एस .ज़ेड.मलिक
नई दिल्ली – आज विश्व संशय, और उथल पुथल, तथा मन्दी के दौर से गुज़र रहा है । ऐसे में भारत में जहां आम जनजीवन असमंजस में और सशंकित है वहीं भारत के विचारवान और बुद्धिजीवी संशयी, अचंभित, संकोचित तथा चिंतित हैं । इसी संदर्भ में पिछले दिनों राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत सरकार उपक्रम से प्रगति मैदान में आयोजि विश्व पुस्तक मेले में “एबीडीएस” के निदेशक दीपांकर सिन्हा की ओर से प्रगती मैदान के हाल नम्बर आठ में ” भारत का बदलता चेहरा ” संवाद व परिचर्चा पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया एवं इस अवसर पर ” शमशु ज़ोहा मलिक(एस. ज़ेड.मलिक) द्वारा उर्दू में लिखित जो रोशन लाल अग्रवाल द्वारा लिखित गरीबी रेखा नही – अमीरी रेखा” पर आधारित पुस्तक “एकतेसादी इंसाफ – वक़्त का तकाजा ” रोशन लाल अग्रवाल (विचारक एवम लेखक ) द्वारा लिखित हिंदी और अंग्रेज़ी मे लिखित पुस्तक “गरीबी रेखा नही अमीरी रेखा और The wealth Line” का विमोचन किया गया ।
इस अवसर आयोजक ‘ दीपांकर सिन्हा ने “भारत का बदलता चेहरा” विषय पर अपना वैचारिक तर्क रखते हुए चर्चा का आरम्भ किया, इस परिचर्चा में भाग लेने पहुंचे लेखक एवं विचारक श्री रोशन लाल अग्रवाल ने सरकारी तंत्र पर सवाल खड़ा करते हुए कहा समस्या गरीबी और अमीर का है जहां समान अधिकार होना चाहिए वहां भेद भाव के बीच आम साधारण कमज़ोर कम आयस्त्रोत के असहाय गरीब आदमी परीशान हो रहा है और अमीर अधिक से अधिक धन जमा कर साशक बना दमनकारी हुकूमत कर रहा है और लोग उसे सह रहे हैं , उन्होंने समाधन के प्रति सुझाव देते हुए कहा कि सरकार के गलत नीतिओ के कारण लोग आज अस्तव्यस्त हैं जिसे सरकार चाहे तो चुटकियों में समाधान कर सकती है । उन्होंने कहा सरकार पारदर्शिता का क़ानून बनाये गोपनीयता का क़ानून समाप्त कर , सारे टेक्स को प्रदर्शित कर, अमीरी रेखा बनाये ताकि गरीब को आगे बढ़ने अवसर मिले और अमीरी रेखा तय करने बाद लोगों में सरकार का डर पैदा हो कि इससे ऊपर हुआ तो पर्तमान मूल्यों के हिसाब से सरकार को ढाई प्रतिशत टेक्स भरना पड़ेगा । और सरकार भारत के हर नागरिकों को जन्म से लेकर मृत्यु तक 10,000 ₹ नागरिकता भत्ता के रूप में दे पर प्रवधान से भारत अपराध्य कम से कम हो जाएंगे। विकास स्वयं जनता करेगी बदलाव तो अपने आप देखने को मिलेगा ।
वहीं उपस्थित मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाज सेवी एवं मौलाना आज़ाद उर्दू विश्वविधालय के चांसलर फ़िरोज़ बख्त ने हैदराबाद के मौलाना आज़ाद उर्दू विश्वविद्यालय में हो रहे व्याप्त भ्रष्टाचार और मनमानियों को उजागर करते सरकारी आला पदाधिकारियों के नीतियों पर निराशा व्यक्त की, तथा आज के बिगड़ते माहौल विचार और चिंता स्पष्ट करते हुए नागरिकता कानून पर भारत के आम नागरिकों को तथा विशेष कर मुस्लिम समुदाये को भृम न होने की सलाह देते हुए अफवाह से बचने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा की इसमें कोई शक नही की भारत 2014 से अब तक काफी बदला है लोगों की सोंच बदली है लोगों के काम का तरीका बदला है और भारत की तकनालोजी बदली है। उन्होंने कहा अभी और भी बहुत कुछ बदला जाएगा हमे धैर्य रखना होगा तथा हमे अपनी ईमानदारी के साथ और भी अपने आपको अपने सोंच को बदलने की आवश्यकता, जिससे समाज और देश दोनो पर आपकी अच्छी सोंच का प्रभाव पड़े। उन्होंने कहा हम सब मानव हैं हमारे अंदर मानवता छुपी हुई है हमारे स्वार्थ ने उसे दबा रखा जिसे उभारने की आवश्यकता और हमे अपने मानवता को समाज के सामने एक दूसरे मदद कर के स्पष्ट कर सकते हैं इसके लिये हमें निः स्वार्थ भाव से समाज और देश की हित मे क़दम बढ़ाना चाहिए।
वही उपस्थित आईटी एक्टिविस्ट मो0 अज़ीज़ अहमद ने भारत का बदलता चेहरा” पर अपने वक्तव्य देते हुए कहा कि आज विश्व के साथ साथ हमारे भारत में बदलाव का सबसे बड़ा कारण सूचना तकनीकी है जिसके कारण भारत मे काफी पारदर्शिता आई है उन्होंने भारत मे बढ़ते अपराध के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज बदलते परिपेक्ष में डिजिटल द्वारा सूचना का बहुत बड़ा महत्व है , जो हम आज कल अपने फोन पर बड़े ही आसानी, हमे मिल जाती है और हम एक दूसरे को आसानी से एक दूसरे को सूचना आदान प्रदान करते रहते है उन्होंने कहा कि इसे और भी विस्तार करने आवश्यकता है। जिससे अपराध में और भी कमी आ सके।
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित उड़ीसा एकता परिषद के वरिष्ठ सक्रिय कार्यकर्ता गंधीविद प्रो0 आनंन्त गिरी, बदलते भारत पर ग़ांधी के सत्य और अहिंसा पर आधरित वयाख्यान देते हुए चिपको आंदोलन की चर्चा से अपने वक्तव्य आरम्भ किया उन्होंने चिपको आंदोलन को याद करते महात्मा गांधी के नतृत्व वाली चिपको आंदोलन से जुड़े सुंदरलाल बहुगुणा और चंडीप्रसाद के स्लोगन की चर्चा करते हुए कहा – ” क्या है जंगल का उपकार” – वह है मट्टी पानी का उपहार – जो है मिट्टी पानी का उपहार वह जीवन का आधार !! इस पर अपनी चर्चा करते हुए कहा बदलाव हमारी प्रव्रीति है और बदलाव स्वभाविक है उन्होंने गांधी जी के स्वराज, स्वादेसी की चर्चा विस्तार से की , उन्हें ने कहा हमे गांधी जी के अहिंसा से सीख लेनी चाहिए , बदलाव आवश्यक है परन्तु बदलाव का रास्ता हिंसा नहीं है बदलाव हमे अपने अंदर लान होगा ताकि हमारी और आपकी आने वाली नस्लें हम से सीख ले सकें और वह स्वयं को बदलने में कामयाब हो सकें।
इस अवसर पर गोष्टी अध्यक्षता कर रहे विदेश मंत्रालय से सम्बंधित संस्था के निदेशक आईएएस अमरनाथ दुबे ने सरकार की नई नीतियों से अवगत कराते हुए बताया कि भारत सरकार ने बदलाव के लिये बहुत उपयुक्त क़दम उठाये हैं जो समाज और देश के लिये आने वाले समय मे काफी लाभकारी होगा इसके लिए धैर्य से प्रतीक्षा करना होगा ।
इस अवसर पर इस विचार गोष्टी में विशेष आमंत्रित पैथफाइन्द्र क्लब के सचिव एवं भारत सरका के वीमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट के सेक्शन ऑफिसर नटेसन मुनि जिन्होंने हार्मोनी पर एक एल्बम्ब बनाई है जिसमे उन्होंने स्वयं ही निदेशन किया है और उनका स्वयं का गाना लिखा हुआ उसे गाया मुम्बई फ़िल्म जगत के गायकार जावेद खान ने उस गाने की बोल है “ऐ हिन्दुस्ता तुझे बनाएंगे हम बीसवीं सदी का बादशाह” का एक एलबम्ब बुक का प्रोमोशन किया जिसमे उनके गाने व उनका परिचय है। नटेसन मुनि समाजिक समरसता एवं सामाजिक विकास के चिंतक हैं जो हमेशा समाज के विकास के लिये कुछ न् कुछ नया करने के प्रयासरत रहते हैं।
अंत मे सभा का धन्यवाद वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक शमशु ज़ोहा मलिक ने किया । इस अवसर पर मंच संचालन डॉ0 अशोक कुमार ज्योति ने किया तथा इस अवसर पर जनमानस के अध्यक्ष सैयद हसन अकबर ने भी अपने वक्तव्य दिया। इस अवसर पर समाज सेविका कुसुम जी पत्रकार रफ़ीक़ विसाल युवा समाज सेवी गोपाल सिंह परिहार, सम्पादक श्री मुरार जी, एवं अन्य वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता तथा बुद्धिजीवी विचारक उपस्थित थे ।