—————————————
क्रांति कुमार पाठक
———————-
कांग्रेस में पिछले कुछ महीनों से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक तरफ पार्टी महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में अपनी संगठनात्मक कमजोरियों से जूझ रही है और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर मचा आपसी घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
महाराष्ट्र कांग्रेस में इस चुनावी माहौल में भी कांग्रेस नेताओं के मुंह से विवादित बोल जारी है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने राहुल गांधी की रैली के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को इशारों-इशारों में ‘निकम्मा’ कहा। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी की रैली में संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा दोनों ही शिरकत नहीं किया था। यहां यह भी बात अहम है कि संजय निरुपम टिकट बंटवारे के समय में हुई गुटबाजी को लेकर नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ने तक की घमकी दिया था और खुद को पार्टी के चुनाव प्रचार से अलग रखने का ऐलान कर दिया था। दरअसल संजय निरुपम राहुल गांधी के रैली में शामिल नहीं होने पर अपनी सफाई देते हुए हुए ट्वीट कर राहुल गांधी के रैली में मिलिंद देवड़ा के शिरकत नहीं करने पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि, लेकिन यह निकम्मा कहां था। संजय निरुपम ने महाराष्ट्र चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर खड़गे समेत बड़े नेताओं पर हमला बोला था और कहा था कि राहुल व उनके करीबियों के खिलाफ साजिश रची जा रही है। ज्यादातर सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो जाएगी। यही हाल रहा तो पार्टी बर्बाद हो जाएगी। प्रदेश के विधायक के अनुसार, फिलहाल कांग्रेस पार्टी के अंदर कई पावर सेंटर बन चुके हैं, जिसमें खुद को बड़ा दिखाने की होड़ चल रही है। पार्टी के भीतर नाराजगी का एक बड़ा कारण जमीन पर काम करने वाले लोगों को टिकट न मिलना और बड़े नेताओं का अपने चहेतों को टिकट दिलाना भी शामिल है। महाराष्ट्र में जारी इस घमासान के पीछे कुछ उंगलियां प्रदेश के प्रभारी महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर भी उठ रही है। वहीं अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और प्रदेशाध्यक्ष बाला साहेब थोराट के बीच अपनी-अपनी ताकत दिखाने की होड़ मची हुई है।
कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भले ही बाला साहेब थोराट हैं, लेकिन प्रदेश, खासकर चुनाव की सारी रणनीति अशोक चव्हाण के इशारों पर बन रही है। पार्टी आलाकमान के नजरों में फंड मुहैया कराने के चलते अशोक चव्हाण महत्वपूर्ण नजर आ रहे हैं। यही प्रदेश के बाकी वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजर रहा है। वास्तव में, राहुल गांधी इस वक्त काफी मुश्किल में हैं। कांग्रेस के अंदर भले ही सीधे तौर पर उनके खिलाफ कोई खड़ा नहीं हो रहा हो लेकिन उनकी टीम के बागी तेवर के बहाने उनकी ‘राजनीतिक समझ’ पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि उन्होंने ऐसी टीम खड़ी की थी जिसकी ‘प्रतिबद्धता’ कांग्रेस से कहीं ज्यादा खुद के प्रति है। इस आरोप को बल इसलिए मिल रहा है कि अलग-अलग राज्यों में बगावत के मूड में दिख रहे जितने भी कांग्रेसी हैं, उसमें सभी राहुल गांधी के ही नजदीकी हैं और जिन पार्टी के अंदर आगे बढ़ाने में राहुल गांधी ने अपनी ताकत का इस्तेमाल किया था। महाराष्ट्र के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय निरुपम भी राहुल टीम का हिस्सा माने जाते हैं। इसी तरह हरियाणा में कांग्रेस छोड़ने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर भी राहुल गांधी के ही माने जाते थे।उनको प्रदेश अध्यक्ष बनवाने वाले राहुल गांधी ही थे। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के ये बगावती सुर सिर्फ इन्हीं दो राज्यों में उठ रहे हैं, बल्कि हरियाणा से लगा हिमाचल प्रदेश और यूपी भी इससे अछूता नहीं है। हिमाचल की धर्मशाला और पच्छाद सीट पर असेंबली उप चुनाव होना है, लेकिन यहां भी पार्टी के भीतर घमासान मचा हुआ है। यहां प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके समर्थक लगातार बयानबाजी कर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यूपी में भी पार्टी की युवा विधायक अदिति सिंह ने पार्टी के खिलाफ जाते हुए यूपी सरकार द्वारा गांधी जयंती के मौके पर बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र में हिस्सा लिया, जिसे पार्टी की ओर से अनुशासनहीनता माना जा रहा है। हालांकि पार्टी फिलहाल अपने बगावती नेताओं के खिलाफ कोई कदम उठाने से बच रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि वक्त आने पर पार्टी के भीतर इन सारी चीजों का संज्ञान लिया जाएगा। लेकिन फिलहाल अभी कोई कार्रवाई करना ठीक नहीं होगा। दरअसल, पार्टी इसे ज्यादा तूल नहीं देना चाहती। पार्टी नहीं चाहती कि जनता के बीच कोई गलत संदेश जाए, क्योंकि अगर कोई कार्रवाई होती है तो लोगों को लगेगा कि कहीं न कहीं बगावती नेताओं के आरोपों में सच्चाई है। पार्टी की ओर से फिलहाल बगावती नेताओं को संयम बरतने की नसीहत दी गई है।
“कांग्रेस के सामने चुनौती, चुनाव लड़े या अपनों से-आंचलिक ख़बरें-क्रांति कुमार पाठक

Leave a Comment
Leave a Comment