आबादी में आवास प्रमाण पत्र देने के लिए पंचायत बाध्य नहीं : जाट-आंचलिक ख़बरें-संजय सोनी

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झुंझुनू।जिले के ग्राम विकास अधिकारियों ने ग्राम पंचायतों के आबादी क्षेत्र व आसपास की सरकारी भूमि पर बसे हुए लोगों के घरेलू विधुत कनेक्शन के आवेदन पत्रों पर आबादी क्षेत्र का प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया है। विधुत निगम द्वारा निर्धारित आवेदन प्रारूप में आवेदक के आबादी क्षेत्र में बसे होने का प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत द्वारा लिये जाने का कॉलम रखा गया है।आवेदक को सुझाव दिया जाता है कि आबादी में निवास करने का प्रमाणपत्र ग्राम पंचायत से प्राप्त करने के बाद ही आवेदन आगामी कार्यवाही के लिये स्वीकार किया जाएगा।कई बार सरपंच द्वारा जोहड़,पायतन,चारागाह या निजी खातेदारी भूमि में बसे लोगों को आबादी क्षेत्र बताकर प्रमाण पत्र जारी कर देने की शिकायतों पर सरपंचों के विरुद्ध कार्यवाही हुई है।पटवारियों ने पहले आबादी क्षेत्र के आसपास बसे लोगों के भूमि के मालिकाना अधिकारों के बारे में प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर रखा है।
इस सम्बंध में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने ग्राम विकास अधिकारियों का समर्थन करते हुऐ निर्देश जारी किये हैं कि आबादी क्षेत्र का पट्टा ही मालिकाना हकों का एक मात्र सबूत है।पट्टे के अलावा ग्राम पंचायत के सचिव या सरपंच आबादी में बसे होने का प्रमाण पत्र नहीं दे सकता।विद्युत निगम सड़क किनारे तथा शहरी क्षेत्रों में केवल आवेदक के शपथ पत्र के आधार पर कनेक्शन देता है तो ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच या सचिव से प्रमाण पत्र लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।अतःकोई सरपंच या सचिव इस प्रकार का प्रमाण पत्र जारी करता है तो अतिक्रमण को प्रोत्साहन देना माना जायेगा।
इसी क्रम में ग्रामीण क्षेत्र के किसी व्यक्ति के जिंदा होने का प्रमाण पत्र जारी करने के लिये ग्राम विकास अधिकारियों को निर्देश दिये गये है,ताकि कोई व्यक्ति पेंसन के लिये परेशान न हो।
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