इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालू खनन पट्टा निरस्त कर रॉयल्टी वसूली व दो साल के लिए ब्लैक लिस्ट करने के जिलाधिकारी प्रयागराज के 21 जून 2019 के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करते समय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने राज्य सरकार को नियमानुसार विहित प्रक्रिया के तहत कार्यवाही करने की छूट दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति बी के नारायण तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने सुनील रजक की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची को फरवरी 2018 में बारा तहसील के प्रतापपुर गांव में आठ एकड़ यमुना किनारे बालू खनन का पांच साल का पट्टा दिया गया था। एक लाख 60 हजार क्यूबिक मीटर बालू साल भर में खोदा जाना था। याची ने निर्धारित धनराशि जमा कर दी। कुंभ मेले के कारण वह निर्धारित बालू खनन नहीं कर पाया और खनन विभाग को प्रत्यावेदन दिया। दूसरी तरफ विभाग ने नए साल के पट्टे की किस्त जमा करने की नोटिस दी। किस्त जमा न करने पर पट्टा निरस्त कर दिया गया और अधिक समय तक खुदाई की रॉयल्टी मांगी। साथ ही उसे ब्लैक लिस्ट भी कर दिया गया। यह कार्यवाही जिलाधिकारी के आदेश पर की गई थी।
कोर्ट ने कहा उन्हें इसका अधिकार नहीं था। दूसरी तरफ ब्लैक लिस्ट करने की कार्यवाही में प्रक्रिया की अवहेलना की गई, जिस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया
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