World Happiness Report 2025 | भारत फिर हारा! हैप्पीनेस रैंकिंग में पाकिस्तान से पिछड़ा, वजह कर देगी हैरान!

News Desk
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दौलत नहीं, रिश्तों में है असली खुशी! वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट ने खोली पोल!
पैसे से खुश नहीं रहते लोग! जानें क्यों फिनलैंड है दुनिया का सबसे खुशहाल देश!
भारत फिर हारा! हैप्पीनेस रैंकिंग में पाकिस्तान से पिछड़ा, वजह कर देगी हैरान!
दौलत छोड़िए, रिश्तों पर करें फोकस! दुनिया के खुशहाल देशों ने दिया ये सबक!
खुशहाल देशों की सूची में भारत का स्थान 118वां, पाकिस्तान से पीछे क्यों?
क्या पैसा ही खुशियों की कुंजी है? जानें फिनलैंड के हैप्पीनेस मंत्र से
खुशहाली में पाकिस्तान से पिछड़ा भारत, जानें वजह
अमेरिका में गिरती खुशहाली: 24वें स्थान पर फिसला सुपरपावर

खुशियों का सफर: पैसे से परे एक दुनिया
क्या पैसा ही सबकुछ है?

रात के सन्नाटे में, एक छोटी-सी झोपड़ी में दीया टिमटिमा रहा था। बगल में बैठा रमेश अपनी बेटी गुड़िया को कहानियाँ सुना रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, लेकिन मन में सवाल – “क्या खुश रहने के लिए सिर्फ पैसा ही चाहिए?”
दूर कहीं शहर की चमक-दमक में एक विशाल महल में राजीव बैठा हुआ था। उसके चारों ओर ऐशो-आराम की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसकी आँखों में खालीपन था। मन में सवाल था, “क्या मैं वाकई खुश हूँ?”

अध्याय 1: दुनिया के सबसे खुशहाल लोग
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 ने जब दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची जारी की, तो फिनलैंड का नाम एक बार फिर शीर्ष पर था। आठवीं बार! लेकिन क्यों? क्या फिनलैंड के लोग सबसे अमीर हैं? नहीं।
फिनलैंड के लोगों के पास खुश रहने का एक अलग ही मंत्र है – भरोसे का रिश्ता और सामाजिक जुड़ाव*। वहाँ लोग एक-दूसरे के लिए खड़े होते हैं, मदद करते हैं और मिलकर खुशी बाँटते हैं।

वहीं दूसरी ओर, अमेरिका – जो कभी सबसे खुशहाल देशों में गिना जाता था, अब 24वें पायदान पर है। यह गिरावट सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सिर्फ पैसे ने ही उनकी खुशियाँ छीन लीं?

खुशहाली की जंग में भारत कहाँ?
रिपोर्ट में भारत को 118वां स्थान मिला है। पिछले साल के मुकाबले आठ स्थानों का सुधार हुआ है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि पाकिस्तान ने भारत को इस सूची में पीछे छोड़ दिया है। पाकिस्तान को हैप्पीनेस इंडेक्स में 109वीं रैंकिंग मिली है।
यानी पाकिस्तान इस बार भी भारत से आगे है। सवाल उठता है – क्या हमारे समाज में भरोसे और जुड़ाव की कमी है?

इसके अलावा बांग्लादेश 108वें स्थान पर है, जो भारत से बेहतर है। नेपाल 104वें स्थान पर है, जबकि श्रीलंका 135वें स्थान पर है। चीन ने 82वें स्थान के साथ एशियाई देशों में एक मजबूत स्थिति बनाई है।

अध्याय 2: रमेश और राजीव – दो अलग दुनिया
रमेश, एक साधारण मजदूर। उसकी पत्नी गाँव में सब्जी बेचती है। पैसे की किल्लत के बावजूद, उसकी हंसी कभी नहीं रुकती। उसका मानना है – “जितनी रोटी, उतनी खुशी।”
वहीं राजीव, एक सफल बिजनेसमैन। महलनुमा घर, विदेशी गाड़ियाँ, नाम और शोहरत – सब कुछ है। लेकिन रात को जब अकेले होता है, तो उसे खुद की परछाई से भी डर लगता है।

रमेश की बेटी गुड़िया का जन्मदिन आ रहा था। रमेश ने अपनी पत्नी से कहा, “इस बार गुड़िया के लिए एक गुड़िया जरूर लाऊँगा। चाहे जितनी भी मेहनत करनी पड़े।”
उधर, राजीव का बेटा आरव भी अपने जन्मदिन की तैयारी कर रहा था। केक, सजावट, महंगे तोहफे – सबकुछ तैयार था। लेकिन आरव की एक ही फरमाइश थी – “पापा, बस इस बार मेरे साथ समय बिताओ।”

अध्याय 3: हैप्पीनेस का रहस्य
रिपोर्ट बताती है कि खुशहाली सिर्फ पैसे से नहीं आती। इसके लिए चाहिए – भरोसा, संबंध और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति।
फिनलैंड में लोग एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। अगर किसी का पर्स गिर जाए, तो लौटाने वाला उसे वापस करने में संकोच नहीं करता।

लेकिन हर देश की कहानी अलग है।
इज़राइल, जो हमास के साथ संघर्ष झेल रहा है, फिर भी खुशहाली में आठवें स्थान पर है। वहीं, यूरोपीय देश कोस्टा रिका और मेक्सिको पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुए हैं।
अफगानिस्तान (147वें स्थान) और सिएरा लियोन (146वें स्थान) दुनिया के सबसे दुखी देशों में गिने जाते हैं।
भारत, जो 118वें पायदान पर है, अपनी खुशहाली के सफर में अभी भी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

राजीव को यह रिपोर्ट पढ़कर झटका लगा। उसने सोचा, “क्या मैंने भी रिश्तों से दूरी बना ली है?”

अध्याय 4: दो जन्मदिन, दो कहानियाँ
गुड़िया का जन्मदिन आया। रमेश ने दिन-रात मेहनत करके एक छोटी-सी गुड़िया खरीदी। शाम को सब दोस्तों के साथ बैठकर गुड़िया ने केक काटा। वह छोटी-सी गुड़िया उसकी सबसे बड़ी खुशी थी।
उधर, राजीव ने बिजनेस डील में व्यस्त होकर आरव के जन्मदिन पर आने का वादा तोड़ दिया। पार्टी में महंगे तोहफे थे, पर पिता का प्यार नहीं। आरव ने उदास होकर केक काटा और रोते-रोते सो गया।

अध्याय 5: नए सोच की शुरुआत
रमेश ने गुड़िया को गले लगाते हुए कहा, “खुशी छोटी-छोटी चीजों में छिपी होती है।”
वहीं, राजीव ने पहली बार महसूस किया कि पैसा कभी भी खुशियों का विकल्प नहीं बन सकता। उसने अगले ही दिन फैसला किया कि वह आरव के साथ समय बिताएगा।
उसने बिजनेस की भागदौड़ से थोड़ी दूरी ली और परिवार के साथ वक्त बिताना शुरू किया। उसने अपने पुराने दोस्तों से भी संपर्क किया।

अध्याय 6: एक नई राह
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट बताती है कि खुशी का सीधा संबंध सामाजिक जुड़ाव और भरोसे से है। शोध में पाया गया कि जिन समाजों में लोग एक-दूसरे का साथ देते हैं, वे अधिक खुशहाल होते हैं।
राजीव ने महसूस किया कि परिवार के साथ भोजन करना, दोस्तों से मिलना और मुस्कुराते चेहरों के बीच बैठना ही असली सुख है। उसने अपने बिजनेस को संतुलित किया और आरव के साथ खेलना शुरू किया।

अध्याय 7: दुनिया का संदेश – नया सोचें, नया जिएं!
खुशी की परिभाषा सिर्फ पैसे या संपत्ति से नहीं हो सकती। इसका अर्थ है – सम्बन्धों में गर्माहट, समाज में भरोसा और जीवन में संतुलन।
फिनलैंड की खुशहाली का रहस्य यही है – एक-दूसरे का साथ देना और भरोसे के बंधन को मजबूत करना।

क्या हमने कुछ सीखा?
रमेश और राजीव – दोनों ने खुश रहने का फंडा समझ लिया। फर्क सिर्फ इतना है कि रमेश ने पहले ही सीख लिया था, जबकि राजीव ने समय के साथ सीखा।
तो अगली बार जब आप किसी दोस्त से मिलें, परिवार के साथ खाना खाएँ या किसी की मदद करें – समझ लीजिए, आप अपने देश की खुशहाली में एक ईंट जोड़ रहे हैं।

खुशियों का मंत्र – एक कदम, एक मुस्कान
खुशी का रहस्य है – नया सोचें, नया जिएं!
संपत्ति और शोहरत के पीछे भागने से बेहतर है कि हम रिश्तों में मिठास और समाज में विश्वास को बनाए रखें।
क्योंकि आखिर में, “खुशियों का सफर तभी सफल है जब हम अपनों के साथ उसे बाँट सकें।”

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