बचपन की वो यादें-आंचलिक ख़बरें-शनि केसरी

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ज़िन्दगी में एक मोड़ ऐसा आता है जब हम पीछे देखते हैं तो एक पूरा का पूरा किस्सा याद आ जाता है , और इन्हीं यादों को अपनी कला के माध्यम से एक चित्र में दिखाना अत्यंत कठिन भी है और सराहनीय भी , जिसे राजन मालुजा (चित्रकार) ने बड़ी लगन , तपस्या और कड़ी मेहनत के बाद ये चित्र अपने ग्राहक के अनुरोध पर बनाया है ।

इस चित्र में राजन जी ने एक पिता पुत्र की एक अनोखी कहानी को अपनी कला के माध्यम से प्रस्तुत किया है । और नाम दिया है (पुत्र पिता के संरक्षण में)

एक पिता कितना अहम होता है एक पुत्र के जीवन में वोह हर एक पल हर एक लम्हा जिसे पुत्र अपने पिता के साथ जीता है ।

(कविता)………..
सूरज की रोशनी सा होता है बेटे पर पिता का साया ।
जो कुछ भी मैंने चाहा सब पिता की बदौलत ही पाया ।।

ओ मेरे प्यारे पापा । ओ मेरे प्यारे पापा ।

वोह रोज़ सुबह आंगन में पेड़ के नीचे मुझे पाठ पढ़ाना ।
अच्छी बुरी हर तरह की सीख का रोज़ मेरा ज्ञान बढ़ाना।।

ओ मेरे प्यारे पापा । ओ मेरे प्यारे पापा ।

उन्होंने ही सबसे पहले मुझे अपने स्कूल के लिए बस्ता दिखाया ।
हमेशा हर राह पर मेरी रहनुमाई करके मुझे रास्ता दिखाया ।।

ओ मेरे प्यारे पापा । ओ मेरे प्यारे पापा ।

इस तस्वीर के तसव्वुर से याद आता है राजन वो दौर ।
कैसे कैसे हुई है ये कहानी पूरी मुझे याद है राजन वो दौर ।।

ओ मेरे प्यारे पापा । ओ मेरे प्यारे पापा ।
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कैसे एक चित्रकार अपनी कला के माध्यम से एक कैनवस के माध्यम से कितनी सारी भावनाओं को उजागर कर देता है !
इस चित्रकारी में दिखाया गया है…….

एक पिता या बाबा जिन्हें हम अलग-अलग नामों से बुलाते हैं क्योंकि वह हमारे जीवन में कई लोगों की भूमिका निभाते हैं वह हमें कई तरीकों से सिखाते हैं ।

(कविता)………..
मेरे ख़्वाब को अपने हाथों से , फिर हकीक़त बनाओ राजन ।
इस ख़्वाब की ताबीर को अपने रंगों से फिर सजाओ राजन ।।

इन तस्वीरों में एक अलग सी ज़िन्दगी महसूस होती है ।
इन जिंदा तस्वीरों में एक बार फिर से जान लगाओ राजन ।।

इनमे सिर्फ एक कहानी नहीं , ये तस्वीर हकीकत बोलती है ।
क्या है तुम्हारी पहचान , इस तस्वीर से दुनिया को दिखाओ राजन।।
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हमारा हाथ पकड़कर यह दिखाने के लिए कि यह कैसे किया जाना चाहिए हमें हर कदम पर अवसर प्रदान करके , हमारे समक्ष चुनौतियों को प्रस्तुत करके, और कभी-कभी हमें निर्देशित ना करके , ताकि हम संघर्ष करें जिससे कि हम मजबूत बन सके

वह हमारे जीवन के शुरुआत से ही हमारे जीवन-प्रणाली की और हमारे मूल्यों की रूपरेखा तय करता हैं कभी विश्वसनीय ताकत बनकर, तो कभी चट्टान बनकर .
वह व्यक्ति (पिता) जो खुद को दुनिया के कठोर मौसम से हमें सुरक्षित रखने के लिए यह सब कर लेता है
जब तक हम बड़े हो जाते हैं तब तक हम उस दोस्त , दार्शनिक मार्गदर्शक ,और संरक्षक के साथ रहने की और उनके सुविचार ओं की आदत हो जाती है
हर कदम हम जब उनके पीछे उठाते हैं , और हर कदम जब उनके साथ उठाते हैं, और हर कदम जब हम उनके बिना उठाते हैं ,
जब वह हमारे साथ होते हैं और जब वह नहीं होते हैं हमारे पंखों में ताकत , हमारे अंदर आत्मविश्वास , हमारे विश्वासों में दृढ़ता , हमारे विचारों में शक्ति , हमारी शक्ति का विस्तार, उस आदमी से पैदा होता है जिसे हम फादर , डैडी, या बाबा के रूप में जानते हैं ।
इस चित्र में राजन जी ने अपनी कला के माध्यम से यही सब प्रदर्शित करने की कोशिश की है जिसे उन्होंने कई दिनों की मेहनत और कड़ी तपस्या के बाद तैयार किया है
इस चित्र में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पूर्व स्मृति का स्मरण होगा । इस चित्र के माध्यम से सभी को अपने बचपन का एक पन्ना याद आएगा ।
ईशान अंसारी (लेखक और शायर)

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