झुंझुनू-प्रशासन की उदासीनता से शिक्षा बनी व्यवसाय-आंचलिक ख़बरें-संजय सोनी

News Desk
By News Desk
5 Min Read
download

झुंझुनू के सरकारी स्कूल में एक शिक्षक द्वारा 12 बच्चों के साथ सालभर से करते आ रहे कुकर्म का मामला उजागर होने के बाद अब जिम्मेदारी बनती है जिला प्रशासन की व जिला शिक्षा अधिकारी सहित अन्य प्रशासन के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की कि वह जिले में चल रहे निजी शिक्षण संस्थानों की भी उच्च स्तरीय जांच कर अनियमितताओं की ओर ध्यान दें। जिससे सुनहरे भविष्य का छात्र कहीं शिक्षकों व कुप्रबंधन व्यवस्था का शिकार ना हो। गौरतलब है कि झुंझुनू के सरकारी स्कूल में 1 शिक्षक 12 महीने से बच्चों के साथ कुकर्म करता आ रहा था,जिसकी बच्चों द्वारा शिकायत भी की गई लेकिन शिकायत के साथ मामला दबता चला गया और बच्चों में होता रहा पैदा ख़ौफ। यह कहानी किसी फिल्म की नहीं बल्कि झुंझुनू के सरकारी स्कूल में शिक्षा देने वाले शिक्षा का अलख जगाने वाले एक शिक्षक की है हालांकि शिक्षक अब सलाखों के पीछे हैं लेकिन सवाल खड़ा होता है क्या इस घिनौने कृत्य के बाद जिला प्रशासन अपनी आंख मूंदे बैठे रहेगा या फिर अन्य सरकारी शिक्षण संस्थानों के अलावा जिले में चल रही निजी शिक्षण संस्थानों की भी प्रबंधन समिति के साथ अभिभावकों की भी मीटिंग लेकर छात्रों के अभाव अभियोग सुने जाएंगे या किसी अन्य हादसे का इंतजार करेगा प्रशासन। यह सवालिया निशान जरूर आज आम आदमी के मस्तिष्क में कौंध रहा है।प्रशासन की उदासीनता के चलते निजी शिक्षण संस्थान अपने संस्थानों में शिक्षा कम व्यवसाय ज्यादा करने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। निजी शिक्षण संस्थानों में बेल्ट, ड्रेस के नाम पर दुकानें खोल रखी हैं उक्त निजी शिक्षण संस्थानों की ड्रेसेज संस्थानों द्वारा चिन्हित जगहों पर ही मिलना अपने आप में बड़ा सवाल है।ड्रेसेज के नाम पर कई शिक्षण संस्थान तो मनमानी दर बच्चों से वसूली कर संबंधित शोरूम का पता व कोड देकर बच्चों को वहां भेजने का काम की भी जनचर्चा आम है।अभिभावक यह सोचकर चुप रह जाते हैं कि जब सब अभिभावक दे रहें हैं तो अपने बच्चे को क्यों प्रताड़ित होना पड़े स्कूल में, साथ ही बच्चों की फीस लेटलतीफी के वजह से निजी शिक्षण संस्थानों के संचालक उन्हें प्रताड़ना के रूप में क्लास से बाहर बैठने को वह कभी धूप तो कभी सर्दी में खड़े रहने की सजा देने से भी पीछे नहीं रहते हैं यदि अभिभावकों व छात्र-छात्राओं से भी इस बारे में प्रशासन संवाद करें तो कई राज खुल कर सामने आने की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता।वहीं ऐसी निजी शिक्षण संस्थानों में प्रशासन भी अपना हाथ डालने से क्यों बच रहा है यह समझ से परे है। सूत्रों की मानें तो निजी शिक्षण संस्थानों में बच्चों से फीस के मामले में भी निजी संस्थान बच्चों का शोषण करते रहते हैं दाखिले के वक्त सब कुछ मान लेते हैं और दाखिले के बाद उनके चेहरे के साथ नीति व नियत बदल जाती है। कभी स्कूल बस के नाम पर तो कभी एक्स्ट्रा क्लासेस व प्रक्टिकल के नाम पर चलता रहता है वर्ष भर खेल।वहीं टीसी रोकने को लेकर भी काफी दफा विवाद देखने को मिलते रहे हैं।भारी भरकम फीस की वसूली निजी शिक्षण संस्थानों का एकमात्र उद्देश्य बनकर रह गया हो ऐसा प्रतीत होता नजर आता है।शिक्षा के नाम पर चल रही दुकानदारी पर जिला प्रशासन को तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है वरना जिले के नौनिहाल कैसे बनेंगे देश का भविष्य इस पर प्रश्न चिन्ह है वहीं अभिभावकों को इंतजार जिला प्रशासन कब करेगा निजी स्कूलों पर जांच व कार्रवाई।झुंझुनू के सरकारी स्कूल का मामला प्रदेश में ही नहीं संसद में गूंजा लेकिन झुंझुनू जिले के सांसद,विधायकों ने कोई दिलचस्पी इस अतिसंवेदनशील मामलें नहीं दिखाई साथ ही जिला कलेक्टर भी अभी तक सरकारी स्कूल का दौरा कर सच्चाई जानने से रहे दूर।कागजों में प्रशासन के बड़े बड़े दावे खोखले साबित हुए सरकारी स्कूल के कृत्य के सामने।

Share This Article
Leave a comment