बेल्जियम की जेल में मेहुल चोकसी: भारत ने प्रत्यर्पण से पहले कैद में सुविधाओं का आश्वासन दिया

Aanchalik Khabre
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मेहुल चोकसी

नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के बहुचर्चित 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी और भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। वर्तमान में वह बेल्जियम की एक जेल में बंद है और भारत सरकार उसे देश वापस लाने की प्रक्रिया में तेजी दिखा रही है। भारत ने बेल्जियम प्रशासन को यह भरोसा दिलाया है कि प्रत्यर्पण के बाद चोकसी को जेल में सभी बुनियादी और मानवीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।


भारत का आश्वासन: कैद में पूरी सुविधा

गृह मंत्रालय की ओर से बेल्जियम सरकार को भेजे गए दस्तावेज में स्पष्ट किया गया है कि चोकसी को भारत लाए जाने के बाद उसे अलग-थलग (सॉलिटरी कन्फाइनमेंट) नहीं रखा जाएगा। उसे सामान्य कैदियों की तरह ही बैरक में रखा जाएगा, जहाँ पर्याप्त जगह और सुविधाएं होंगी।

  • चोकसी को 3 वर्ग मीटर का व्यक्तिगत स्थान दिया जाएगा।

  • फर्नीचर, गद्दा, तकिया, चादर और कंबल जैसी जरूरी चीजें उपलब्ध होंगी।

  • जरुरत पड़ने पर अतिरिक्त बिस्तर और चिकित्सकीय मदद तुरंत दी जाएगी।

  • बैरक में रोशनी, हवा और साफ-सफाई की उचित व्यवस्था रहेगी।

इसके अलावा, भारत ने यह भी वादा किया है कि चोकसी को भोजन, स्वच्छ पानी और व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं समय पर दी जाएंगी।


स्वास्थ्य और दिनचर्या का भी ध्यान

पत्र में यह भी उल्लेख है कि जेल में चोकसी को रोजाना एक घंटे का व्यायाम और मनोरंजन का समय मिलेगा। उसके स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टरों की टीम समय-समय पर जांच करेगी। भारत ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जेल की स्थिति किसी भी तरह से अमानवीय न हो और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन हो।


प्रत्यर्पण प्रक्रिया में तेजी

चोकसी को इस साल अप्रैल में बेल्जियम में हिरासत में लिया गया था। तब से वह एंटवर्प की जेल में बंद है। कुछ समय पहले उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी, जिससे भारत को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया आगे बढ़ाने में मदद मिली।
अब अदालत में सुनवाई की अंतिम चरण की कार्यवाही शुरू हो चुकी है और कयास लगाए जा रहे हैं कि सितंबर के अंत तक भारत सरकार को सकारात्मक फैसला मिल सकता है।


पीएनबी घोटाले की पृष्ठभूमि

साल 2018 में सामने आया पीएनबी घोटाला भारत के इतिहास के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में गिना जाता है। इसमें मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी मुख्य आरोपी हैं।
दोनों पर आरोप है कि उन्होंने पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस शाखा के अधिकारियों की मदद से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) जारी करवाए। इन दस्तावेजों की आड़ में विदेशी बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का लोन लिया गया, जिसे कभी वापस नहीं चुकाया गया।

घोटाले के खुलासे के बाद नीरव मोदी लंदन भाग गया और वहां की जेल में बंद है, जबकि चोकसी पहले एंटीगुआ और बाद में बेल्जियम में पकड़ा गया।


कानूनी पेचीदगियां और चोकसी की चालें

मेहुल चोकसी ने लंबे समय तक कानूनी दांव-पेंच के जरिए प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश की।

  • उसने मेडिकल आधार पर बेल्जियम में रहने का तर्क दिया।

  • एंटीगुआ में नागरिकता का लाभ उठाने की कोशिश की।

  • स्विट्जरलैंड में इलाज के बहाने विशेष अस्पताल में दाखिला लेने की योजना बनाई।

लेकिन बेल्जियम पुलिस और अदालतों ने उसके सभी बहानों को खारिज कर दिया। अब भारत की ओर प्रत्यर्पण की राह लगभग साफ होती जा रही है।


भारत की रणनीति: मानवीय दृष्टिकोण से मजबूती

भारत सरकार ने चोकसी के प्रत्यर्पण को सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि राजनयिक चुनौती के रूप में भी देखा। यही कारण है कि उसने बेल्जियम सरकार को आश्वासन दिया कि चोकसी को जेल में किसी भी तरह की अमानवीय स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा।

यह रणनीति दो तरह से अहम है:

  1. मानवाधिकारों का सम्मान – जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि मजबूत होती है।

  2. प्रत्यर्पण प्रक्रिया में तेजी – क्योंकि यूरोपीय देश मानवीय पहलुओं पर अधिक ध्यान देते हैं।


आगे का रास्ता

अगर बेल्जियम अदालत भारत के पक्ष में फैसला देती है, तो चोकसी को जल्द ही देश वापस लाया जाएगा। इसके बाद सीबीआई और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) उसके खिलाफ दर्ज मामलों की सुनवाई को आगे बढ़ाएंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि चोकसी की वापसी से न केवल पीएनबी घोटाले की जांच को मजबूती मिलेगी बल्कि यह एक उदाहरण भी बनेगा कि भारत अपने बड़े आर्थिक अपराधियों को किसी भी हाल में छोड़ने को तैयार नहीं है।

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