बेगूसराय के अपराधिक इतिहास पर अगर गौर फरमाया जाए तो ,एक जमाने में बिहार के क्षितिज पर बेगूसराय का डंका बजा करता था । मगर गाहे-बगाहे अच्छे अधिकारियों के पदस्थापन से जिले के अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगने से जिले की छवि सुधरी थी। किन्तु इन दिनों जिले हीं नहीं वरन् बछवाडा़ विधान सभा क्षेत्र के बनती जा रही साफ-सुथरी छवि पर शायद किसी की नज़र लग गयी है । लगभग एक वर्ष के भीतर बछवाडा़ विधानसभा क्षेत्र अपराधिक घटनाओं पर गौर किया जाए तो अमन पसंद नागरिकों को हिला कर रख दिया है । जिले में एक बार फिर बढ़ते अपराधिक ग्राफ को देख कर बिहार सरकार नें बेगूसराय को नया पुलिस रेंज बनाते हुए यहां डीआईजी को पदस्थापित किया है । बावज़ूद इसके डीआईजी के पदस्थापना के कयी माह गुजर जाने के बाद भी नतीजा वही “ढाक के तीन पात” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। अभी हाल हीं गत 07 दिसंबर को बछवाडा़ के एक अपराध कर्मी नें तेघरा के दुलारपुर पेठियागाछी निवासी राघो सिंह के पुत्र नितिश को बकाए राशि वापस देने की बाद कहकर पहले तो नियोजित स्थल पर बुलाया । तत्पश्चात अगले दिन उक्त युवक का शव बगल के गांव चक्कापर में मिला। बाद में मृत युवक के पिता राघो सिंह उर्फ रविंद्र सिंह नें कारी सिंह समेत उसके पांचों भाईयों एवं एक अन्य को नामजद करते हुए भागवानपुर थाने में कांड सं 222 दर्ज कराया है। मृतक के पिता नें बताया कि मेरे पुत्र के हत्यारे की गिरफ्तारी की दिशा में पुलिस के हाथ खाली है । साथ हीं पुलिस द्वारा कोइ सकारात्मक पहल भी नहीं की जा रही है । मृतक के पिता राघो सिंह नें यह भी बताया कि मेरे पुत्र के हत्यारे के कोइ पहली अपराधिक घटनाओं को अंजाम नहीं दिया है बल्कि इसके पुर्व भी उसने बछवाडा़ थाना कांड सं 81/13 में फसल लूट एवं रंगदारी की वारदात को अंजाम दिया है । जबकि इसके पुर्व बछवाडा़ थाना कांड सं 161/12 में एक चिमनी मुंसी की हत्या के मामले दर्ज हैं । इसी वर्ष मंसूरचक थाना अंतर्गत कांड सं 54/12 में दोहरा हत्या कांड के आरोप हैं । इस प्रकार लगातार आठ वर्षों फरार रहकर अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहा है , बावज़ूद इसके पुलिस हाथ पर हाथ रखे तमाशबीन बनी बैठी है ।