पिता रामनारायण चौधरी कांग्रेस के बड़े नेता थे वहीं सुशीला सीगड़ा के ससुर बृजलाल सीगड़ा भी 1982 से 1987 तक प्रधान व वर्षों सरपंच रहे थे। इस तरह देखें तो दोनो ही प्रत्याशियों को राजनीति विरासत में मिली हैं।लेकिन देखना होगा अब मंडावा में कौन होगा विरासत का महारथी ?