लेटे हनुमान जी से मिलने पहुँची माँ गंगा-आँचलिक ख़बरें-शनि कुमार केशरवानी

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संगम नगरी प्रयागराज से 800 मीटर दूर बंधवा स्थित लेटे हनुमान जी से मिलने मां गंगा गुरुवार दोपहर 2 बजे पहुंचीं। मां गंगा वैसे तो हर साल लेटे हनुमान जी के पांव पखारने आती हैं, पर इस बार थोड़ा जल्दी ही आ गईं। मंदिर में मां गंगा के प्रवेश के साथ ही साथ घंटा-घड़ियाल और शंखनाद की ध्वनि के बीच जयकारे लगने लगे। हनुमान जी के पांव पखारने का दृश्य अपनी आंखों में कैद करने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगम पहुंचे। पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।

वैसे तो हनुमान जी का मंदिर विश्व के कई देशों में हैं, पर यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई है। यह मंदिर एक बांध पर स्थित है। इसीलिए इसे बंधवा हनुमान जी का मंदिर भी कहा जाता है। कुछ लोग इस मंदिर को बड़े हनुमान जी के नाम से जानते हैं।
गंगा जी हर साल खुद कराने आती हैं स्नान

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बड़े हनुमान मंदिर के संरक्षक नरेंद्र गिरि का कहना है कि इस मंदिर में मां गंगा साल में एक बार हनुमान जी को खुद स्नान कराने आती हैं। दरअसल, जब गंगा में बाढ़ आती है तो बाढ़ का पानी लेटे हनुमान जी के मंदिर तक भी पहुंचता है। इसे शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे कष्ट कम होने लगते हैं। जब गंगा का पानी हनुमान जी की मूर्ति को छूता है, उसके बाद बाढ़ का पानी खुद-ब-खुद घटने लगता है।

त्रेतायुग से जुड़ाव की है मान्यता
मंदिर के संरक्षक नरेंद्र गिरि ने बताया कि पुराणों में इस मंदिर का उल्लेख है। जनश्रुतियों के अनुसार भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद संगम स्नान करने आए थे। उस समय उनके प्रिय भक्त हनुमान किसी शारीरिक पीड़ा से ग्रसित थे। वह वर्तमान में जहां मंदिर है, वहां गिर पड़े थे। तब माता जानकी ने अपने सिंदूर से उन्हें नया जीवनदान दिया था। हमेशा आरोग्य और चिरायु रहने का आशीर्वाद भी दिया था।

तभी से यहां मंदिर में हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा हो गई। इसीलिए, हनुमान जी यहां लेटे हुए अवस्था में विद्यमान हैं। हालांकि, इसका कहीं भी लिखित उल्लेख नहीं हैं। इस मंदिर को लेकर विविध जनश्रुतियां, कथाएं व मान्यताएं भी हैं।

इतिहास में दर्ज बातों पर गौर किया जाए तो यह मंदिर सन 1787 में बनवाया गया था। मंदिर के अंदर तकरीबन 20 फुट लंबी हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति हैं। इस मूर्ति के पास ही श्री राम और लक्ष्मण जी की भी मूर्तियां हैं। संगम के किनारे बने इस मंदिर की आस्था दूर-दूर से भक्तों को यहां खींच लाती है।

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गंगा के मंदिर में प्रवेश से ही कपाट हो जाते हैं बंद
लेटे हनुमान मंदिर में जैसे ही गंगा का पानी भीतर प्रवेश करता है, वैसे ही हनुमान जी की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है। गंगा का पानी वापस लौट जाने के बाद ही कपाट खोले जाते हैं। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई की जाती है। इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना के बाद आम दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं।

नरेंद्र गिरि बोले- जल्‍द कोरोना महामारी का होगा खात्‍मा

साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा क मां गंगा दो सालों से हनुमान जी को नहीं नहला रही थीं। इस बार यह शुभ अवसर आया है। उन्होंने इसे शुभकारी माना है और पूजन-अर्चन किया। मां गंगा द्वारा हनुमान जी को नहलाने के बाद उन्होंने कहा कि गंगा जी द्वारा हनुमान जी को स्नान कराना राष्ट्र के लिए शुभ संकेत है। अब जल्द ही कोरोना महामारी का खात्मा होगा। साथ ही देश उन्नति की राह पर अग्रसर होगी।

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उन्होंने कहा कि हनुमान मंदिर के दरबार में गंगाजल के प्रवेश करने के बाद बाढ़ रहने तक बड़े हनुमान मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। पूजन-अर्चन भी बंद रहेगा। ऐसी मान्यता है कि मां गंगा जिस वर्ष लेटे हनुमान जी को स्नान कराती हैं उस साल कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आती है। इसे मंगलकारी और शुभ माना जाता है।

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