देश में सियासी घमासान की लहर दिखने लगी है. जिसकी प्रमुख वजह है सत्ता के गलियारे में बैठें हुक्मरानों द्वारा देश की जनता की मांग व आवश्यकता को अनदेखा करना. बात चाहे हालिया पहलवानों के मुद्दे की हो या कुछ समय पूर्व हुए किसानों के आंदोलन की या फिर देश में तेजी से बढ़ती हुई बेरोजारी व महंगाई की, इन तमाम मुद्दों में मौजूदा भाजपा सरकार नाकाम साबित होती दिख रही है. इन तमाम मुद्दों को लेकर देश की जनता के बीच मोदी सरकार के खिलाफ असंतोष व आक्रोश की स्थिति उत्पन्न हो रही है. मौजूदा हालातों को देखते हुए ये ये अंदेशा हो रहा है कि शायद आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में देश की जनता मोदी सरकार को आईना दिखातें हुए बीजेपी को हार की माला पहनाएगी.
राहुल गाँधी ने वाशिंगटन में मोदी सरकार पर साधा निशाना
ऐसे कई मुद्दे है जिनको लेकर जनता में मौजूदा मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है. फ़िलहाल यहाँ जिक्र करते हैं राहुल गाँधी के द्वारा वाशिंगटन में दिए गए एक बयान की. जिसमे उन्होंने कहा है कि देश में मौजूदा मोदी सरकार के खिलाफ एक अंत: प्रवाह धारा चल रही है, देश की जनता मोदी सरकार की कार्यप्रणाली से न केवल असंतुस्ट है बल्कि जनता के अंदर एक आक्रोश भी है, यही आक्रोश 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह बनेगी.
बताते चलें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वाशिंगटन में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जमीनी स्तर पर भाजपा के खिलाफ ‘भारी अंतर्धारा’ है और अगर विपक्ष वैकल्पिक दृष्टिकोण के साथ प्रभावी ढंग से खड़ा होता है तो सत्तारूढ़ सरकार के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना बहुत मुश्किल होगा. उन्होंने यह भी दावा किया कि विपक्षी पार्टियां भारत जोड़ो यात्रा के साथ हैं लेकिन आज के माहौल में उनकी राजनीतिक और अन्य मजबूरियां हैं जो उन्हें इसमें शामिल होने से रोक रही हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत यात्रा के दरवाजे उन सभी के लिए खुले हैं जो हिंसा और नफरत से मुक्त अखंड भारत चाहते हैं. राहुल गाँधी के इस बयान ने देश में एक सियासी बहस छेड़ दी है. जिसमे न केवल आम जनता बल्कि विपक्ष ने भी अपनी कमर कस ली है. सत्तारूढ़ दल के नेताओं के भीतर भी एक संसय व्याप्त हो गया है.
सीटों का समीकरण
बताते चलें कि देश में लोकसभा की कुल 190 सीटें ऐसी हैं जहाँ बीजेपी-और कांग्रेस की आमने सामने की टक्कर होती है. मतलब की इन 190 सीटों में वहां के स्थानीय राजनितिक दल कोई ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पाते और लोकसभा चुनाव के दौरान इन 190 सीटों में बीजेपी या कांग्रेस में से जिस पार्टी ने भी अपनी बढ़त की उस पार्टी की लोकसभा में सत्ता प्राप्ति की संभावनाएं सकारात्मक हो जाती हैं. गौरतलब है कि पिछले लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने इन 190 सीटों में से कुल 175 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं कांग्रेस को महज 15 सीटों में जीत हासिल हुई थी. राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि देश की जनता का मोदी सरकार के प्रति बढ़ते हुए आक्रोश के कारण इन 190 सीटों को जीतना बीजेपी के लिए एक चुनौती साबित होगी. वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी द्वारा कुछ समय पूर्व किये गए भारत यात्रा से विपक्षी दल कांग्रेस को मजबूती मिली है, और देश की जनता का कांग्रेस पर विश्वास बढ़ा है, ऐसी स्थिति में ये कयास लगाना गलत नहीं होगा कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ सकती है.
हिन्दू वोटों का तुष्टीकर होगा ख़त्म ?
भारत में हमेशा से ही तुष्टिकरण की राजनीति होती आई है, और जाति, धर्म, भाषा व क्षेत्रवाद का तुष्टिकरण करके कई सियासी दलों ने समय-समय पर जीत हासिल की है. लेकिन यह भी देखा गया है कि जाति, धर्म, भाषा व क्षेत्रवाद का तुष्टिकरण करने वाली पार्टियों का अस्तित्व ज्यादा समय तक नहीं कायम रहता. उदहारण के तौर उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पार्टी बसपा (बहुजन समाज पार्टी ) की सुप्रीमों मायावती ने एससी-एसटी वर्ग के लोगों को लुभाया और तुष्टिकरण की राजनीति की. इस राजनीतिक तुष्टिकरण के कारण बसपा सुप्रीमो ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद हासिल किया. और इसी राजनीतिक तुष्टिकरण ने उन्हें चार बार उत्तर प्रदेश राज्य का मुख्यमंत्री बनाया. फ़िलहाल जब उत्तर प्रदेश की जनता चेती और उन्हें ये समझ आया कि उनके साथ महज राजनीतिक खेल खेला जा रहा है तो यूपी की जनता ने बसपा को धरासाई कर दिया, जिसके बाद अभी तक बसपा को दोबारा उत्तर प्रदेश की कमान नहीं मिली.
वहीं दूसरे उदाहरण के रूप में बंगाल की कम्युनिस्ट पार्टी है. जिसने गरीबों, मजदूरों व किसानों के वोटबैंक का तुष्टिकरण कर लगातार 9 बार बंगाल की सत्ता की कमान थामी. लेकिन धीरे धीरे बंगाल की जनता ने जब ये समझा कि उनके साथ राजनीति हो रही है व उन्हें सिर्फ वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, तो बंगाल की जनता ने कम्युनिस्ट पार्टी को आईना दिखाते हुए सत्ता से बाहर कर दिया.
ये उदहारण बताते है कि तुष्टिकरण की राजनीति चलती और चमकती तो जरूर है, लेकिन समय आने पर जनता ऐसी पार्टी और नेताओं का सूपड़ा साफ़ कर देती है. वर्त्तमान समय में यह सर्व विदित है कि बीजेपी हिन्दू-मुस्लिम व धर्म की राजनीति कर रही है, और बसपा व कम्युनिस्ट पार्टी की तरह बीजेपी को भी ये गुमान हो गया है कि वह कभी नहीं हारेगी. लेकिन मौजूदा हालात देख कर लगता है कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में देश की जनता बीजेपी की गलतफमी दूर करेगी.