महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर हुआ राष्ट्रीय काव्य संग्रहों का विमोचन

News Desk
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राजेंद्र राठौर

झाबुआ, मध्य प्रदेश। अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं अखिल भारतीय क्षत्रिय जागरण मंच के बैनरतले स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर सिद्धेश्वर कॉलोनी में शौर्य,साहस,महापराक्रमी , मातृ भूमि पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले मेवाड़ केसरी महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर समाज सेवी बलवीरसिंह सोहल के मुख्य आतिथ्य में विचार एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया । सर्व प्रथम महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित मुख्य अतिथि एवं उपस्थित साहित्यकार – कवियों ने की। सरस्वती वंदना के साथ ही वरिष्ठ कवि पी. डी. रायपुरिया ने महाराणा प्रताप पर रचित काव्य रचना सुनाई और तालियां बटोरी।

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वरिष्ठ साहित्यकार पंडित गणेश प्रसाद उपाध्याय ने महाराणा प्रताप एवं गुरु गोविंदसिंह और उनके पुत्रों के बलिदानों का सटीक उदाहरणों के माध्यम से अपने उद्बोधन बताया साथ ही वीर रस की कविता सुनाकर वाह वाही लूटी ।कवयित्री श्रीमती मंगला गरवाल ने भी महाराणा प्रताप और पूंजा भील पर केंद्रित रचना सुनाई और तालियां बटोरी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं अखिल भारतीय क्षत्रिय जागरण मंच के जिलाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार कवि भेरूसिंह चौहान “तरंग” ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए ओज भरी महाराणा प्रताप पर केंद्रित “राणा का बलिदान” स्वरचित कविता “नमन करें हम शौर्य पुत्र को उनके स्वाभिमान को , याद करें हम मिलकर सारे राणा के बलिदान को” सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया । उन्होंने बताया कि उनकी उक्त कविता राजपूत समाज,रतलाम द्वारा आयोजित महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर “निमंत्रण पत्र”पर प्रकाशित किया जाता रहा है ।समाज सेवी बलवीरसिंह सोहल ने अपने उद्बोधन में कहा कि बहु संख्यक हिंदुओं की परस्पर दुश्मनी और फूट के कारण ही वर्षों तक मुगलों और अंग्रेजों ने शासन किया । इस अवसर पर इंशा पब्लिकेशन , दिल्ली से प्रकाशित चार राष्ट्रीय साझा काव्य संग्रहों जश्न ए आजादी, ध्यान और शांति, गौमाता, एवं हिंदी हिंदुस्तानी प्यारी भाषा का विमोचन भी किया गया जो कि संरक्षक निर्दोष जैन “लक्ष्य”,संपादक जयवीर सिंह “शोधार्थी”सह संपादक मीना बंधन, रिंकू दुबे “वैष्णवी” के मार्ग दर्शन में प्रकाशित हुआ । गौर तलब है कि उक्त राष्ट्रीय साझा काव्य संग्रह में झाबुआ साहित्यकार भेरूसिंह चौहान “तरंग” की रचनाओं को भी सम्मिलित किया गया है । आदर्श विद्या मंदिर के संस्थापक सुरेश चंद्र जैन ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए आभार माना ।कार्यक्रम का सफ़ल संचालन भेरूसिंह चौहान “तरंग”किया ।

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