सिंगरौली-रातो-रात पिपरालाल में डम्प हो रहा लाखों का कोयला-आंचलिक ख़बरें-अजय पांडेय

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इस काले कोयले के खेल में जयंत पुलिस, सीआईएसएफ की मिली भगत व सफेदपोश नेताओ के संरक्षण में हजारों ट्रैक्टर गोलाई बस्ती से कोयला लेकर पहुंच रहे पिपरालाल जहॉ से कोयला ट्रेलर मे लोड कर के सभी कोल विक्रेताओ तक पहुंचता है।

सिंगरौली
एनसीएल,एनटीपीसी कम्पनी मे कोल ट्रॉंस्पोर्टरो व नेताओ के सह से किया जाने वाला कोयले के कारोबार कि जानकारी सभी को पता है।
तभी तो ,,,,,,
-सीआईएसएफ व जयंत पुलिस के मिलीभगत से एनटीपीसी,एनसीएल का कोयला, कोयला माफियाओं के अड्डे पर पहुंच रहा है। क्योंकि यह कोयला का खेल रातो-रात ट्रैक्टरों से लोड कर हजारों ट्रिप गोलाई बस्ती से पिपरालाल पहुंच रहा है। इस खेल में प्रतिदिन लाखों रूपये का वारा-न्यारा कर एनसीएल व एनटीपीसी को चूना लगाया जा रहा है। इस खेल को बढ़ावा जयंत पुलिस व सीआईएसएफ के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसी का हाथ माना जा रहा है। जो भी हो लेकिन सूत्रों की बात मानें तो इस खेल में मोटी रकम वसूला जा रहा है।

दरअसल सूत्रों की बात मानें तो इन दिनों एनसीएल के द्वारा जो ट्रेन से कोयला एनटीपीसी शक्तिनगर व विन्ध्यनगर के लिए भेजा जा रहा है उस ट्रेन को गोलाई बस्ती के पास रोककर कोयला उतरवाया जाता है,और यह खेल पूरी रात चलता है। जब गोलाई बस्ती में कोयला को डम्प कर दिया जाता है तो टै्रक्टरों के माध्यम से रातो-रात उक्त अवैध कोयले को पिपरालाल पहुंचाया जाता है। बताया जाता है कि गोलाई बस्ती से जब टै्रक्टरों पर कोयला लोड होता है तो उस दौरान सैकड़ों की संख्या में मजदूर कोयला लोड कर पिपरालाल में डम्प करवाते हैं। जिस समय कोयला गोलाई बस्ती से पिपरालाल पहुंचता है तो इसकी जानकारी जयंत पुलिस व सीआईएसएफ के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसी को भी रहती है। यहां तक कि इन वाहनों की रखवाली भी की जाती है। ताकि किसी की नजर इन वाहनों पर न पड़े कि बात वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचे। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि जयंत पुलिस के कारनामों की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को भी है।  लेकिन कुछ भी करने से अधिकारी भी कतरा रहे हैं। बताया जाता है कि इस खेल में कई सफेदपोशधारियों का भी हाथ है जो कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस बनकर काले कोयले के नाम पर लाखों रूपये की चोरी कर रहा है।

गोलाई बस्ती में उतरता है कोयला

एनसीएल से ट्रेन पर कोयला लोड कर जब एनटीपीसी विन्ध्यनगर व शक्तिनगर के लिए कोयला चलता है तो गोलाई बस्ती के पास ट्रेन को रोक दिया जाता है। ट्रेन घण्टों तक रूकी रहती है दर्जनों क्या सैकड़ों की संख्या में मजदूर एकत्रित कर कोयला माफिया कोयला उतरवाता है। उक्त कोयले को टै्रक्टरों के माध्यम से लोड कर पिपरालाल पहुंचाया जाता है। यह कोई एक दिन का कारनामा नहीं होता है प्रतिदिन रात में यह खेल चल रहा है। इस खेल की जानकारी जयंत पुलिस को है। यहां तक की कोयला की रखवाली करने वाला सीआईएसएफ व सुरक्षा एजेंसी की मिलीभगत भी बतायी जाती है। इस खेल में लाखों रूपये का कमीशन पुलिस व सीआईएसएफ के साथ सुरक्षा एजेंसी को दिया जाता है। ताकि इसकी भनक किसी और को न लगे।

ब्लैक कोयला बन जाता है एक नम्बर

वैसेे तो यह कोयला चोरी का होता है जिसकी जानकारी पुलिस, सीआईएसएफ व सुरक्षा एजेंसी को भली-भांति है। लेकिन गोलाई बस्ती से जब यह कोयला पिपरालाल पहुंचता है तो वहां खड़े टै्रलर में लोड कराया जाता है। जब कोयला टै्रलर में लोड हो जाता है तो सांठ-गांठ करके ब्लैक कोयले को एक नम्बर बनाकर बनारस के साथ-साथ अन्य जगह सप्लाई कर दिया जाता है। इस अवैध कारोबार में लाखों रूपये की बंदरबांट कमीशन के रूप में की जाती है और यह पूरा कारोबार कुछ तथाकथित सफेदपोश नेताओं के संरक्षण में चल रहा है।

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