प्रेम में हास्य-व्यंग्य | वेलेंटाइन वीक स्पेशल-आंचलिक ख़बरें-कवि- महेश प्रसाद मिश्रा

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“”प्रेम में हास्य-व्यंग्य””
वेलेंटाइन वीक स्पेशल

फकत प्रेमी अब सर्च होते हैं, फेसबुक के प्रोफाईल पर
फ़िदा होते देख एक-दूजे के, मार्डन ड्रेसअप स्टाईल पर
इंस्टाग्राम, मैसेंजर में ही, इसकदर प्यार से मिलते हैं
जैसे मल्टी चार्जर हम हैं लगाते, चार्ज करते मोबाईल पर।

प्रेमरोग का छाला दिल में, पीड़ा वो असहनीय सहते हैं
लब रखते खामोश मगर, आंखों से सबकुछ कहते हैं
ग़म के ऐसे निवाले निगले की, खुद में जिंदा लाश हुए
फिर भी जख्म छिपाकर अपने, हर पल हंसते रहते हैं।

लगता है नही होगें सफल कभी,
कर रहे इश्क में जो अबतक शोध‌
व्यथित रहते सजनी के लिए हैं, मन को कराते रहते वो बोध
आंख नाम की झील में जाकर, जाने साजन कैसे डूबते हैं
है पता लगाना बहुत कठिन, शोधार्थी अबतक हैं जो अबोध।

इश्क, मोहब्बत, प्यार है होता, शब्द केवल प्लीज पर
लड़कियां-लड़के खड़े, अश्लीलता की दहलीज पर
रिस्ते ऐसे जुड़ रहे हैं, जैसे कोई कांट्रेक्ट हो
दिल लेने-देने हैं लगे सब, कुछ दिनों की लीज पर ।

मत इतना इतराओ प्रिये तुम, खास न कोई सूरत है
गलत फहमी में मत रहना की, कोई तुमको घूरत है
नजरें अगर तुम पर हैं हमारी, दो साधुवाद इन चछुओ को
उम्र ढलते फिर काया तुम्हारी, फ्रेम में लगी इक मूरत है।

कवि- महेश प्रसाद मिश्रा
मध्यप्रदेश ( कोतमा )

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