एस. ज़ेड. मलिक(पत्रकार)
जहानाबाद – पिछले दिनों दुर्गापूजा के विसर्जन के दिन ही दो समुदायों के बीच अफवाह के कारण झड़प ने सम्प्रदायिक दंगा होते होते थम गया । कुछ अलगावदी व मनुवादी विचारधारा वाले असमाजिके तत्वों की मिली भगत से दंगा भड़कने की पुरज़ोर कोशिश की गई लेकिन अस्थानिय समझदार लोगों व विधायक के बीच बचाव कर फिलहाल मामला को शांत व स्थिर करने में सफल तो हुए लेकिन अभी भी तनाव बना हुआ है , पत्रकारों से अनाओपचारी बात चीत के दरमियान पत्रकारों के सवालों का जवादेते हुए विधायेक सुदय यादव ने कहा कि आपलोग या समाज का कोई भी वर्ग मुझे मुसलमान कहे या गालियां दे मैं जैनाबाद में आपसी सद्भवनाओ को कभी आंच नही आने दूंगा मैं कभी आपसी सौहार्द को खराब नही होने दूंगा – आखरी सांस तक जहानाबाद का आपसी सद्भवना और सौहार्द स्थापित रखने के लिए प्रयास करता रहूंगा इसके लिए चाहे मुझे अपने सीने पर गोली ही क्यूँ न् खानी पड़े । उन्होंने कहा कि
जहानाबाद में दंगा भड़काने की एक संयोजित साजिश की गई है। जिसे हम कामयाब नही होने देंगे।
ज्ञात हो कि जहानाबाद का वह मुख्य बाजार का रास्ता है जो शहर के नाते काफी संकीर्ण है, दो कार यदि एक साथ निकलना चाहे तो जाम लग जाता है। ऐसे में विसर्जन के लिये उस रास्ते मूर्ति विसर्जन के लिए जहानाबाद प्रशासन ने 4 बजे का समय दिया था लेकिन मूर्ति 4 बजे से निचिली सड़क पर थाने तक जाम कर कीर्तन करते हुए 7 बजा दिए आखिर लेट करने का क्या तुक था? जानकार सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले उसी छोटी मस्जिद के पास जहां पर कुछ बनिया, गुप्ता और दो चार घर भूमिहार और अन्य जातियों का आवास है वही पर वर्षों से मुसलमान भी रहते हैं यह क्षेत्र निचली सड़क के नाम से जाना जाता है, जहां लोग आपस मे मिल जुल कर रहते हैं, वही जिसके एक ओर पँचमहला, मल्लाहचक है तो दूसरी ओर शेखालम चक मोहल्ला अंदर में है। जहां 25, 30 घर के आस पास कुरैशी कसाई भी रहते है , सड़क पर मांस का छोटा सा टुकड़ा फेंका हुआ था , लेकिन उसका इतना बड़ा ईश्यु बना दिया कि सारे जगह दंगा का पत्रा फेर जहाबाद को लूटने पूरा प्लान ही कर दिया , दंगा के लिये आमंत्रित कर लिया ?
मांस का टुकड़ा सड़कों पर होना यह कोई नई बात नही थी, न है, इसलिये की अक्सरहां मांस का टुकड़ा कुत्ता , बिल्ली, चील, कौआ आदि इधर उधर छोड़ देते हैं, लेकिन यह एक दुराग्रह और द्वेष वश एक साजिश रची गई , जिन लोगों ने मस्जिद पर अटैक किया, मस्जिदों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की और मस्जिद में घुस कर क़ुरआन फेक कर बिखेर दिया , सदर अस्पताल रोड बाज़ार पर इस्लामिया मार्केट में दुकानों में आग लगा दिया गया – मैं नही समझता कि कोई मस्जिद के आसपास रहने वाला कोई भी स्थानीय निवासी ऐसी गन्दी और ओछी हरकत कर सकता है।यह सभी अचानक एक ही समय मे इतनी बड़ी भीड़ एक ही समय मे तीनो मस्जिदों पर अटैक यदि मुसलमानो ने शांति और संयम न बरता होता तो न् जाने कितने स्थानीय बेगुनाहों की ही हत्या हो जाती कितने घर उजड़ गए होते, – जहानाबाद के विधायक श्री सुदय यादव के अनुसार जबकि इन्हें प्रशासन से 4 बजे मूर्ति विसर्जन का समय मिला था , परन्तु विसर्जन उक्त समय पर न् कर के आखिर लेट करने की क्या वजह थी? विसर्जन में क्यूँ देरी की गई ? क्या इसे सुनयोजित सजिश नही कहा जायेगा ? प्रसाशन ने क्यों नही अपने निर्धारित समय पर उनका विसर्जन कराया?
विधाएं इतना भावुक हो गए कि वह पत्रकारों से पूछ रहे हैं, यह कैसा चलन आखिर यह लोग क्यूँ कर रहे हैं ये सब? क्या मिलेगा किसी की हत्या करके किसी को उजाड़ कर – जो तुम करोगे वही तुम्हारी सन्तान करेंगी। तुम हत्या करोगे सजा तो तुम्हें इसी संसार मे मिलनी है जो तुम्हे भुगतना पड़ेगा लेकिन् याद रखना तुम्हारे किये की सजा तुम्हारी नस्लों को भी भुगतनी पड़ेगा – वह कभी विकसित नहीं कर सकतीं, उनका विकाशशील मार्ग हमेशा तुम्हारे कर्मों के कारण अवरुद्ध रहेगा। देश का विकास होना तो बहुत दूर है। तुम्हारे कर्मों के कारण तुम्हारा अपना घर और समाज भी कभी उन्नती नहीं कर सकता । ज़रा सोंचो तुमने किसी को मार कर या किसी का बिगाड़ कर तुमने अपना क्या – क्या खोया ? और क्या क्या पाया ? थोड़ा इस पर मंथन ज़रूर करें।
विधायक सुदय यादव का मानना है की हर समाज मे अच्छे और बुरे इंसान होते हैं, कही बहुसंख्यक हैं तो कही अल्पसंख्यक । इन्ही में से हमे बुराई और बुरे लोगों को पहचान कर उनसे दूरी बनाए रखने की आवश्यकता है, समाज से बुराई को रोकने के लिये यदि सर्वो समुदाय समाज के उदारवादी लोग इकट्ठा बैठ कर दृढ़संकल्प हो कर सद्भवना क़ायम रखने के लिये हर मोहल्ले हर कस्बे में घरों के मुख्या के साथ बैठक कर बच्चों को बुराइयोंसे दूर रहने के लिये उन्हें समझाए । अभिभावक अपने नौजवान बच्चों की निगरानी करें गलत माहौल में न् जाने दें, हिन्दुत्ववाले मानसिकता के लोगों से दूर रहें । हम सब इंसान हैं, सर्वप्रथन हमें अपने आपको इंसान समझने की आवश्यकता है इसलिये की – हम सभी मानवों के अंदर मानवता है , इंसानियत है, हमे इसे उभारने आवश्यकता है । इसलिये की हम सब को ईश्वर ने एक दूसरे के काम आने के लिये पैदा किया । न की एक दूसरे को काटने या मारने के लिये।