डायन कुप्रथा हमारे समाज के लिए अभिषाप-आँचलिक ख़बरें-बैद्यनाथ प्रसाद यादव

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उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री जिलावासियों को जागरूक करने के उद्देश्य से डायन कुप्रथा के उन्मूलन हेतु समाहरणालय परिसर से जागरूकता रथ को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। उपायुक्त ने कहा कि डायन कुप्रथा हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा अभिषाप है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए सरकार व जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है और हर संभव प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य से जागरूकता रथ को रवाना किया गया है, ताकि शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार समाज में फैले अंधविश्वास को दूर किया जा सके। हम सभी जानते है महिलाओं का समाज निर्माण में बहुत बड़ा योगदान होता है, महिलाओं को सशक्त व स्वाबलंबी बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है। ऐसे में हमलोगो ने कई बार ये भी देखा है कि अकेले रह रहे बुजुर्गों के संपत्ति के लोभ को देखते हुए या डायन बताकर किसी पर अत्याचार करना या ऐसे अंधविश्वास जो आज भी महिलाओं को डायन बना देते हैं। इस विकृत सोच को समाज से खत्म करने और लोगों को इस दिशा में जागरूक करने की आवश्यकता हैं।
डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 1999 के अनुसार धारा 3 के तहत डायन का पहचान करने वाले या कहने वालो को-3 महीने की सजा या रु1000/-जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 4 डायन बता कर किसी को प्रताड़ित कराना-6 महीना की सजा या रु 2000/-जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 5 डायन चिन्हित करने में जो व्यक्ति उकसायेगा-3 महीने की सजा या रु 1000/- जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 6 भूत-प्रेत झाड़ने की क्रिया-1 साल की सजा या रु 2000/- जुर्माना या दोनों का प्रावधान है

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