संगरूर सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर उठाए सवाल

Aanchalik Khabre
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विदेश नीति और सुरक्षा पर विपक्ष के तीखे वार

आम आदमी पार्टी (आप) के संगरूर से लोकसभा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने मंगलवार को संसद में ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर हुई बहस के दौरान भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्र सरकार को घेरा। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद की परिस्थितियों, खासकर देश की कूटनीतिक स्थिति और सुरक्षा तैयारियों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, और सांसद मीत हेयर का यह बयान इस बहस को और तेज करता है।

शहीदों को श्रद्धांजलि और अंतरराष्ट्रीय मदद पर सवाल

मीत हेयर ने अपने भाषण की शुरुआत शहीद हुए सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए की, जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान दिया। उन्होंने उनकी वीरता और साहस को याद किया, लेकिन तुरंत इस बात पर ध्यान आकर्षित किया कि पाकिस्तान के साथ चल रहे युद्ध के दौरान भारत को किसी भी देश से अंतरराष्ट्रीय मदद नहीं मिली। यह एक ऐसा दावा है जिसने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद भारत की कूटनीतिक स्थिति पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

चीन, तुर्की और IMF की भूमिका

सांसद ने विशेष रूप से चीन और तुर्की का उल्लेख किया, जिन्होंने खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन किया। यह भारत के लिए एक कूटनीतिक झटका माना जा रहा है, क्योंकि ये दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के साथ खड़े दिखाई दिए। मीत हेयर ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी ऐसे नाजुक समय में पाकिस्तान को तुरंत आर्थिक सहायता मंजूर कर दी। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद यह स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक है, जो दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान को अभी भी कुछ हद तक समर्थन प्राप्त है।

विदेशी दौरों की असफलता

मीत हेयर ने एक और महत्वपूर्ण बिंदु उठाया कि विदेशों में गए भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की किसी भी देश के कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात नहीं हो सकी, केवल कुछ गिने-चुने देशों को छोड़कर। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत की विदेश नीति संकट के समय उतनी प्रभावी नहीं रही जितनी होनी चाहिए थी। यदि भारतीय प्रतिनिधिमंडल महत्वपूर्ण देशों के शीर्ष नेताओं से मिलने में असमर्थ हैं, तो यह वैश्विक मंच पर भारत के प्रभाव और प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े करता है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ जैसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियान के बाद, यह अपेक्षित था कि भारत अपने कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करेगा और वैश्विक समर्थन हासिल करेगा।

सरकार की गंभीरता पर सवाल और जवाबदेही का अभाव

मीत हेयर ने केंद्र सरकार की इस मामले में गंभीरता की कमी का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने वाले पूर्व रेल मंत्रियों का उदाहरण दिया, लेकिन आरोप लगाया कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ से जुड़े इस बड़े आतंकी हमले में भारतीय खुफिया एजेंसियों की लापरवाही से 26 जानें चली गईं, फिर भी सरकार में किसी ने न तो इस्तीफा दिया और न ही जिम्मेदारी स्वीकार की। यह टिप्पणी विपक्ष के उस व्यापक आरोप का हिस्सा है कि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर जवाबदेही से बच रही है।

मंत्रियों के भाषणों में सवालों का अभाव

सांसद ने रक्षा मंत्री और गृह मंत्री के लंबे-लंबे भाषणों की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन भाषणों में देश की आम जनता द्वारा उठाए गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया गया। यह दर्शाता है कि विपक्ष सरकार से स्पष्टीकरण चाहता है और उन्हें लगता है कि सरकार इन सवालों से कतरा रही है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद देश में सुरक्षा और खुफिया तंत्र पर कई सवाल उठे हैं, और विपक्ष का मानना है कि सरकार इन सवालों का संतोषजनक जवाब देने में विफल रही है।

सीमावर्ती राज्यों का दर्द

मीत हेयर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जहाँ देश के बाकी हिस्सों ने युद्ध की स्थिति को केवल सोशल मीडिया या टीवी के माध्यम से देखा, वहीं पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य के लोग हर दिन ड्रोन हमलों, सायरनों और ब्लैकआउट्स के साये में जीते रहे। यह टिप्पणी सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों द्वारा अनुभव की जा रही वास्तविक कठिनाइयों और भय को उजागर करती है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ ने इन क्षेत्रों में तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे उनका दैनिक जीवन प्रभावित हुआ है।

विपक्ष की आलोचना और ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर बहस

विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल, ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद से ही सरकार की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई बार आरोप लगाया है कि सरकार की “इवेंट-आधारित” विदेश नीति ने भारत के पारंपरिक सहयोगियों को दूर कर दिया है और देश को वैश्विक मंच पर अलग-थलग कर दिया है। उन्होंने विशेष रूप से चीन के साथ संबंधों में गिरावट और पड़ोसी देशों के साथ भारत के बदलते समीकरणों पर चिंता व्यक्त की है।

खुफिया विफलता और जांच की मांग

राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर, विपक्ष ने खुफिया विफलता और ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ से जुड़े आतंकी हमले को रोकने में सरकार की कथित अक्षमता पर सवाल उठाए हैं। कई विपक्षी नेताओं ने इस घटना की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है। सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सुरक्षा एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से काम कर रही हैं और ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ एक जटिल अभियान था जिसमें कई चुनौतियां थीं।

निष्कर्ष

गुरमीत सिंह मीत हेयर द्वारा संसद में ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर उठाए गए मुद्दे भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण चिंताओं को दर्शाते हैं। उनकी टिप्पणी ने विपक्ष को सरकार की जवाबदेही और प्रदर्शन पर सवाल उठाने का एक और अवसर प्रदान किया है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद भारत के कूटनीतिक संबंध, सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की स्थिति और सरकार की प्रतिक्रिया पर बहस जारी रहेगी, क्योंकि देश इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टीकरण और समाधान चाहता है।

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