नई दिल्ली/ जोगिंद्र सिंह। निसिंग क्षेत्र में इस साल धान की फसल पर पीली फंगस (पीली ढोढी) और असामान्य मौसम की मार ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। क्षेत्र में लगातार भारी बारिश और आंधी की स्थितियों ने पौधों को कमजोर कर दिया है, जिससे फसल को तैयार होने में अभी दो सप्ताह बाकी होने के बावजूद संकट बढ़ गया है।
पीली फंगस और पीली आंधी का असर
धान के कटोरे के नाम से मशहूर निसिंग क्षेत्र के खेतों में अब हर रोज पीली आंधी उड़ती दिखाई दे रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादा वर्षा के कारण फसल में पीली फंगस का संक्रमण बढ़ गया है। यह रोग खासकर बालियों पर असर डालता है और फसल की गुणवत्ता और पैदावार दोनों को प्रभावित करता है। क्षेत्र के वैज्ञानिकों ने भी इस समस्या को लेकर चेतावनी जारी की है, लेकिन रोग नियंत्रण के लिए अभी तक प्रभावी उपाय सीमित हैं।
किसानों की परेशानियां और प्रयास
भारतीय किसान यूनियन के जिला उपाध्यक्ष सेवा सिंह महमल, अंकीत, मान सिंह, ईश्वर सिंह, सुरेंद्र कुमार, ईशम सिंह, कृष्ण कुमार और बहादुर सिंह के अनुसार, स्थानीय किसान फसल बचाने के लिए अपने स्तर पर कई उपाय कर रहे हैं। हालांकि, उनके प्रयास अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। खेतों में लगभग 50 प्रतिशत धान की बालियां बौनी पौधों, जलभराव और पीली फंगस से प्रभावित हो चुकी हैं। इससे किसानों का आर्थिक नुकसान बढ़ रहा है और उनका मनोबल भी गिर रहा है।
सरकार से मुआवजे और राहत की मांग
किसानों ने राज्य और केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि बर्बाद हुई फसलों के लिए उचित मुआवजा और कर्ज माफी सुनिश्चित की जाए। उनका कहना है कि यह कदम न केवल किसानों के आर्थिक नुकसान को कम करेगा, बल्कि भविष्य में फसल संरक्षण और उत्पादन में सुधार भी लाएगा।
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