भारत-रूस संबंधों को मजबूती देने जयशंकर पहु ंचे मॉस्को

Aanchalik Khabre
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दौरे की अहमियत

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगस्त में रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं। यह दौरा मौजूदा समय में काफी खास माना जा रहा है क्योंकि इस वक्त वैश्विक राजनीति में हलचल तेज है और भारत अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नई दिशा देने की तैयारी कर रहा है। हाल ही में अमेरिका और भारत के बीच पैदा हुई खटास के बाद यह यात्रा और भी महत्वपूर्ण हो गई है।


अमेरिका-भारत के बीच बढ़ता तनाव

पिछले कुछ महीनों में अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत, यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से अब भी तेल आयात कर रहा है। अमेरिका चाहता है कि रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाया जाए, लेकिन भारत अपने हितों को ध्यान में रखते हुए इस पर कायम है।
इसके अलावा, अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध हाल के दिनों में और नजदीक हुए हैं, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। ऐसे हालात में भारत को अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने पड़ रहे हैं।


डोभाल के बाद अब जयशंकर की बारी

हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी रूस गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान रक्षा और सुरक्षा सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
अब विदेश मंत्री जयशंकर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में व्यापार, सुरक्षा, तकनीकी सहयोग और अन्य रणनीतिक मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है।


पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी

रूस ने संकेत दिया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत में भारत का दौरा कर सकते हैं। जयशंकर और लावरोव की बैठक में इस प्रस्तावित यात्रा की तैयारियों पर भी चर्चा होगी। पुतिन का भारत आना दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा करेगा और यह दर्शाएगा कि भारत-रूस की दोस्ती आज भी उतनी ही मजबूत है।


भारत-रूस के ऐतिहासिक संबंध

भारत और रूस के बीच संबंध केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक और रणनीतिक भी हैं। रूस भारत को हथियार, तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में लंबे समय से सहयोग देता आ रहा है। यह सहयोग भारत की रक्षा और आर्थिक जरूरतों के लिए बेहद अहम है।
डोभाल की यात्रा में यह स्पष्ट हुआ था कि दोनों देश कई क्षेत्रों में मिलकर आगे काम करना चाहते हैं। जयशंकर की यात्रा इसी सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


बदलती विदेश नीति में भारत का संतुलन

भारत इस समय एक ऐसे दौर में है, जहां उसे वैश्विक मंच पर सोच-समझकर कदम रखने की जरूरत है। अमेरिका के साथ तनाव के बावजूद भारत ने रूस और अन्य देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखे हैं। यह संतुलित कूटनीति भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत और प्रभावशाली बनाती है।
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