सुपौल-पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र के निधन से उनके पैतृक गांव बलुआ में पसरा सन्नाटाआंचलिक ख़बरें-नजीर आलम के साथ आजाद 

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-बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा के निधन से भले ही बिहार भर में शोक की लहर हो लेकिन उनके पैतृक गांव बलुआ में सन्नाटा पसर गया है , हालंकि उनके आवास पर फिलहाल उनके परिजन नहीं है पर भतीजे और आस पड़ोस के लोग आवास पर पहुंच आने वाले लोगों से मिल रहे हैं बताया गया कि वो काफी लंबे समय से बीमार थे। जगन्नाथ मिश्रा का निधन दिल्ली में हुआ है। लेकिन जैसे ही उनके निधन कि जानकारी लोगों को मिली गांव के लोग मायूस हो गये हैं लोगों का स्पष्ट तौर पर कहना था कि ये क्षति कभी पूरी नहीं हो सकती गांव के लोगों को उनके जाने के बाद उनके कार्यो कि याद ताजा होने लगी है ,
मालूम हो कि अपनी राजनीतिक पकड़ की वजह से वो तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पहली बार यह जिम्मेदारी वर्ष 1975 में संभाली, दूसरी बार वो 1980 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। आखिरी बार वह 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वह 90 के दशक के मध्य में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे। बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा ने राजनीति से पहले अपने करियर की शुरुआत लेक्चरर के तौर पर की थी। बाद में उन्होंने बिहार यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दी।
इस दौरान उन्होंने 40 के करीब रिसर्च पेपर लिखे। जगन्नाथ मिश्रा का शुरू से ही राजनीति से लगाव रहा था। वो 90 के दशक के बीच केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे। बिहार में डॉ मिश्र का नाम बड़े नेताओं के तौर पर जाना जाता था। उन्हें मिथिलांचल के सबसे कद्दावार नेता माना जाता था खास कर कई कल्याण कारी योजना संचालित करने में उनकी बड़ी भूमिका थी .

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