भिवंडी। मुंबई में मनोज जरांगे के नेतृत्व में सफल आंदोलन के बाद, महाराष्ट्र के ओबीसी समुदाय ने मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल करने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में, राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के तालुका अध्यक्ष भगवान ठाकुर के नेतृत्व में भिवंडी उपविभागीय कार्यालय के सामने एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया।
राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत
यह विरोध प्रदर्शन राज्य भर में चल रहे आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें ओबीसी समुदाय सरकार की इस योजना का पुरजोर विरोध कर रहा है। प्रदर्शन में पूर्व विधायक योगेश पाटिल, शिवसेना ठाकरे गुट के उपनेता विश्वास थले, सोन्या पाटिल, सुरेश पाटिल सहित सैकड़ों ओबीसी समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया।
प्रमुख मांगें और ज्ञापन सौंपा
उपविभागीय अधिकारी की अनुपस्थिति में, प्रदर्शनकारियों ने तहसीलदार अभिजीत खोले को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित मुख्य मांगें रखी गईं:
- मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल नहीं किया जाए
- ओबीसी छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए 100% छात्रवृत्ति प्रदान की जाए
- विदेश में शिक्षा के लिए ओबीसी मेधावी छात्रों की संख्या 75 से बढ़ाकर 200 की जाए
- महाज्योति संस्था के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाए
- बारिश से प्रभावित किसानों को तत्काल मुआवजा दिया जाए
- म्हाडा और सिडको की घरकुल योजना में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जाए
सामाजिक-आर्थिक न्याय की मांग
यह आंदोलन ओबीसी समुदाय के सामाजिक-आर्थिक अधिकारों की रक्षा की लड़ाई है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि मराठों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने से उनके मौजूदा आरक्षण और अवसर प्रभावित होंगे।
भविष्य की रणनीति
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में और बड़े पैमाने पर आंदोलन किए जाएंगे। उन्होंने राज्य सरकार से ओबीसी समुदाय के हितों की रक्षा करने का आग्रह किया है।
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