ज़िन्दगी की बारीकियों को कहानी में ढालती हैं सुनीता शर्मा खत्री

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आज के दौर में जहाँ ज्यादातर लोग फेसबुक व्हाट्सप्प और टिकटोक में व्यस्त हैं वहीँ कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस भीड़ से अलग हटकर काम कर रहे हैं. सुनीता शर्मा खत्री एक ऐसा ही नाम है जो अपनी कहानियों और कविताओं के माध्यम से लोगो के बीच एक अलग सन्देश दे रही हैं. पेश हैं सुनीता शर्मा खत्री से बातचीत के कुछ अंश

अपने बारे में कुछ बताये. मसलन आपकी शिक्षा, परिवार, हॉबी?

मेरा जन्म उत्तराखण्ड के देहरादून शहर में हुआ | प्रारम्भिक शिक्षा यहाँ से ग्रहण करने के उपरान्त सिचाई विभाग में ड्रांईग इंजीनियर कार्यरत पिताजी का स्थानातरण हुआ ऋषिकेश में  , बचपन से ही पढने लिखने में बेहद रूचि रही , खुद की कॉमिक्स भी बनायी  | इसी अभिरूचि की वजह से एम.ए. राजनीतिविज्ञान में  स्नातकोत्तर कालेज ऋषिकेश से करने के बाद महादेवी कन्या पाठशाला स्नातकोत्तर कालेज , देहरादून  (हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय ) से पत्रकारिता (बैचलर ऑफ जर्नलिस्म एण्ड मॉस कम्युनिकेशन ) की पढाई करते हुए लेखन की शुरूवात की | वहाँ के स्थानीय समाचार पत्रों  हिमाचल टाईम्स , दून दर्पण ,  में समाचार , कहानी आलेख लिखे | मेरे द्वारा  सबसे पहली लिखी कहानी ‘ नई माँ ‘ का प्रकाशन हुआ यहाँ के दैनिक पत्र ‘ हिमाचल टाईम्स ‘ 1996  में | विभिन्न विधाओं  में लेखन करते हुए , 1997-1998 में हिन्दी दैनिक समाचार पत्र, ‘   दैनिक जागरण’ देहरादून , ऋषिकेश  में फीचर लेखक के रूप में कार्य किया | इसी समाचार पत्र में  हमारे धर्मस्थल कॉलम के अन्तर्गत  ऋषिकेश के मंदिरों के ऊपर आलेखों का प्रकाशन हुआ | जिससे जनमानस को इन मंदिरों का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व पता चला एवं जीर्ण मंदिरों का उद्धार हुआ |

माँ गंगा की असीम कृपा और प्रेम ने इसी स्थान को मेरी कर्मस्थली बनाया  अन्य दूरस्थ स्थानों से नौकरी के बहुत से सुअवसरों के कारण भी मै माँ गंगा के सानिध्य से दुर न हो सकी  | 1999 मेें विवाह उपरान्त लेखन से विराम हुआ …10 वर्षो तक मेरा लेखन डायरी तक सीमित रहा , फिर से शुरूवात की 2009 में ऑनलाईन लेखन से |

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सुनीता शर्मा खत्री-लेखक, कवयित्री, ब्लॉगर व् स्वतंत्र पत्रकार

कितने समय से आप ब्लॉग्गिंग कर रही हैं. एक ब्लॉगर के रूप में आपके क्या अनुभव है[मसलन चुनौतियाँ मुश्किलें ?

2009  से हिन्दी ब्लॉगिग शुरू की….  अक्सर लोगो को अपशिष्टों को गंगा में प्रवाहित करने की प्रवृत्ति ने मुझे सोचने पर विवश कर दिया और ‘ गंगा के  करीब ‘ ब्लॉग लिखने की प्रेरणा मिली.. माँ गंगा की दुर्दशा देख कर पढ कर सोचा ब्लॉगिग के जरिये जागरूकता फैलायी जायी ….जिसने जनमानस का ध्यान आकर्षित किया |  फिर अन्य समाजिक मुद्दों के लिए दुसरा ब्लॉग लिखना शुरू किया ‘जीवनधारा ‘ तथा अपनी कविताओं के लिए ‘इमोशन्स ‘ नाम से अन्य ब्लॉग लिखा |

एक ब्लॉगर के रूप में मेरा अनुभव अच्छा रहा अन्य लोगो को भी अपने ब्लॉग से जोडा उन्होने भी   ‘ गंगा के करीब ‘ के लिए पोस्ट लिखी | मै चाहती हूँ इसके जरिये जितने भी शहर गंगा के किनारे बसे है वहाँ की समस्यायें , रहन सहन, संस्कृति इतिहास के बारे में लोग और ज्यादा जाने | यहाँ के लोगो का यह फर्ज है कि वह माँ गंगा में होने वाले प्रदुषण को रोक कर उसे स्वच्छ व निर्मल बनाये न की सरकार के ही भरोसे रहे ताकि आने वाली पीढी के लिए गंगा मात्र धरोहर न रह एक स्वच्छ नदी बने |

आपके अनुसार क्या कारण रहा की भारत में लोग जितनी तेजी से ब्लॉगिंग से जुड़े उससे भी ज्यादा तेजी से उन्होंने ब्लॉगिंग छोड़ दी ?

जितनी तेजी से ब्लॉगिग शुरू हुई उतनी ही तेजी कम भी हुई वजह दुसरी जगह व्यस्तता  बढ गयी फेसबुक व अन्य सोशल साईटस पर लेखन होने लगा व्हाट्सअप और टिक् टाक की लोक प्रियता में बढोतरी |

2005-2012 का समय भारत में ब्लॉगिंग के स्वर्णिम काल जैसा था. उस समय बड़ी तेजी से लोग ब्लॉगिंग से जुड़ें. उनदिनों समय समय पर ब्लॉगरमीट्स का आयोजन भी होता था. इन ब्लॉग मीटअप से जुड़ा कोई अनुभव है जो आप साझा करना चाहें?

कई बार ब्लॉगर मीट व इससे सम्बन्धित कार्यक्रमों में बुलाया गया लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन की वजह से शामिल नही हो सकी |

आप खुद को किस रूप में देखना पसंद करती हैं , “ब्लॉगर, कहानीकार या कवयित्री ?

मै खुद को ब्लॉगर , कहानीकार व कवियत्री  पत्रकार सभी रूपों में देखना पंसद करती हूँ |

आपकी कोई पुस्तक प्रकाशित हुई है ?

शीघ्र ही  मेरा कहानियों का संग्रह  ‘आखिर क्यों ? ‘  पुस्तक  बहुत जल्द पाठकों ने के हाथों में होगी |

आपके द्वारा लिखी हुई पहली कविता या कहानी कौन सी है ?

मेरे द्वारा लिखी पहली कहानी थी ‘नई माँ ‘ जो वर्ष 1996 में देहरादून से प्रकाशित होने वाले , हिन्दी  दैनिक पत्र हिमाचल टाईम्स में छपी थी,  उस समय मै पत्रकारिता की पढाई कर रही थी |

कहानी या कविता में क्या कुछ नया करने का विचार है?

कविता या कहानी में मै नया यह चाहती हूँ उसनें बहुत अधिक  कठिन वाक्य व शब्द न हो उसमें सरलता चाहती हूँ  ! ऐसे विषय हो जिनसें लोगो का जुडाव हो |

आपका फेवरेट कवी या लेखक कौन है ?

मेरे फेवरेट लेखक अमृता प्रीतम,  शिवानी व शरत चन्द्र है |

खुद की लिखी हुई कोई मनपसंद कविता या कहानी ?

मेरी मनपंसद कहानी है , ‘ तुम मेरे हो !’  जो वर्ष 2013 में हरियाणा ग्रन्थ अकादमी की पत्रिका ‘ कथासमय  ‘ में प्रकाशित हुई थी |

क्या आपको कविता/कहानी के लिए कोई रिवॉर्ड या अवार्ड मिला ?

मुझे  कहानी ‘ रिश्ता ‘ के लिए ‘स्टोरी मिरर ‘ मुम्बई से ‘ ऑर्थर ऑफ दी वीक ‘  का सम्मान मिला…. | स्टोरी मिरर से ही ऑथर आफ दी ईयर नामिनी व लिटटेरल क्लोनल का सम्मान प्राप्त हुआ | इसी वर्ष  हिन्दी  दिवस पर मॉम्सप्रेस्सो ने हिन्दी लेखक का सम्मान प्रदान किया |

अब किसी भी कलमकार के लिए सबसे मुश्किल सवाल, आप क्यों लिखती है ?

सबसे मुश्किल सवाल मै क्यों लिखती हूँ…. तो मै यह कहुंगी मुश्किल नही है अन्तर्मन से आवाज आती है बस तभी लिखती हूँ |

नये लोग जो ब्लॉग (कविता, कहानी आदि) शुरू करना चाहते हैं उनके लिए कोई सलाह ?

नये लोग जो ब्लॉग शुरू करना चाहते है उनके लिए एक सलाह यह है कि तुम्हारे लेखन के लिए   ब्लॉग  बेहतरीन है….  तुम्हारी अपनी डायरी | लिखो वही जो सार्थक हो !

 

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