स्कूल छात्रावास में बालकों से कुकर्म करने वाले प्रबंधक को 10 वर्ष का कठोर कारावास’-आंचलिक ख़बरें-संजय सोनी

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झुंझुनू।पोक्सो न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन ने हेतमसर में एक निजी स्कूल के हॉस्टल में बालकों से अप्राकृतिक मैथुन कराने वाले प्रबंधक वह अध्यापक को 10 वर्ष का कठोर कारावास और 1लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।वहीं एक शिक्षक को इस मामले में बरी किया गया।जुर्माने के 1 लाख रुपय में से 15 -15 हजार रुपए 5 बच्चों तथा 15 हजार रुपए बरी किए गए शिक्षक को बतौर क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएंगे। यह मामला अपने समय का चर्चित मामला रहा था । मामले के अनुसार 10 फरवरी 2017 को एक बालक ने अपनी बहन व बहनोई के साथ मंडावा थाना में रिपोर्ट दी कि वह हेतमसर के एक निजी स्कूल में कक्षा 9 में पड़ता है । उसके स्कूल में अध्यापक और प्रबंधक का काम देखने वाले चूणा चौक निवासी श्रीकांत ने 27 नवंबर की रात उससे कुकर्म किया व उसके बाद उसे डरा धमका कर कुकर्म करता रहा।छात्र के विरोध करने पर स्कूल के बच्चों के सामने अपमानित करने की धमकी देता था । श्रीकांत ने इसके अलावा और भी कई बच्चों के साथ डरा धमका कर उनके साथ गलत काम किया। पुलिस ने जांच के बाद श्रीकांत व एक अन्य शिक्षक रामपाल के विरुद्ध पोक्सो न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया।राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेंद्र सिंह शेखावत तथा पीड़ित बालक की तरफ से पैरवी कर रहे विक्रम सिंह दुल्हड़ ने 21 गवाहों के बयान करवाए।न्यायालय ने श्रीकांत को 5 बालकों के साथ कुकर्म तथा लैंगिक हमले का दोषी माना।शिक्षक रामपाल के मामले में न्यायाधीश ने लिखा कि उनके विरुद्ध कोई रिपोर्ट नहीं दी गई।पीड़ित बालक के अभिभावकों ने बयान में कहा था कि रामपाल ने बच्चों की मदद की रामपाल मदद नहीं करता तो यह मामला उजागर नहीं होता। पीड़ित बालक ने स्वीकार किया कि रामपाल सर ने उनकी दीदी को फोन किया था इस मामले में उनकी मदद की थी। स्कूल के प्रधानाध्यापक विनोद चंद्र शर्मा ने स्वीकार किया है कि रामपाल निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है।इस पर न्यायालय ने रामपाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया आरोपी श्रीकांत को उक्त सजा के साथ साथ धारा 7/8 पोक्सो एक्ट में 5 वर्ष का और कठोर कारावास तथा 30 हजार रुपए का अर्थदंड धारा 11/12 पोक्सो एक्ट में 3 वर्ष का कठोर कारावास वह 20 हजार रुपये का अर्थदंड के आदेश दिए।

दोषी ने होने के बावजूद आरोप पत्र क्यों पेश किया
न्यायाधीश ने निर्णय में यह भी लिखा है कि जांच अधिकारी ने अपनी जिले में माना कि उसने आरोपी रामपाल के विरुद्ध कोई जांच नहीं की रामपाल दोषी भी नहीं पाया गया तत्कालीन जांच अधिकारी भंवरलाल कुमावत द्वारा की गई तफ्तीश का सत्यापन तत्कालीन व्रत अधिकारी ने भी कर दिया तो किस आधार पर रामपाल को अभियुक्त मानकर उसके विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया गया यह पत्रावली कहीं स्पष्ट नहीं है पोक्सो एक्ट में प्रावधानों का दुरुपयोग ने हो इसलिए निर्णय की एक प्रति पुलिस महानिदेशक राजस्थान को भी भेजी जाएगी।

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