इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाली,चकरोड आदि पर अतिक्रमण के छोटे मामलों में जनहित याचिका दाखिल करने को कोर्ट का समय बर्बाद करने वाला बताया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों को कानून के तहत प्राधिकारयों से शिकायत करके निपटाया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण, लोकजीवन व लोकोपयोगी सेवाएं आदि लोक महत्व की जनहित याचिकाएं दाखिल की जानी चाहिए। कोर्ट ने नगर पालिका व राजस्व संहिता कानून के दायरे में निपटने वाली दर्जनों जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि याची कानून के तहत उपलब्ध उपचार प्राप्त कर सकते हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने राहुल कुमार सिंह सहित 13 जनहित याचिकाओं पर दिया है। इन जनहित याचिकाओं में नाला, चकरोड के अतिक्रमण हटाने की मांग की गई थी। याची मऊ के भीटी चौक का निवासी है। इसी तरह बलिया, प्रयागराज, गाजीपुर, आगरा, फतेहपुर, भदोही जिलों के निवासियों ने जनहित याचिकाएं दाखिल कर अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि वास्तविक जनहित याचिकाएं दाखिल की जानी चाहिए। व्यर्थ की छोटे मामलों की जनहित याचिकाएं कोर्ट का समय बर्बाद करती है।