रतलाम- प्याज उत्पादक राज्यों में शामिल महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में ज्यादा बारिश ने बर्बाद कर दी फसल-आंचलिक ख़बरें जय रांका

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*कुल प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र की 40 फीसदी हिस्सेदारी है, वहां 55 लाख हेक्टेयर फसल हुई बर्बाद

*मंडियों में पिछले साल की तुलना में इसकी दस फीसद आपूर्ति भी नहीं हो रही है

मंदसौर/नीमच/ रतलाम. प्याज ने इस साल उत्पादक, विक्रेता और ग्राहक की कमर तोड़ कर रख दी है। प्याज की फसल खराब होने से उत्पादक पीड़ित हैं तो महंगे भाव में विक्रेताओं के लिए मांग निकलना मुश्किल हो रही है, वहीं आम जनता के लिए इसे खरीदना जेब पर भारी पड़ रहा है। फिलहाल स्थिति यह है कि प्याज के थोक में दाम ही 50 रुपए किलो से अधिक हैं और इस भाव में सेब खेरची में उपलब्ध है।

लोकल मीडिया ने पड़ताल की तो प्याज की बढ़ती कीमत के पीछे मौसम की खलनायकी सबसे बड़ी वजह निकली। इस साल देश में प्याज की फसल तीन उत्पादक राज्यों में चौपट हुई है। देश के बड़े प्याज उत्पादक राज्यों में शामिल महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में 65 प्रतिशत से ज्यादा बारिश ने फसल बर्बाद कर दी है। इसके अलावा परिवहन में भी 10 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वहीं सरकार ने सितंबर तक प्याज का निर्यात किया जिससे प्याज बड़ी मात्रा में देश से बाहर निकल गया और कमी हो गई। वहीं इस बार प्याज में नमी अधिक होने से इसका स्टॉक भी नहीं किया जा सका।
फुटकर में इसलिए भाव ज्यादा : थोक मंडी में प्याज 40 से 50 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रहा है। बाजार में 55 से 60 रुपए प्रतिकिलो बिक रहा है। इसकी वजह दो फीसदी मंडी टैक्स, एक रुपए तौल के, बारदान, हम्माली सहित 8 रुपए दुकान पहुंचने में लगते हैं। छंटनी में 20 से 25 फीसदी प्याज खराब निकल जाता है। इससे फुटकर में प्याज 10 से 15 रुपए प्रतिकिलो ऊपर में प्याज बिक रहा है।

छह मंडियां अकेले महाराष्ट्र में
प्याज का उत्पादन मुख्यत: छह राज्यों में होता है। 50 प्रतिशत प्याज भारत की 10 मंडियों से ही आता है। इनमें से छह महाराष्ट्र और कर्नाटक में हैं। इसका मतलब हुआ कि कुछ सौ व्यापारियों के हाथ में 50 प्रतिशत प्याज की कीमतें रहती हैं। ये व्यापारी अपने तरीकों से प्याज की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही प्याज का कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं है।

प्याज की आवक पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत भी नहीं
पिछले साल थोक मंडी में 50 पैसे प्रतिकिलो बिकने वाला प्याज 50 रुपए प्रतिकिलो बिक रहा है। बाजार में इसके भाव 55 से 70 रुपए प्रतिकिलो हो गए हैं। पिछले साल तक थोक मंडी में जहां 8 से 10 हजार बोरी रोज की आवक थी। वहीं अब महज डेढ़ से दो हजार बोरी ही है, जबकि डिमांड बरकरार है। यूपी कर्नाटक, पंजाब, बिहार में भी प्याज की डिमांड रोज निकल रही है। ऐसे में भाव में लगातार तेजी है।

सीजन की सबसे कम आवक हुई
रतलाम में बुधवार को 700 बोरी (50 किलो प्रति बोरी) प्याज की आवक रही। जो इस सीजन की सबसे कम आवक है। थोक में 54 रु. प्रतिकिलो बिका। आवक कम होने से सुबह 10 बजे शुरू हुई नीलामी एक घंटे में ही खत्म हो गई। गत वर्ष नवंबर व दिसंबर में मंदसौर कृषि उपज मंडी में रोज 8 से 10 हजार बोरी प्याज पहुंच रहा था। इस साल राेज 500 से 800 बोरी प्याज पहुंच रही है। 3 माह पहले नीमच मंडी में राेज 8 से 10 हजार बोरी प्याज की नीलामी होती थी। वर्तमान में 750 से 1000 बोरी ही प्याज मंडी पहुंच रही है।

फैसले में देरी पड़ी भारी
प्याज के दाम में भारी उछाल के बाद सितंबर महीने से इसका निर्यात बंद कर दिया गया है। मानसूनी बारिश के बाद भारत में बड़े स्तर पर प्याज की फसल बर्बाद हो गई जिस कारण प्याज की आवक में भारी गिरावट दर्ज की गई।

स्टॉक का देश में हाल
केंद्र ने 50,000 टन का बफर स्टॉक बनाया है जिसमें से 15,000 टन घरेलू मार्केट में भेजा जा चुका है। भाव चढ़ने पर स्टॉकिस्टों की लिमिट तय हो सकती है। चीन, मिस्र व अरब देशों से 1 लाख टन प्याज आयात करने का निर्णय हुआ है। बफर स्टॉक में से 6500 टन प्याज सड़ चुका है।

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