NCERT बदलेगा भारत का इतिहास

Aanchalik Khabre
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NCERT की नई पहल: अब इतिहास में मिलेगा भूले-बिसरे योद्धाओं को सम्मान

शामिल होंगे इतिहास के वो पहलु जिनसे आप अब तक थे अनजान
NCERT की नई किताबों में भूले-बिसरे योद्धाओं की होगी वापसी
योद्धाओं के नाम सुनकर आप भी खुद से पूछ बैठेगे –
“आखिर किताबों से क्यूँ गायब थे यह योद्धा?”


स्कूलों के इतिहास पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव

दरअसल NCERT अब स्कूलों में इतिहास के पाठ्यक्रम को बदलने वाला है।
जी हाँ, NCERT की नई किताबों में अब इतिहास के पन्नों से गायब हो गए योद्धाओं और शासकों की वापसी हो गई है।
नई पीढ़ी अब उन नामों को भी पढ़ेगी, जिन्होंने अपने क्षेत्र और संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया, लेकिन अब तक इतिहास की किताबों में जगह नहीं मिली थी।


इन योद्धाओं की होगी वापसी

इन नई किताबों में ओडिशा के गजपति शासक नरसिंहदेव प्रथम, समुद्री हमलों का सामना करने वाली वीरांगना रानी अबक्का प्रथम और द्वितीय, और त्रावणकोर के मार्तंड वर्मा जैसे क्षेत्रीय शासकों की कहानियां जोड़ी गई हैं।

ये वही मार्तंड वर्मा हैं, जिन्होंने त्रावणकोर राज्य को एक सशक्त शक्ति के रूप में स्थापित किया और डच ताकतों को हराकर दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत की।


सिख इतिहास को भी मिलेगा उचित स्थान

अब से किताबों में सिख इतिहास भी शामिल किया जायेगा।

  • गुरु नानक देव जी की आध्यात्मिक यात्राओं

  • गुरु गोबिंद सिंह जी के सैन्य प्रतिरोध

  • खालसा पंथ की स्थापना

  • गुरु तेग बहादुर की शहादत

  • और 19वीं सदी के मध्य तक सिख साम्राज्य का ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष

यह सब अब स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा।


मराठा इतिहास का भी होगा विस्तार

सबसे बड़ी बात, मराठा इतिहास को भी अब बच्चों तक पूरी गहराई में पहुंचाने की कोशिश की गई है।
पहले 8वीं कक्षा की किताब में मराठाओं पर सिर्फ डेढ़ पेज की जानकारी थी, लेकिन अब 22 पेज का विस्तार दिया गया है।

 इसमें पढ़ाया जाएगा:

  • छत्रपति शिवाजी महाराज का उदय

  • रायगढ़ किले में उनकी भव्य ताजपोशी

  • गुरिल्ला युद्ध रणनीतियां

  • प्रशासन और स्वराज की स्थापना तक की पूरी कहानी

 शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठाओं ने जिस तरह स्वराज की भावना को मजबूत किया, वह अब नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा।


इतिहास अब सिर्फ एक विषय नहीं, प्रेरणा का स्रोत बनेगा

कुल मिलाकर, NCERT की इन नई किताबों में अब इतिहास को सिर्फ एक विषय के रूप में ही नहीं पढ़ा जाएगा, बल्कि इसमें भूले-बिसरे शूरवीरों और संतों के योगदान को जानने और उनसे प्रेरणा लेने का अवसर भी मिलेगा।

अब देखना होगा कि बच्चों में इन नए पाठों को लेकर क्या उत्साह दिखता है।

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