परिचय
भारतीय राजनीति में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो केवल नेता नहीं, बल्कि एक युग की पहचान बन जाते हैं। हरियाणा की राजनीति में ऐसा ही एक नाम है – Om Prakash Chautala। वह न केवल हरियाणा के चार बार मुख्यमंत्री रहे, बल्कि उनके राजनीतिक जीवन ने राज्य की राजनीति को गहराई से प्रभावित किया। Om Prakash Chautala का नाम भारतीय राजनीति में दृढ़ नीतियों, किसान हितैषी दृष्टिकोण और पारिवारिक विरासत के कारण गूंजता रहा है।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
Om Prakash Chautala का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के सिरसा जिले के तेजाखेड़ा गांव में हुआ था। वह हरियाणा के महान किसान नेता चौधरी देवी लाल के पुत्र हैं, जिन्हें भारत के उप प्रधानमंत्री के रूप में जाना गया। चौधरी देवी लाल की राजनीतिक छाया और उनके सिद्धांतों ने Om Prakash Chautala के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।
Om Prakash Chautala की शिक्षा शुरू से ही साधारण रही। हालांकि वह पारंपरिक शिक्षा में अधिक समय नहीं दे सके, लेकिन उनके राजनीतिक संस्कार बचपन से ही पिता देवी लाल की वजह से मजबूत हुए। राजनीति के मैदान में उनका प्रवेश सहज नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत, रणनीति और संघर्ष की भावना ने उन्हें हरियाणा की राजनीति में स्थापित किया।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
Om Prakash Chautala ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 के दशक में की जब हरियाणा में चौधरी देवी लाल के नेतृत्व में भारतीय राजनीति में एक किसान आंदोलन जोर पकड़ रहा था। उन्होंने पहली बार 1980 में सिरसा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
1989 में जब चौधरी देवी लाल केंद्र सरकार में उपप्रधानमंत्री बने, तो Om Prakash Chautala को हरियाणा की राजनीति में अधिक सक्रिय भूमिका मिली। 1989 से 2005 तक का समय उनके राजनीतिक जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल रहा।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
Om Prakash Chautala चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे:
- पहली बार – 2 दिसंबर 1989 से 22 मई 1990 तक
- दूसरी बार – 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 (5 दिन)
- तीसरी बार – 22 मार्च 1991 से 6 अप्रैल 1991 (15 दिन)
- चौथी बार – 24 जुलाई 1999 से 4 मार्च 2005 तक
Om Prakash Chautala के शासनकाल में हरियाणा में कई नई योजनाएं लागू की गईं, जिनमें कृषि विकास, ग्रामीण सड़क योजना, शिक्षा सुधार, और कुशल नौकरशाही प्रमुख रहे। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में किसानों के लिए बिजली और सिंचाई की विशेष व्यवस्था की। Om Prakash Chautala ने हरियाणा में सरकारी स्कूलों में छात्रों को यूनिफॉर्म और साइकिल देने की योजना चलाई थी, जिससे गरीब बच्चों को शिक्षा में सहयोग मिला।
इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) की स्थापना
Om Prakash Chautala ने अपने पिता चौधरी देवी लाल के नेतृत्व में इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) की स्थापना की। यह पार्टी हरियाणा में ग्रामीण और किसान हितों की मुख्य आवाज बन गई। INLD का मुख्य आधार जाट समुदाय और ग्रामीण वोटर बेस रहा है। Om Prakash Chautala ने INLD को हरियाणा की सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी के रूप में स्थापित किया और लंबे समय तक इसका नेतृत्व किया।
भ्रष्टाचार और कानूनी विवाद
हालांकि Om Prakash Chautala का राजनीतिक जीवन उपलब्धियों से भरा रहा, लेकिन वह विवादों से भी अछूते नहीं रहे। 2000 में हरियाणा में 3,206 जूनियर बेसिक शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ, जिसमें उन पर अनियमितता के आरोप लगे। लंबे समय तक जांच और सुनवाई के बाद जनवरी 2013 में दिल्ली की एक अदालत ने Om Prakash Chautala और उनके बेटे अजय चौटाला को 10 साल की सजा सुनाई।
इस निर्णय ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी। Om Prakash Chautala को 2013 से 2021 तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा। हालांकि जेल में रहते हुए भी उन्होंने राजनीति में सक्रियता बनाए रखी और पार्टी की नीतियों पर नजर रखी।
जेल से रिहाई और सक्रिय राजनीति में वापसी
जुलाई 2021 में Om Prakash Chautala को कोविड महामारी के दौरान विशेष पैरोल और बाद में रिहाई मिली। इसके बाद उन्होंने हरियाणा में अपनी पार्टी INLD को पुनर्जीवित करने के लिए नए सिरे से अभियान शुरू किया। उन्होंने पूरे प्रदेश में जनसभाएं कीं और जनता से सीधे संवाद स्थापित किया।
Om Prakash Chautala ने रिहाई के बाद भी यह स्पष्ट कर दिया कि उनका लक्ष्य केवल राजनीति नहीं बल्कि युवाओं को जागरूक करना और प्रदेश के विकास में योगदान देना है।
पारिवारिक राजनीति और उत्तराधिकार की लड़ाई
Om Prakash Chautala का परिवार हरियाणा की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय है। उनके पुत्र अजय चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला भी राजनीति में हैं। हालांकि पारिवारिक मतभेदों के चलते INLD और जननायक जनता पार्टी (JJP) दो अलग-अलग धड़ों में बंट गईं। दुष्यंत चौटाला वर्तमान में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री हैं।
Om Prakash Chautala ने इन परिस्थितियों में भी संयम और धैर्य का परिचय दिया और INLD को फिर से संगठित करने में जुटे रहे।
विचारधारा और राजनीतिक दृष्टिकोण
Om Prakash Chautala की राजनीतिक विचारधारा हमेशा किसान केंद्रित, ग्रामीण विकास परक, और सामाजिक न्याय की रही है। उन्होंने हमेशा पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों, और किसानों के हित में आवाज उठाई। उनका मानना था कि जब तक गांवों का विकास नहीं होगा, तब तक देश का विकास अधूरा रहेगा।
उनकी राजनीतिक रणनीतियाँ गहरी समझ और अनुभव पर आधारित रहीं। Om Prakash Chautala जनसभा और धरना-प्रदर्शनों के माध्यम से जनता से जुड़ने में विश्वास रखते थे।
आलोचनाएं और समर्थन
जहाँ एक ओर Om Prakash Chautala को उनके अनुयायी हरियाणा का जननायक मानते हैं, वहीं दूसरी ओर आलोचकों ने उन्हें परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों से घेरा। विशेष रूप से शिक्षक भर्ती घोटाले के कारण उनकी छवि को गहरा धक्का लगा।
हालांकि इसके बावजूद, Om Prakash Chautala की राजनीतिक पकड़ और जनसमर्थन में कभी भारी गिरावट नहीं आई। आज भी हरियाणा के कई इलाकों में उन्हें एक दृढ़ नेता और नीतिनिष्ठ राजनेता के रूप में देखा जाता है।
जीवन की सीख और प्रेरणा
Om Prakash Chautala का जीवन हमें यह सिखाता है कि राजनीतिक सफलता केवल पद या सत्ता से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर जनता से जुड़ने, समस्याओं को समझने और समाधान निकालने की क्षमता से मिलती है। उन्होंने संघर्ष, उतार-चढ़ाव और कानूनी लड़ाइयों के बावजूद कभी हार नहीं मानी।
उनका जीवन एक प्रेरणा है कि कोई भी व्यक्ति अगर समाज के लिए समर्पित भावना से काम करे, तो जनता का विश्वास लंबे समय तक बना रह सकता है।
निष्कर्ष
Om Prakash Chautala हरियाणा की राजनीति के एक ऐसे नेता हैं जिनका प्रभाव दशकों तक बना रहा और आज भी उनकी उपस्थिति जनमानस में महसूस की जाती है। चार बार के मुख्यमंत्री, INLD के स्थापक और चौधरी देवी लाल के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में उन्होंने हरियाणा को न केवल एक राजनीतिक दिशा दी बल्कि किसानों, मजदूरों और छात्रों के लिए संघर्ष की मिसाल भी कायम की।
हालांकि विवादों और कठिनाइयों से उनका जीवन अछूता नहीं रहा, फिर भी Om Prakash Chautala ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। हरियाणा की राजनीति में उनका नाम आज भी दृढ़ता, नेतृत्व और ग्रामीण चेतना का प्रतीक बना हुआ है।
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