राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सांसद डामोर ने दिया प्रभावी उदबोधन

News Desk
By News Desk
15 Min Read
WhatsApp Image 2023 02 10 at 5.37.04 PM

राजेंद्र राठौर

विपक्ष इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि राष्ट्रपति एक आदिवासी है,- सांसद गुमानसिंह डामोर

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सांसद डामोर ने दिया प्रभावी उदबोधन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत रत्न सम्मान दिये जाने की मांग उठाई ।

रतलाम/झाबुआ/आलीराजपुर – क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर संसद में समय समय पर अपनी पूरजोर आवाज उठाकर जहां क्षेत्रीय विकास एवं प्रधानमंत्री की हितग्राही मूलक योजनाओं, कार्यक्रमों, क्षेत्रीय विकास को लेकर अपनी भावनायें प्रकट करके संसद में भी उपस्थित सांसदों की प्रसंशा बटोरने मे पीछे नही रहते है । सांसद गुमानसिंह डामोंर ने 9 फरवरी गुरूवार को भी संसद में महामहिम राष्ट्रपति महोदया के अभिभाषण पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ’’ मेरे विपक्ष के मित्रों ने खूब विरोध किया, यह विरोध इसलिए था कि राष्ट्रपति महोदया आदिवासी है । विपक्ष इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि राष्ट्रपति एक आदिवासी है,। कांग्रेस पार्टी को आडे हाथ लेते हुए उन्होने आगे कहा कि आजादी के बाद 60 साल तक कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए आदिवासियों का क्या विकास किया ?’ ’कुछ भी नहीं…. और ना ही कभी उचित सम्मान दिया’।

रतलाम झाबुआ अलीराजपुर के सांसद गुमान सिंह डामोर ने लोकसभा में बजट सत्र के दौरान बजट पर सामान्य चर्चा में व्यक्तत्व देते हुए कहा कि अमृत काल में अगले 25 वर्षों के राष्ट्र विकास पथ का रेखांकन करते हुए वर्ष 2047 तक भारत को गरीबी से मुक्त कराने वाले इस बजट को मैं उसकी आधारशीला मानता हूं। हमारी वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त करता हूं ,जिन्होंने हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री परम आदरणीय मोदी के नेतृत्व में एक समावेसी बजट प्रस्तुत किया है। उन्होने आगें कहा कि आप जानते हैं कि यह बजट अमृत काल का सप्तऋषि वाला बजट है, जिसकी सात प्राथमिकताएं हैं। ये प्राथमिकताएं क्या है,? ये प्राथमिकताएं हैं, किसान, ग्रामीण जनसंख्या, जनजाति, महिला, सहकारिता, विश्वकर्मा, मध्यम वर्ग, वरिष्ठ नागरिक, एमएसएमई, व्यापार, स्वास्थ, शिक्षा, कौशल और युवा। डामोर ने कहा कि मैं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सुन रहा था। हमारे मित्रों ने उस अभिभाषण का खुलकर विरोध किया, हर बात का विरोध किया। हमारी यात्रा के दौरान हमको देखने को क्या मिला? मैं आपके माध्यम से विपक्षी मित्रों से पूछना चाहता हूं कि आपको तकलीफ किससे है? क्या आपको तकलीफ आदिवासियों से है, आपको तकलीफ विद्यार्थियों से है, आपको तकलीफ युवाओं से है, आपको तकलीफ किसानों से है, आपको तकलीफ विश्वकर्माओं से है या आपको तकलीफ सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से है ? आपको किससे तकलीफ है? आपको परेशानी क्या है? मैंने पूरी बात सुनने के बाद मनन किया तो निष्कर्ष निकला कि विपक्ष के हमारे मित्रों को तकलीफ है और वह तकलीफ इस बात की है कि इस देश की महामहिम राष्ट्रपति आदिवासी समाज की हैं। आदिवासी समाज के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा बजट अभिभाषण पढ़ा गया, उसे लेकर बहुत तकलीफ है। इन्होंने 50-60 साल तक आदिवासियों को नहीं देखा, इन्होंने 50-60 साल तक आदिवासियों को आगे नहीं बढ़ने दिया। इन्होंने हर तरफ से आदिवासियों को दबाया, चाहे शिक्षा का मामला हो, चाहे स्वास्थ्य का मामला हो या रोजगार का मामला हो। इन्होंने हर क्षेत्र में आदिवासियों को दबाया।
डामोर ने आगे कहा कि सभापति , मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि आज हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री परम आदरणीय नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनजाति समाज, अनुसूचित जाति समाज, किसान और युवा सब विकास कर रहे हैं, लेकिन यह विपक्ष के मित्रों को पसंद नहीं आया। मैं आपसे कहना चाहता हूं कि विपक्ष के हमारे मित्रों ने जनजाति समाज के स्वतंत्रता वीरों और सेनानियों को पूरी तरह से भुला दिया। वे कौन थे? मध्य प्रदेश से रानी दुर्गावती, राजा शंकर शाह, टंटिया भील, उत्तराखंड से नंदराम नेगी, कृष्ण चंद्र, झारखंड से भगवान बिरसा मुंडा, बिहार से तिलका मांझी तमाम स्वतंत्रता सेनानी थे, लेकिन इनको कभी याद नहीं किया और उनके इतिहास पर और कचरा डाल दिया, ऐसे हैं विपक्ष के हमारे मित्र ।
डामोर ने अपनी बात को बढाते हुए आगे कहा कि हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री ने जनजाति समाज के स्वतंत्रता संग्राम के जन नायकों का मान-सम्मान किया है। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि 15 नवंबर, 2021 को यशस्वी प्रधान मंत्री भोपाल आए और भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती के अवसर पर 15 नवंबर को गौरव दिवस घोषित करके पूरे देश के जनजाति समाज को गौरवान्वित महसूस कराया। यह काम हमारे देश के यशस्वी प्रधान मंत्री ने किया है। ये बातें विपक्ष के हमारे मित्रों को कैसे पसंद आएंगी? जब जनजाति समाज पूरे तरीके से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ा है, प्रधान मंत्री मोदी के साथ जुड़ा है। इनके पेट में इसीलिए दर्द हो रहा है कि इनका साथ छोड़ दिया। ये आज अनाथ जैसे हो गए हैं, इनको कोई पूछने वाला नहीं है और इनके साथ कोई घूमने वाला है। यह स्थिति हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री ने कर दी है, इसलिए इनके पेट में दर्द है और इसीलिए इन्होंने महामहिम राष्ट्रपति के अभिभाषण का विरोध किया। यही कारण है कि ये आदिवासी समाज को देखना नहीं चाहते हैं। अभिभाषण महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पढ़ा गया, उनका सम्मान करना चाहिए था।…
सांसद डामोर ने अपनी पूरजोर आवाज में कहा कि मैं आपको कहना चाहता हूं कि हमारे देश में आज लगभग 12 करोड़ जनजातियां हैं। 12 करोड़ जनजातियों की आज तक यानी 50-60 सालों तक अनदेखी होती रही और आज पहली बार मान-सम्मान हो रहा है। इस मान-सम्मान के कारण आपके पेट में दर्द क्यों उठ रहा है? आपको क्या परेशानी है? आपको सम्मान करना चाहिए कि पहली बार पिछड़े, कुचले और वंचित लोगों को उनका अधिकार दिया जा रहा है, समाज में बराबरी का अधिकार दिया जा रहा है। आपको इस बात का सम्मान करना चाहिए। मैं आपको एक बात और बताना चाहता हूं कि राजस्थान में मानगढ़ धाम है, जहां 1500 आदिवासियों को भून दिया गया था। परन्तु, इतिहास में उसका जिक्र नहीं हुआ। पहली बार 1 नवम्बर, 2022 को प्रधानमंत्री वहां गए और उन 1500 जनजातीय वीर नायकों को श्रद्धांजलि व्यक्त की। यह मानसम्मान की और गौरव जगाने की बात है। इतना ही नहीं, हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री गरीबों के लिए हर प्रकार की योजना लेकर आए हैं। वे गरीबों को आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सक्षम कर रहे हैं। प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत पिछले दो सालों में 80 करोड़ से अधिक लोगों को निःशुल्क अनाज दिया गया है। मेरी लोक सभा क्षेत्र के लगभग 95 प्रतिशत आबादी को इसका लाभ मिला है। मैं झाबुआ, अलीराजपुर और रतलाम में गया था। वहां मैंने वृद्ध महिलाओं, बेटियों और बहनों से पूछा कि ये आपको कौन दे रहा है तो हर कोने से आवाज आई कि बाबा प्रधान मंत्री दे रहा है। हमारे यहां श्बाबा’ बहुत सम्मानजनक शब्द है। मैंने पूछा कि बाबा कौन हैं, तो उन्होंने कहा कि मोदी दे रहे हैं। आज गाँव-गाँव और घर-घर में प्रधानमंत्री का नाम लिया जा रहा है। ऐसे हमारे प्रधान मंत्री जी हैं और नाम क्यों नहीं लेना चाहिए। मेरे क्षेत्र में लगभग सभी आवासहीनों और भूमिहीनों को प्रधान मंत्री आवास दिए गए हैं। जो 2 करोड़ 79 लाख आवास बनाए गए हैं, उसका अधिक लाभ जनजातीय समाज और आदिवासी समाज को मिला है। आज आजादी के अमृतकाल में पहली बार जो 75 प्रिमिटिव टाइप्स हैं, उनके लिए प्रधानमंत्री पीबीजीटी मिशन चलाया गया है। उन 75 समूहों के लिए भारत शासन द्वारा 75 अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। जो पिछड़े हुए हैं, उनको बराबरी पर लाने के लिए 15000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इन 15000 करोड़ रुपये से वहां सड़कें बनेंगी, पीने के पानी की व्यवस्था होगी, वहां मोबाइल टॉवर लगेंगे, वहां स्कूल बनेंगे और वहां स्वास्थ्य सुविधाएं भी बढ़ेंगी। इन सब चीजों के बारे में किसने सोचा? इन सब चीजों के बारे में हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने सोचा है।
सांसद डामोर ने लोकसभा में खचाखच भरे हाल में अपने वक्तव्य देते हुए आगे कहा कि सभापति , हमारे क्षेत्र में उज्ज्वला गैस योजना के अंतर्गत लगभग सभी परिवारों को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। मेरा क्षेत्र वनवासी और जंगल वाला क्षेत्र है। वहां पर विद्युत एक बहुत बड़ी समस्या थी । चन्द्रशेखर आजाद की जन्मस्थली अलीराजपुर जिले में भाबरा नामक जगह में है। उस भाबरा विकास खंड में वन होने के कारण विद्युतीकरण नहीं हो पा रहा था, लेकिन मुझे यह कहते बहुत खुशी और गर्व है कि ‘सौभाग्य योजना’ के अंतर्गत शत-प्रतिशत घरों में विद्युतीकरण हो गया है। आज हमारा आदिवासी भाई बल्ब की रौशनी में अपना जीवन-यापन कर रहा है और पढ़ाई भी कर रहा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत हमारे हर आदिवासी भाइयों के घर में शौचालय बनाए गए हैं। मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि अगर सबसे ज्यादा किसी चीज पर ध्यान दिया गया है तो शिक्षा पर दिया गया है। मेरे लोक सभा क्षेत्र के हर विकास खंड में एकलव्य रेसिडेंशियल मॉडल स्कूल है और एक स्कूल में 490 बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों के लिए 38,800 शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती हो रही है। हमारे क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिलेगी। मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि जनजातीय समाज का दूसरा कार्यक्रम, जो बहुत महत्वपूर्ण है, 112 आकांक्षी जिले बनाये गए हैं। वे सभी आकांक्षी जिले जनजातीय जिले हैं। इन आकांक्षी जिलों में सब तरह की, शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, जो दूसरा सबसे महत्वपूर्ण और हमारी फ्लैगशिप स्कीम है, वह ’जल जीवन मिशन’ है।

सभापति , मैं आपको बताना चाहता हूं कि दूर से पानी लाते-लाते हमारी माताओं और बहनों के सिर के बाल घिस गए थे। आज उन माताओं और बहनों के चेहरे पर चमक है, खुशी है और गौरव का भाव है, क्योंकि उनके घर में नल से पानी मिल रहा है। इस प्रकार से जनजातीय क्षेत्रों में इस बजट में हर प्रकार से विकास करने का प्रयास किया गया है। इसके लिए मैं अपने यशस्वी प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं रेल मंत्री का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं।
डामोर ने आगे कहा कि हमारे रेल मंत्री ने इंदौर-दाहोद रेलवे लाइन जो कि मेरे लोक सभा क्षेत्र से गुजरती है, उसके लिए 440 करोड़ रुपये दिए हैं। दूसरा, छोटा उदयपुर से धार रेलवे लाइन के लिए 355 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। उसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। मैं नितिन गडकरी का भी आभार व्यक्त करता हूं कि मेरे क्षेत्र में ग्रीन वे और 8 लेन एक्सप्रेस वे का शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण कर दिया गया है। मैं मंत्री को निमंत्रण देता हूं, ताकि वे आएं और उसका शुभारंभ करें। अगर आप देखेंगे, तो जनजातीय समाज के विकास के लिए हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी है। मध्य प्रदेश में जनजातीय विकास के लिए एक और कानून आया है, वह पेसा एक्ट है। संविधान की 5वीं अनुसूची के प्रावधान के अनुसार मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में 15 नवंबर, 2022 को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा की गई थी। उस एक्ट के लागू होने से जो हमारे आदिवासी भाई हैं, अगर मैं एक लाइन में कहूं, तो वे जल, जमीन और जंगल के मालिक बने हैं। मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां पर जनजातीय समाज के घरों में राशन पहुंचाया जा रहा है। हमारे मध्य प्रदेश के जनजातीय समाज में सबसे बड़ी बीमारी सिकल सेल है, उसकी शत-प्रतिशत स्क्रीनिंग करके, उनका इलाज भी किया जा रहा है। इस बजट में वर्ष 2047 तक सिकल सेल को समाप्त करने की बात की गई है। परंतु मध्य प्रदेश में ये काम शुरू हो गया है। महोदय, मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री समाज के सभी वर्गों का ध्यान रख रहे हैं, वे सभी वर्गों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, क्या उनको भारत रत्न नहीं दिया जाना चाहिए? मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री को भारत रत्न देना चाहिए। मैं अपनी बात समाप्त करने से पहले एक पंक्ति और कहूंगा- ’तेवर तो हम वक्त आने पर दिखाएंगे ही, चाहे तुम कुछ भी कर लो, हुकूमत तो हम ही चलाएंगे।
क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर के इस भाषण की पूरे सदन ने मेजे थपथपा कर स्वागत किया तथा उन्हे लोकसभा में आदिवासी अंचल का सच्चा प्रतिनिधि निरूपित किया ।

सलग्न- संसद मे गुरूवार को वक्तव्य देते हुए सांसद गुमान सिंह डामोर

Share This Article
Leave a Comment