नवी मुंबई। मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान पूरे महाराष्ट्र से एकत्रित की गई विशाल रसद सामग्री अब सामुदायिक कल्याण के विभिन्न कार्यों में सदुपयोग की जाएगी। संघर्ष योद्धा मनोज दादा जारंगे पाटिल के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास की समाप्ति के बाद सकल मराठा समाज एवं नवी मुंबई समन्वय समिति ने यह निर्णय लिया है।
आंदोलन के दौरान जुटी थी व्यापक सहायता
आंदोलन की अवधि में जब यह अवधारणा बनी कि सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों की आपूर्ति बंद कर दी गई है, तो महाराष्ट्र भर के नागरिकों ने अपना पूरा समर्थन दिखाया। दूर-दूर से लोगों ने भारी मात्रा में खाद्य सामग्री भेजी, जिसमें चावल, तेल, पानी की बोतलें, भाकरी, चटनी, ठेचा, फरसाण, भेल, बिस्कुट और फल जैसी आवश्यक वस्तुएँ शामिल थीं।
शेष सामग्री का कल्याणकारी वितरण
समिति द्वारा शेष बची सामग्री के वितरण की योजना इस प्रकार बनाई गई है:
- सिडको प्रदर्शनी केंद्र में रखी गई सभी पानी की बोतलें मुस्लिम समुदाय के आगामी कार्यक्रम में दान कर दी जाएँगी।
- नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के बीच भेल एवं फरसाण जैसे नाश्ते का वितरण किया जाएगा।
- चावल, तेल और अन्य आवश्यक सामग्री बीड के नागद नारायण गढ़ भेजी जाएँगी, जहाँ दशहरा सभा के दौरान बहुजन समुदाय के लाखों सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाती है।
सामुदायिक सहयोग की मिसाल
यह निर्णय इस बात का प्रतीक है कि समाज से प्राप्त सहायता का सदुपयोग कैसे किया जा सकता है। समिति का उद्देश्य है कि महाराष्ट्र के लोगों द्वारा भेजी गई इन सामग्रियों से उन लोगों को लाभ पहुँचे, जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है। इससे न केवल संसाधनों का सार्थक उपयोग होगा, बल्कि सामाजिक एकता और सहभागिता का भी संदेश जाएगा।
मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान एकत्रित राशि और रसद का सामुदायिक कल्याण में पुनर्निर्देशन एक सराहनीय कदम है। यह दर्शाता है कि आंदोलन केवल माँगों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने सामाजिक सद्भाव और सहयोग की अनूठी मिसाल पेश की है। इस तरह की पहल से समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी विश्वास और सहयोग की भावना मजबूत होती है।
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